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जिले में पंजीकृत हैं 58 अल्ट्रासाउंड, रेडियोलॉजिस्ट एक भी नहीं

Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के मरीजों को जांच के नाम पर ठगा जा

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरMon, 16 June 2025 10:19 AM
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जिले में पंजीकृत हैं 58 अल्ट्रासाउंड, रेडियोलॉजिस्ट एक भी नहीं

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के मरीजों को जांच के नाम पर ठगा जा रहा है। हालत यह है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के विभिन्न स्थानों पर 58 अल्ट्रासाउंड केंद्रों को संचालित करने की अनुमति दी गई है। लेकिन इन जांच केंद्रों पर रेडियोलॉजिस्ट द्वारा जांच न कर डीएमआरडी या अन्य डिग्रीधारकों से जांच कराई जा रही है। कहीं-कहीं तो फर्मासिस्ट द्वारा जांच केंद्रों पर मरीजों की ये जांचें हो रही हैं। हर वर्ष विभाग द्वारा अल्ट्रासाउंड जांच केंद्रों के रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण किया जाता है। प्रत्येक वर्ष इन केन्द्रों में बढ़ोत्तरी भी हो रही है। विभाग आंख मूंद कर जांच केंद्रों का पंजीकरण कर दे रहा है।

जिसका परिणाम यह है कि स्वास्थ्य माफिया बेहिचक जिले के विभिन्न स्थानों पर अल्ट्रासाउंड केंद्रों का संचालन कर रहे हैं। आंकड़े की बात करें तो बीते वर्ष यानि कि वर्ष 2024-25 में इन केन्द्रों की संख्या 55 रही लेकिन इस वर्ष 2025-26 के लिए 3 केंद्र और अधिक हो गए जिससे अब यह संख्या 58 हो गई। हैरत की बात यह है कि इन जांच केंद्रों पर बिना रेडियोलॉजिस्ट के जांच नहीं हो सकती। लेकिन रेडियोलॉजिस्ट को कौन कहे फर्मासिस्टों द्वारा ये जांच की जा रही है। हां इतना जरूर है कि जिन केंद्रों पर रेडियोलॉजिस्ट न मिलें तो डीएमआरडी, बाल रोग विशेषज्ञ, गायनकोलॉजिस्ट डिग्रीधारकों द्वारा अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है। लेकिन ये जांच करने में रेडियोलॉजिस्ट ही माहिर माने जाते हैं। अप्रशिक्षित लोग कर रहे मरीजों का अल्ट्रासाउंड स्वास्थ्य विभाग के अनदेखी का खामियाजा यह है कि जिले के अस्पतालों के अगल-बगल बिना डिग्री धारक कर्मचारी भोले-भाले गरीब मरीजों का अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं। जिसका परिणाम यह है कि इनके जांच रिपोर्ट के आधार पर मरीजों की ग़लत दवाएं हो जा रही हैं। बीते दिनों जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने आई सुनीता, मंजू, उर्मिला, रंजू समेत अन्य मरीजों ने बताया कि भीड़ अधिक होने के कारण अंदर यह जांच नहीं हो पाई। इसके कारण अस्पताल के सामने स्थित एक अल्ट्रासाउंड केंद्र पर अल्ट्रासाउंड करवाया। जांच रिपोर्ट जब डाक्टर को दिया गया तो उन्होंने रिपोर्ट को बीमारी के आधार पर गलत बताया। ऐसे में हम सभी दूसरे केंद्रों पर जांच करवाई। कार्रवाई के नाम पर होती है खानापूर्ति जिले में संचालित जांच केंद्रों पर रजिस्ट्रेशन के दौरान ही सभी मानकों को पूरा क का प्राविधान है। लेकिन ये सभी मानक केवल कागजों तक ही सीमित रहते हैं। इन केन्द्रों पर नोटिस बोर्ड पीले रंग में बनाकर चस्पा करने के निर्देश है। जिसमें चिकित्सक का नाम, शैक्षिक योग्यता, चिकित्सक की फोटो, मोबाइल नंबर, बैठने का समय समेत अन्य बिंदु पर सूचना अंकित करना है लेकिन सब हवाई साबित हो रहा है। अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। जिससे मरीज के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता नजर आ रहा है। यदि कार्रवाई की बात करें तो बीते वर्ष महज एक केंद्र पर सेमरियावां क्षेत्र के नायला डायग्नोस्टिक सेंटर पर एसीएमओ डा. शैलेन्द्र कुमार सिंह द्वारा मुकदमा पंजीकृत कराया गया है। जबकि जिले में दो दर्जन से अधिक जांच केंद्र बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे हैं। एसीएमओ व नोडल पीसीपीएनडीटी डा. शैलेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि अल्ट्रासाउंड जांच केंद्रों का औचक निरीक्षण किया जाता है। बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी केंद्र चलने नहीं पाएगा। जो भी ऐसे केन्द्र मिलेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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