Devotees Celebrate Chaitra Navratri with Worship of Goddess Brahmacharini मां ब्रह्माचारिणी स्वरुप दर्शन पूजन कर भक्त हुए निहालं, Sonbhadra Hindi News - Hindustan
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मां ब्रह्माचारिणी स्वरुप दर्शन पूजन कर भक्त हुए निहालं

Sonbhadra News - सोमवार को चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन, श्रद्धालुओं ने मां ब्रह्मचारिणी का दर्शन-पूजन किया। मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी, जहां उन्होंने नारियल, चुनरी और पुष्प अर्पित किए। सुरक्षा व्यवस्था मजबूत थी...

Newswrap हिन्दुस्तान, सोनभद्रMon, 31 March 2025 03:22 PM
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मां ब्रह्माचारिणी स्वरुप दर्शन पूजन कर भक्त हुए निहालं

सोनभद्र, संवाददाता। वासंतिक नवरात्र के दूसरे दिन सोमवार को भगवती के दूसरे स्वरूप ब्रह्माचारिणी का दर्शन-पूजन हुआ। जगह-जगह मंदिरों में श्रद्धालुओं ने मत्था टेका तो कई लोगों ने घरों से ही दुर्गा सप्तशती का पाठ किया। कई जगह भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ। मातारानी के जयकारे से मंदिर के आसपास का क्षेत्र गूंजता रहा। राबर्ट्सगंज के शीतला माता मंदिर में सुबह करीब छह बजे ही श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति लगानी शुरू कर दी थी। मातारानी के श्रृंगार के बाद जैसे ही पट खुला, दर्शन-पूजन करने वाले लोग पांच-पांच की संख्या में दर्शन के लिए प्रवेश किए। शीतला माता की जय, मां दुर्गा की जय से क्षेत्र गूंजने लगा। भक्तों की कतार में महिला, पुरुष बच्चे सभी नजर आए। आस-पास नारियल-चुनरी की दुकानों पर भी खरीदार दिखे। इसी तरह दुर्गा मंदिर, संतोषी माता मंदिर और सातों शीतला मइया मंदिर में भी श्रद्धालुओं की उपस्थिति देखी गई। दर्शन पूजन करने के लिए अल सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई।

डाला प्रतिनिधि के अनुसार: चैत नवरात्रि के दूसरे दिन वैष्णो मंदिर में सोमवार को मां दुर्गा की नवशक्ति स्वरूप ब्रह्मचारिणी का हजारों दर्शनार्थियों ने दर्शन पूजन किया। श्रद्धालुओं के हाथ में नारियल, चुनरी, पुष्प, माला मां को अर्पित करने के लिए था। भक्तों कि कतार आदिशक्ति का दर्शन पूजन वंदन करते हुए मन्नतें पूरी करने की आस के साथ बाहर निकलते रहे। माता का दरबार लाल चुनरी से सजावट की गई थी। प्रधान पुजारी पं. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि भोर में मंगला आरती के बाद मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। सोमवार को मां के द्वितीय स्वरुप ब्रम्हचारिणी और तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा का पूजन किया गया है। सुबह के दौरान दर्शनार्थियों की तादात बहुत कम थी लेकिन दोपहर बाद श्रद्धालुओं कि भीड़ दिखाई देने लगी। दर्शन के लिए भक्त नीचे सिढी से मां के दरबार तक कतारबद्ध होकर खड़े रहे। दर्शनार्थी मां की दर्शन के दौरान या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तयै नमो नम: का जाप करते रहे। सुरक्षा व्यवस्था में मंदिर कमेटी व डाला चौकी प्रभारी आशीष पटेल मय फोर्स मुस्तैद रहे।

शक्तिपीठ मां ज्वालामुखी मंदिर में चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन सोमवार को मां ब्रह्मचारिणी की स्वरूप की पूजा की गई। सुबह से ही श्रद्धालुओं का हुजूम मंदिर में उमड़ पड़ा। ढोल नगाड़ों के साथ पूरा मंदिर परिसर भक्तिमय हो गया।

मेला समिति के वालंटियर, शक्तिनगर पुलिस के साथ एबीवीपी के छात्रों ने भी सुरक्षा व्यवस्था में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। मंदिर परिसर में सीसीटीवी फुटेज के साथ मेला परिसर में लगभग आधा दर्जन से अधिक सीसीटीवी फुटेज चालू हो चुके हैं। बारी-बारी से लोग माताजी को प्रसाद चढ़ाकर सुख समृद्धि की कामना की। गर्मी में श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क पेयजल व्यवस्था के साथ दूर दराज से आए साधु संत व बाहरी लोगों के लिए रुकने ठहरने और भोजन की भी व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर में दर्जनों पंडितों द्वारा भक्तों को रक्षा सूत्र व तिलक लगाने में लगे हुए हैं। मंदिर के पुजारी श्लोकी मिश्रा ने बताया कि मां भगवती ब्रह्मचारिणी के दर्शन से सभी मनोकामना पूर्ण होते हैं।

चैत्र नवरात्र रामनवमी के पहले दिन रविवार को श्रद्धालुओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्रों बजरंगी झंडे का विधिवत पूजन किया। इसके बाद मां काली, भद्रकाली आदि शक्तियों का आह्वान कर नगर स्थित मंदिरों में दर्शन किए।

रात करीब सात बजे परंपरा के अनुसार महावीर मंदिर केंद्रीय अखाड़ा समिति, रामनगर डीहवार बाबा जेबीएस अखाड़ा समिति, रामलीलाडांड अखाड़ा समिति, मल्देवा अखाड़ा समिति, बाबूगंज अखाड़ा समिति, डुमरडीहा अखाड़ा सहित जाबार, धनौरा आदि अखाड़ों के सदस्यों ने अपने लाठी डंडे और अन्य अस्त्र-शस्त्रों से लैस होकर संकटमोचन तिराहे मंदिर पहुंचे। जहां सभी अखाड़ों ने महावीरी झंडे के नीचे एकत्र होकर युद्ध कौशल कलाओं का प्रदर्शन किया। केंद्रीय जय बजरंग अखाड़ा समिति के अध्यक्ष पंकज जयसवाल ने बताया कि वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार चैत्र नवरात्र रामनवी के प्रथम दिन दुद्धी के अखाड़े एक भव्य जुलूस निकालता है। इसमें तलवार, भाला, लाठी, डंडा सहित विभिन्न पारंपरिक तरीके से युद्ध कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। इसके बाद सभी अखाड़े अपने-अपने अखाड़ा स्थलों के लिए प्रस्थान किए।

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