Unseasonal Rainfall Devastates Wheat Crop in Santkabirnagar Farmers Face Heavy Losses बारिश व हवाओं ने तोड़ी किसानों की उम्मीदें, Santkabir-nagar Hindi News - Hindustan
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बारिश व हवाओं ने तोड़ी किसानों की उम्मीदें

Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में पिछले दिनों की बारिश व तेज हवाओं ने

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरSat, 12 April 2025 12:25 PM
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बारिश व हवाओं ने तोड़ी किसानों की उम्मीदें

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में पिछले दिनों की बारिश व तेज हवाओं ने किसानों की उम्मीदें तोड़ दी हैं। गेहूं की फसलें गिर गई हैं। इससे मशीन से कटाई मुश्किल होगी। ऐसे में मजदूर लगाकर फसल कटानी पड़ेगी। इससे मड़ाई की लगात बढ़ेगी। किसानों को होने वाले फायदे का नुकसान होगा। बारिश के चलते फसल काली पड़ जाने पर उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा। किसानों का अनुमान है कि लगभग 25 प्रतिशत तक फसल का नुकसान होने की आशंका है। वहीं कृषि विभाग का कहना है कि बारिश होने के पहले लगभग 45 प्रतिशत फसल की कटाई हो चुकी है। जो फसल खड़ी है इसका लगभग 45 प्रतिशत नुकसान होने की आशंका है।

मेंहदावल संवाद के अनुसार बुधवार की देर रात अचानक आई धूल भरी आंधी तथा उसके पश्चात गुरुवार की सुबह हुई झमाझम बारिश से किसानों की मुश्किलें काफी बढ़ गई है। सबसे अधिक नुकसान उन किसानों का हुआ जिन्होंने गेंहू की कटाई कर मड़ाई के लिए गेहूं को खेत में छोड़ रखा था। उनके गेहूं की फसल का बोझ पूरी तरह से गीला हो गया है, दाने काले पड़ने की आशंका बन गई है। वहीं कुछ किसानों द्वारा मौसम की मिजाज को देखते हुए फसल की कटाई करने के पश्चात भूसा खेत में ही छोड़ दिया गया था। कई जगहों पर कटी हुई गेहूं की फसल बारिश से पूरी तरह में भींग गयी। किसानों के लिए होने वाली बारिश किसी आपदा से कम नहीं है। खेत में भूसा के लिए छोड़ी गई पराली भी भीग कर बर्बाद हो गई है। जिससे मवेशियों के निवाले के लिए संकट खड़ा हो गया है।

पौली संवाद के अनुसार मड़ाई शुरू होने से पहले पानी में भीगने से गेहूं के दाने खराब होने का खतरा बढ़ गया है। वहीं अगर मड़ाई हो भी गई तो भूसे भी खराब ही आएगा। बेमौसम बारिश जैसे ही होना शुरू हुआ ही किसान झटपट अपनी फसलों को तिरपाल से ढ़ककर बचाने में जुट रहे। वहीं जिनके पास ढंकने का दूसरा कोई विकल्प नहीं था वे टकटकी लगाए खेतों व खलिहान में रखी गई गेहूं के फसलों की बर्बाद होते देखते रह गए। अचानक हुई बारिश ने अधिकांश किसानों की कमर तोड़ दी है। पहले से ही कम उपज का दंश झेल रहे किसानों की बारिश ने आर्थिक रूप से कमजोर बना दिया है। नुकसान से किसानों के सामने धान की फसल की तैयारी का संकट खड़ा होता नजर आ रहा है।

कटी फसल को सुखाने की जुगत में लगे हैं किसान

किसानों की फसलें बारिश होने से पूरी तरह से भीग गई हैं। कहीं-कहीं खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है। किसान अपनी पूंचाने के लिए जल्दी से जल्दी भीगे गेहूं को सुखाने की फिराक में हैं। नमी बने रहने से दानों में जमाव शुरू होने की आशंका है। इससे पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी। किसान इससे होने वाले नुकसान को कम से कम करने की जुगत में लगे हैं। मौसम खुलने पर धूप निकली तो किसान खेतों में पहुंच गए। गेहूं की फसल को सुखाने की जुगत में लग गए हैं। भीगी फसल को सुखवाने के लिए फैला रहे शिव नरायन ने कहा कि अगर जल्दी सूख जाएगी तो कुछ उपज मिल जाएगी। मुनाफा न सही कम से कम लागत तो निकल आए।

किसान विश्वविजय सिंह ने कहा कि गेहूं कटाई का काम आधा-अधूरा ही हुआ था कि बुधवार को हुई बूंदा-बांदी ने इस पर ब्रेक लगा दिया। वहीं गुरुवार को हुई झमाझम बारिश ने कई दिनों तक कटाई-दंवाई का काम बंद कर दिया है। बारिश से 45 से 50 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। तेज हवाओं से खेतों में खड़ी और पड़ी गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका बढ़ गई है।

राधेश्याम पांडेय ने कहा कि बारिश ने काफी नुकसान पहुंचाया है। अब अगर सही मौसम रहा तो भी खेत में लगे पानी को सूखने में दो दिन लगेगा। जो फसल कटी है उसे सुखाने में कई दिन लगेंगे। इससे जहां फसल की पैदावार भी कम मिलेगा वहीं गेंहू की चमक खत्म हो जाती है और वह काला हो जाएगा। इससे दाम भी कम मिलंगे। इस बीच भूसा की भी दिक्कत हो गई है।

विनोद चौरसिया ने बताया कि अभी कुछ ही कटिया का काम हुआ था। फसल अभी खेत में ही पड़ी थी। कटी फसल में भूसा बनाना बाकी था। अब इस फसल में पानी भर गया है। जो फसल गिर गई है उसमें जमा शुरू हो जाएगा। पानी में डूबी फसल के दाने खराब हो जाएंगे। साथ ही भूसे का रंग भी बदल जाएगा। इस नुकसान से किसानों की चिंता बढ़ गई है।

झिनकान निषाद ने कहा कि किसी तरह पैसे का इंतजाम करके गेंहू की बुआई हुई थी। फसल भी ठीक थी। जब कटने की बारी आई बारिश ने भविष्य के कई अरमानो पर पानी फेर दिया। फसल के भीगने से अब न उतना पैदावार होगी न ही गेंहू का दाना अच्छा होगा। इससे तो लागत भी निकलना मुश्किल लग रहा है। प्रकृति की मार हम किसानों को हर मौसम में सहना पड़ता है।

राजेन्द्र सिंह ने कहा कि बीस बीघा गेहूं की बुबाई की थी। फसल पक तैयार थी। कटाई की व्यवस्था करने के प्रयास में लगे थे। यदि समय रहते फसल की कटाई हो गई होती तो नुकसान नहीं होता। बारिश व हवाओं के फसल गिर गई है। इसकी मशीन से कटाई कराना मुश्किल काम होगा। इस बीच यदि मौसम फिर खराब हुआ तो काफी नुकसान हो जायेगा।

महेन्द्र यादव ने कहा कि इस बार की फसल काफी अच्छी थी। फसल देखकर लग रहा था कि काफी फायदा होगा। लेकिन जो समय गेहूं की तैयार फसल के कटाई व भंडारण का होता है उस समय में ही बेमौसम बारिश होने से हम लोगों के अरमानों पर पानी फिर गया है। बारिश में भीगने के चलते लगभग 25 प्रतिशत का नुकसान होगा। कीमत कम लगेगी उसका नुकसान अलग से होगा।

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