जनपद में 55 करोड़ रुपए मैटेरियल का दिसंबर से बकाया
Shahjahnpur News - 2005 में शुरू की गई मनरेगा योजना पिछले कुछ सालों से कागजों तक सीमित हो गई है। बजट की कमी के कारण मजदूरों को समय पर भुगतान नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी समस्याएं बढ़ रही हैं। उत्तर प्रदेश में भी इसी कारण...

गांव के लोगों को गांव में रोजगार और गांव की तरक्की- विकास को 2005 में शुरू की गई, मनरेगा योजना पिछले कुछ सालों से धरातल पर गायब होकर कागजों तक सीमित होते दिख रही है। जिससे मजदूरों को मनरेगा से मोहभंग हो रहा है। वही ग्राम प्रधान लोग भी मनरेगा में समय से बजट न मिलने से कामकाज कराने में हाथ पीछे खींच रहे हैं। राज्य क्या जिला पूरे देश में मनरेगा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में बजट का टोटा पड़ा हुआ है, जिससे वेतन भत्ते, मैटेरियल व मजदूरों की मजदूरी भी समय से मिलने के लाले पड़े हुए हैं। मनरेगा बेबसाइट पर आईडी की रिपोर्ट के आंकड़ों की माने तो उक्त योजना 34 राज्यों में चलाई जा रही है, जिसमें 1 दिसंबर 2024 से मैटेरियल, प्रशासनिक मद में बजट नहीं आ रहा है। मैटेरियल का बजट 23 हजार 561 करोड़ रुपए बकाया चल रहा है। इसमें 817.76 करोड़ रुपए आफिस, वेतन-भत्ते के भी लंबित पड़े हुए हैं। जिससे कार्मिक भी परेशान है।
बात अगर उत्तर प्रदेश राज्य की करे तो यहां भी दिसंबर से मैटेरियल का 3699.32 करोड़ शासन स्तर पर लंबित पड़ा हुआ है। जिससे सभी जिलों में कामकाज प्रभावित है। डीसी मनरेगा बाल गोविंद शुक्ला ने बताया कि रबी फसल कटाई चलने की वजह से गांवों में मनरेगा मजदूरों की कमी बनी हुई है। जो भी डिमांड आ रही है, उसके आधार पर मनरेगा में कार्य दिया जा रहा है। डीएम के निर्देशन पर अंतोदय गोदाम, गोशाला निर्माण, आवास निर्माण कार्य पूर्ण कराए जाने के निर्देश बीडीओ को दिए गये है। एक एक कार्य की रोजाना मानीटरिंग जिला स्तर से की जा रही है। मनरेगा मजदूरों को समय से भुगतान हो, इसके लिए विभाग प्रयासरत हैं।
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