जनपद में नहीं थम रही डग्गामार वाहनों की रफ्तार
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में डग्गामार वाहनों से लोगों का यात्रा करना
संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में डग्गामार वाहनों से लोगों का यात्रा करना मजबूरी हो गई है। सड़कों पर बिना कागजात, फिटनेस, वाहन चलाने का लाइसेंस, परमिट समेत अन्य मानकों को पूरा न करने वाले ये वाहन बेखौफ दौड़ रहे हैं। हालत यह है कि आए दिन इन वाहनों से लोग चोटहिल भी हो रहे हैं। इसके अलावा जो वाहन सवारी में पास है उनका कार्मर्शियल के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। इससे न केवल राहगीरों को परेशान होना पड़ता है, वरन विभाग के राजस्व की क्षति भी हो रही है।
शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन नो पार्किंग जोन के बावजूद जो जहां चाहे वहां वाहन को खड़ा कर सवारी व सामान को भरने का कार्य कर रहा है। इससे सड़कों पर जाम भी लग जा रहा है। कभी कभार तो वाहन चालकों व राहगीरों में कहासुनी तक की नौबत आ जाती है।
जनपद में डग्मार वाहनों का संचालन जोरों पर चल रहा है। इन वाहनों से सवारियों को ढोने का कार्य किया जा रहा है। ऐसे में लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए इन अधोमानक वाहनों से यात्रा करना मजबूरी हो जाती है। कभी-कभार तो यहां तक होता है कि आधे रास्ते में ये वाहन खड़े हो जाते हैं। इससे न केवल सवारियों की मुसीबत हो जाती है वरन वाहन चालकों की भी। घंटों इंतजार के बाद इन सवारियों को किसी दूसरे वाहन में शिप्ट कर दिया जाता है। इससे न तो लोग समय से अपने स्थान पर पहुंच पाते हैं न ही काम समय से हो पाता है। जबकि सरकार के द्वारा इन वाहनों के खिलाफ अभियान भी चलाया जाता है। लेकिन ये अभियान महज खानापूर्ति तक ही सीमित रहता है।
नहीं होती है हर माह सघन चेकिंग
ऐसे वाहन जिनके पास फिटनेस, परमिट, इंश्योरेंस समेत अन्य कागजात नहीं रहते हैं उन्हें सड़क पर चलने का अधिकार नहीं है। लेकिन प्रतिदिन सड़क पर ऐसे वाहनों की लंबी कतार लगी रहती है। फिर भी इन वाहनों पर न तो पुलिस की नजर पड़ती है और न ही परिवहन विभाग की। यदि इन वाहन चालकों को जांच के दौरान चेतावनी दे दी जाए कि दोबारा सड़क पर मिले तो खैर नहीं है तो भी कुछ हद तक ठीक हो जाता। लेकिन जांच को कौन कहे चेतावनी तक जिम्मेदारों के द्वारा नहीं दी जाती है। जिससे कि ये बेखौफ सड़को पर फर्राटा भरते रहते हैं।
शहर की प्रमुख सड़कों पर दौड़ रहे ये वाहन
शहर के मेंहदावल बाईपास पर टैक्सी स्टैंड के पास ही यातायात पुलिस की चौकी है। हर समय यहां पर आधा दर्जन से अधिक यातायात पुलिस मुस्तैद रहते हैं। फिर भी इस सड़क पर बिना मानक पूरा किए वाहनों पर सवारियों को बैठाने का कार्य होता है। ये वाहन चालक पुलिस कर्मियों से बेखौफ होकर मनमर्जी से सवारियों को बैठाने का कार्य करते रहते हैं। वही शहर के मुखलिसपुर जाने वाली सड़क पर भी यही कार्य किए जा रहे हैं।
सवारी गाड़ी से हो रहा सामान ढोने का कार्य :
परिवहन विभाग द्वारा जिन वाहनों को सवारी ढोने की अनुमति दी गई है उनसे तो सवारी को ढोने का कार्य तो हो ही रहा है। वरन कुछ ऐसे वाहन हैं जिन्हें केवल सामान ढोने की अनुमति मिली है उनसे सवारियों को ढोने का कार्य होता है। इससे यात्रा के दौरान न केवल सवारियों की जान का खतरा बना रहता है, बल्कि राहगीरों के भी जान पर खतरा मड़राता है। शहर में ट्रैक्टर-ट्रालियों से सवारियां व सामान ढोने का कार्य हो रहा है। जबकि इनका प्रयोग केवल कृषि कार्य के लिए ही करने की अनुमति दी गई है। जिन ट्रालियों का कामर्शियल के रूप में प्रयोग होना है उनका बाकायदा आरटीओ विभाग में पंजीकरण किया जाना होता है। लेकिन सब केवल कागज में ही हो जाता है।
