विशेषज्ञ डॉक्टर न संसाधन, सपना बनकर रह गया बेहतर इलाज
Unnao News - उन्नाव के मौरावां में बने सौ बेड अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों और संसाधनों की कमी के कारण मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। अस्पताल में केवल ओपीडी चल रही है, जबकि सर्जरी के लिए मरीजों...

उन्नाव, संवाददाता। मौरावां में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बना सौ बेड अस्पताल का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों और संसाधनों की कमी है। अस्पताल में डॉक्टर सिर्फ ओपीडी तक ही सीमित रह जाते हैं। पर्याप्त संसाधन न होने की वजह से अस्पताल खुद ही ‘बीमार सा पड़ गया है। ग्रामीण क्षेत्र की आबादी को बेहतर इलाज के लिए जिला मुख्यालय की दौड़ न लगानी पड़े, इसके लिए मौरावां में सौ बेड अस्पताल का निर्माण कराया गया है। जिला अस्पताल की तर्ज पर यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति के साथ इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश थे।
वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 39 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुए अस्पताल का लोकार्पण भी किया था। आनन-फानन अस्पताल को क्रियाशील भी कर दिया गया, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति से लेकर संसाधनों की उपलब्धता पर गंभीरता नहीं बरती गई। यही वजह है कि करोड़ों की लागत से बनकर तैयार इस अस्पताल का लाभ क्षेत्र की आबादी को नहीं मिल पा रहा है। सौ बेड के संयुक्त अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद अभी भी रिक्त हैं। इसके अलावा जनरल फिजीशियन के दो पद रिक्त हैं। गायनोलॉजिस्ट की तैनाती न होने से गर्भवती महिलाओं को भी इलाज नहीं मिल पाता है। टीबी रोग स्पेशलिस्ट, चेस्ट स्पेशलिस्ट, इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर, त्वचा रोग विशेषज्ञ का पद भी रिक्त है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के न होने से मरीजों को ओपीडी में इलाज नहीं मिल पाता है। अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं, एक्सरे जांच सेवा भी बंद अस्पताल में प्रतिदिन सौ से अधिक मरीज पेट की बीमारियों से संबंधित आते हैं। अलट्रासाउंड मशीन उपलब्ध न होने से मरीजों की जांच नहीं हो पाती है। मजबूरन मरीजों को प्राइवेट सेंटरों पर जांच करानी पड़ती है। साथ ही, अस्पताल में एक्सरे जांच सेवा भी ठप है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक्सरे मशीन उपलब्ध कराई गई थी, लेकिन वह अब तक चालू नहीं हो पाई है। सर्जरी के लिए जिला अस्पताल भेजे जाते हैं सौ बेड अस्पताल में सर्जन के दो पद हैं। इसमें से सिर्फ एक सर्जन की तैनाती हुई थी। हालांकि, वह अपनी सेवाएं अस्पताल को नहीं दे पा रहे हैं। इससे अस्पताल में सर्जरी भी नहीं होती है। सर्जरी से संबंधित मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है। 36 की जगह सिर्फ तीन स्टाफ नर्स तैनात अस्पताल में 36 के मुकाबले सिर्फ तीन स्टाफ नर्स की तैनाती है। स्टाफ नर्स की कमी होने से स्वास्थ्य सेवाओं का संचालन नहीं हो पा रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती के लिए शासन और विभाग के अधिकारियों को पत्र भेजा जा चुका है। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड और एक्सरे मशीन के लिए भी पत्राचार किया जा चुका है। -डॉ. रवि अघोरिया, सीएमएस
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