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यूपी सरकार ने PDA के साथ किया भेदभाव, विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार पर सपा का सदन से वॉकआउट

  • विश्वविद्यालयों में हो रही नियुक्तियों में नियमों की अनदेखी व पिछड़ा-दलित -अल्पसंख्यक (पीडीए) के साथ भेदभाव का मामला सोमवार को विधानसभा में गूंजा। विपक्ष ने सरकार पर एक ही जाति के कुलपतियों की नियुक्ति करने का आरोप लगाया।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, लखनऊ, विशेष संवाददाताMon, 3 March 2025 07:33 PM
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यूपी सरकार ने PDA के साथ किया भेदभाव, विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार पर सपा का सदन से वॉकआउट

विश्वविद्यालयों में हो रही नियुक्तियों में नियमों की अनदेखी व पिछड़ा-दलित -अल्पसंख्यक (पीडीए) के साथ भेदभाव का मामला सोमवार को विधानसभा में गूंजा। विपक्ष ने सरकार पर एक ही जाति के कुलपतियों की नियुक्ति करने का आरोप लगाया। सरकार ने इससे इनकार किया तो इससे असंतुष्ट होकर समाजवादी पार्टी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। सदन में सोमवार को सपा के संग्राम सिंह यादव ने कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय समेत तमाम विश्वविद्यालयों में नियमों को ताक पर रख नियुक्तियां की जा रही हैं। ‘पीडीए’ समाज की उपेक्षा हो रही है। यूपी के 22 विश्वविद्यालयों में एक खास वर्ग के कुलपति नियुक्त किए गए हैं। एक ही व्यक्ति को बार कुलपति बनाया जा रहा है। असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्तियों में गड़बड़ी जा रही है।

सपा के ही डॉ. आरके वर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालयों में अयोग्य लोगों को बढ़ावा देकर प्रोन्नत किया जा रहा है। उन्होंने इस बाबत कई उदाहरण दिए तो अध्यक्ष सतीश महाना ने टोका कि व्यक्तिगत न होईए। इन आरोपों को नकारते हुए उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि नए विश्वविद्यालयों की नियुक्ति सरकार के जिम्मे है। बाकी पहले के सभी विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा होती है। जहां तक कार्यपरिषद चुनाव की बात है तो सरकार विश्वविद्यालयों को निर्देशित करेगी कि इस बाबत जरूरी कार्यवाही करें। लखनऊ विश्वविद्यालय में नियमानुसार पद भरे गए हैं। विश्वविद्यालयों में चयन की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी पूर्ण है। विश्वविद्यालय स्वयत्तशासी होते हैं।

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कंजर जाति को अहेरिया लिखा जाए

सपा विधायक कमाल अख्तर ने नियम-56 में कंजर जाति के सम्मान का सवाल उठाया। कहा कि कंजर जाति लिखने की वजह से स्कूल व नौकरी के वक्त अपमान की निगाह से देखा जाता है। सामाजिक तौर पर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है। इसमें कोई आरक्षण मांगने वाली बात नहीं है। सरकार जाति प्रमाण पत्र में कंजर न लिखकर अहेरिया लिखने का प्रस्ताव विधानसभा से पास कराए। इसके अलावा पासी जाति और धनखड़ जाति के प्रमाण पत्र मिलने में मुश्किलें आ रही हैं।