ऑनलाइन सट्टेबाजी पर लगाम को नया कानून बनाए सरकार, हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि ऑनलाइन गेमिंग, सट्टेबाजी जैसे वर्चुअली अपराधों को रोकने के लिए तत्काल प्रभावी कानून बनाए जाने की आवश्यकता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि ऑनलाइन गेमिंग, सट्टेबाजी जैसे वर्चुअली अपराधों को रोकने के लिए तत्काल प्रभावी कानून बनाए जाने की आवश्यकता है। कोर्ट ने इसकी विधायी व्यवस्था के लिए राज्य सरकार को आर्थिक सलाहकार प्रो. केवी राजू की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन करने और उस समिति में प्रमुख सचिव, राज्य कर के साथ विशेषज्ञों को भी शामिल करने का निर्देश दिया है। यह समिति वर्तमान स्थिति का आकलन करते हुए एक विधायी व्यवस्था बनाएगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने आगरा के इमरान खान व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग, सट्टेबाजी जैसे वर्चुअली अपराधों पर लगाम के लिए फिलहाल कोई प्रभावी कानून नहीं है। सार्वजनिक जुआ अधिनियम 1867 औपनिवेशिक युग का कानून था, जो आज के दौर में प्रासंगिक नहीं रह गया है। वर्चुअली सट्टेबाजी या जुआ अब राज्य और राष्ट्र की सीमा से परे जा चुका है। सर्वर सिस्टम दुनिया की दूसरी सीमाओं में हैं, जिस पर कोई नियंत्रण नहीं है।
देश के किशोर और युवा आसानी से पैसे कमाने के चक्कर में इसकी चपेट में आ रहे हैं। इससे उनमें अवसाद, चिंता, अनिंद्रा के साथ सामाजिक विघटन की स्थिति बढ़ रही है। निम्न और मध्यम वर्ग ऑनलाइन गेम उपलब्ध कराने वाले प्लेटफॉर्म के झांसे में आकर आर्थिक नुकसान उठा रहे हैं। कोर्ट इन चुनौतियों से निपटने के लिए रजिस्ट्रार को आदेश की प्रति प्रदेश शासन के मुख्य सचिव को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है ताकि कि इसका अनुपालन हो सके।
याचियों के खिलाफ आगरा के मंटोला थाने में सार्वजनिक जुआ अधिनियम के तहत तीन साल पहले प्राथमिकी दर्ज हुई थी। 27 दिसंबर 2022 को आरोप पत्र दाखिल होने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट ने याचियों को नोटिस जारी किया था। याचियों की ओर से याचिका दाखिल कर युक्त आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुआ खेलने वालों के खिलाफ कोई प्रभावी कानून नहीं है। सार्वजनिक जुआ अधिनियम के तहत अधिकतम दो हजार जुर्माना और 12 महीने तक की कैद का प्रावधान है लेकिन फ़ैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर और ई-स्पोर्ट्स जैसे ऑनलाइन गेम्स को लेकर कानून अस्पष्ट है। क्योंकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में संचालित होते हैं। बड़ी संख्या में युवा इसकी जद में आकर नुकसान उठा रहे हैं।
भौतिक जुआ घरों पर लगाम लगाता था 1867 का कानून
भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा जुआ गतिविधियों को विनियमित करने और सार्वजनिक जुआ घरों को दबाने के लिए लागू किया गया औपनिवेशिक युग का कानून है। अपने समय में यह ताश के खेल, पासे पर सट्टा लगाना, भौतिक जुआ घरों को विनियमित करता था। अधिनियम के तहत अधिकतम जुर्माना 500 रुपये या तीन महीने तक कैद थी। वर्ष 1867 में यह पर्याप्त निवारक था लेकिन आज नगण्य है।
यूके, अमेरिका सहित कई देशों ने बनाए हैं प्रावधान
जुआ नियंत्रित करने के लिए यूके, अमेरिका सहित दुनिया के कई विकसित देशों ने प्रावधान बनाए हैं। यूके ने 2005 में जुआ अधिनियम लागू किया। इस कानून में लाइसेंसिंग आवश्यकताओं, आयु सत्यापन प्रोटोकॉल, जिम्मेदार विज्ञापन मानकों और धन शोधन विरोधी उपायों सहित कई तरह के प्रावधान शामिल किए गए हैं। साथ ही आयोग भी बनाया गया है। ऑस्ट्रेलिया ने 2001 में और संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यू जर्सी और पेंसिल्वेनिया जैसे राज्यों ने ऑनलाइन कैसीनो को पूरी तरह से वैध और विनियमित किया है। इस बीच, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया सहित कई अन्य देशों ने भी ऑनलाइन सट्टेबाजी की व्यवस्था की है। आदेश में कहा गया है कि भारत के नीति आयोग ने दिसंबर 2020 में एक नीति पत्र जारी किया था लेकिन अभी यह एक ग्रे क्षेत्र में है।