नो पार्किंग जोन में खड़े रहते हैं वाहन
शहर में सुबह 8 बजे से रात्रि 10 बजे तक बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक है। इसके लिए पुलिस अधीक्षक द्वारा मेंहदावल बाईपास, सरौली गांव के पास, नेदुला बाईपास, बनियबारी मोहल्ला समेत अन्य जगहों पर बोर्ड लगा हुआ है। फिर भी शहर में बड़े वाहन पूरे दिन दौड़ते रहते हैं। इससे न केवल लोगों को परेशानी होती है वहीं दुकानदारों की भी मुसीबत हो जाती है। यातायात पुलिस के द्वारा हर प्रमुख तिराहे पर होमगार्ड, पीआरडी जवान, के साथ ही यातायात पुलिस की ड्यूटी लगी रहती है फिर भी ये वाहन चालक सेटिंग कर शहर में दौड़ते रहते हैं। इतना ही नहीं जहां पर नो पार्किंग जोन का बोर्ड लगा हुआ है, वहां पर तो बड़े वाहन पुलिस की मौजूदगी में सवारियों को बैठाने का कार्य करते हैं। इससे सड़कों पर हर दिन जाम लगा रहता है।
बिना नंबर के दौड़ते हैं डग्गामार वाहन :
ग्रामीण रूटों पर चलने वाले डग्गामार वाहनों में सबसे ज्यादा संख्या बिना नंबर के वाहनों की है। आटो के न तो आगे नंबर दिखाई देते हैं और न ही पीछे। सड़क दुर्घटना होने पर पीड़ित व्यक्ति वाहन का नंबर न होने के कारण रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करा पाता है और अगर करा भी दे तो पुलिस को आरोपी वाहन चालक तक पहुंचने में समय लगता है। फिर भी इन वाहनों को चलाने वालों पर कार्रवाई करने की पुलिस जहमत नहीं उठाती है।
एक सैकड़ा से अधिक वाहन दौड़ रहे सड़कों पर
ग्रामीण रूटों पर ऑटो रिक्शा, टाटा मैजिक, महिन्द्रा यूटिलिटी, महिन्द्रा जीप आदि लगभग एक सैकड़ा से अधिक विभिन्न मार्गों पर धड़ल्ले से ओवर लोड सवारियां भरकर दौड़ रहे हैं। इतना ही नहीं कई वाहन बेहद कंडम हालत में होने के बाद भी क्षमता से अधिक सवारियों को ढोकर दर्जनों सवारियों की जान जोखिम में डालने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। प्राय: ऐसे वाहन मेहदावल बाईपास पर देखे जा सकते हैं।
जिम्मेदार अधिकारी भी नहीं देते ध्यान
सड़कों पर तो ओवरलोड और डग्गामार वाहनों के खिलाफ परिवहन विभाग भी कभी-कभार कार्रवाई करता है। इसके अलावा पुलिस विभाग भी इन वाहनों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। लेकिन दोनों विभाग नहीं ध्यान देते हैं। परिवहन विभाग की कार्रवाई केवल मार्च माह में ही टारगेट पूरा करने के लिए की जाती है। बाकी दिनों में ठप ये रहती है।
सड़कों पर गड्ढे भी हादसों का कारण :
हादसों का एक और कारण सामने प्राय: आता है, जिसमें गड्ढा युक्त सड़कें भी शामिल हैं। अनधिकृत रूप से सड़क पर बने ब्रेकर भी हैं। जहां वाहन चालक गड्ढा बचाने के चक्कर में दूसरे वाहन की चपेट में आ जाता है और गिरकर घायल हो जाता है।
सीओ यातायात अजय सिंह ने कहा कि डग्गामार वाहनों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। शहर स्वच्छ, सुंदर और अतिक्रमण मुक्त हो, खास कर ई-रिक्शा का रूट तय हो, इसके लिए एआरटीओ, नगर पालिका के ईओ के साथ यातायात पुलिस की बैठक कराई गई थी। जिसमें व्यवस्था सुधार की दिशा में सार्थक पहल की गई है। डग्गामार वाहनों को चिन्हित करा कर उनके खिलाफ आगे भी कार्रवाई की जाती रहेगी।
एआरटीओ प्रियवंदा सिंह ने कहा कि नियम विरुद्ध ढंग से वाहन संचालित न हो, इसके लिए चेकिंग अभियान चलाया जाता है। उसमें डग्गामार वाहन भी शामिल है। चेकिंग में पकड़े जाने पर डग्गामार वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। अभियान में जरूरत पड़ने पर ट्रैफिक पुलिस की भी मदद ली जाती है। किसी भी दशा में डग्गामार वाहन सड़क पर नहीं चलने पाएंगे।
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