दक्षिणांचल में अब भी फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को विवश हैं ग्रामीण
Sonbhadra News - दक्षिणांचल के म्योरपुर और बभनी गांव के 94 गांवों के लोग फ्लोराइड युक्त दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। जल निगम ने कुछ गांवों में सोलर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए, लेकिन मरम्मत न होने के कारण ये बेकार...

म्योरपुर, हिन्दुस्तान संवाद। दक्षिणांचल में सरकार के तमाम प्रयासों और दावों के बीच अब भी म्योरपुर, बभनी गांव के 94 गांव के लोग फ्लोराइड युक्त दूषित पानी पीने को विवश हैं। दर्जन भर गावों में जल निगम ने सोलर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाया है, लेकिन मरम्मत के अभाव में दूषित पानी निकल रहा है। वहीं म्योरपुर के पडरी में अब तक फ्लोराइड रिमूवल प्लांट नहीं लगाया जा सका है। म्योरपुर ब्लाक के बभनडीहा गांव के प्रधान संत कुमार का कहना है कि जल निगम ने सभी प्लांटों को पंचायत को हैंडओवर कर दिया, जिसकी जानकारी पंचायत को भी नहीं है और उसकी मरम्मत कैसे हो कौन करेगा इसकी जानकारी ही नहीं हो पाती है। फ्लोराइड प्रभावित ग्राम पंचायत पड़री में खनिज निधि से जिलाधिकारी के निर्देश पर सोलर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट के लिए दो साल पहले धन की स्वीकृति हो चुकी है। बावजूद इसके वहां बोरिंग के बाद प्लांट की स्थापना नहीं की गई। ग्राम प्रधान करोड़पतियां देवी का कहना है कि लगभग दो सौ घरों के 600 लोगों को फ्लोराइड मुक्त पानी देने का प्लान है, लेकिन जिला प्रशासन ने जिस सरकारी एजेंसी को काम सौंपा है वह काम ही नहीं करा रही है। यही नहीं पडरी के बोदराडॉड में दो तीन सौ की विस्थापित आबादी रिंहद जलाशय का पारा और भारी तत्वों वाला पानी पीने को पिछले 60 वर्षों से विवश है। गांव के जमुना का कहना है कि रास्ता न होने से वहां टैंकर भी नहीं जा पाता है। पिछले महीने मंडलायुक्त और जिलाधिकारी ने फ्लोराइड प्रभावित सभी गावों में टैंकर से पानी आपूर्ति की बात कही थी। मनवसा में सार्वजनिक सभा में ऐलान भी किया था और फ्लोराइड से होने वाले प्रभाव की जानकारी दी थी, लेकिन वह दो गावों में सिमट कर रह गया। ग्रामीण सुदर्शन, जमुना, विशंभर देव नारायण, कृष्णा, असर्फी लाल, दिल बोध, रमेश, सुरेश, अनीता, कुसुम सरिता आदि ने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताया कि फ्लोराइड युक्त पानी पीने से कमर दर्द, पाचन क्रिया में गड़बड़ी, थकान होता रहता है। हम लोग दर्द की गोली खा कर किसी तरह काम धंधा करते है। सरकार को इस गंभीर समस्या का स्थाई हल निकलना चाहिए। बताया कि पडरी में 2022 में ही जल निगम ने जांच कर बताया था कि हैंडपंपों के पानी में फ्लोराइड है। जिलाधिकारी ने संज्ञान में लेकर धन भी आवंटित किया लेकिन ठेकेदार के लापरवाही से दो साल में प्लांट तक नहीं लगा।
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