New Colony in Varanasi Faces Infrastructure Challenges Residents Demand Roads and Sewers बोले काशी- गंगा-यमुना और सरस्वती चाहें सुगम राह, अफसरों की परवाह, Varanasi Hindi News - Hindustan
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बोले काशी- गंगा-यमुना और सरस्वती चाहें सुगम राह, अफसरों की परवाह

Varanasi News - वाराणसी में न्यू सेंट जांस कॉलोनी के निवासियों को सड़क और सीवर की कमी का सामना करना पड़ रहा है। नागरिक पिछले तीन वर्षों से नगर निगम से मदद की मांग कर रहे हैं। बारिश के मौसम में जलजमाव और बिजली की...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीMon, 21 April 2025 06:05 PM
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बोले काशी- गंगा-यमुना और सरस्वती चाहें सुगम राह, अफसरों की परवाह

वाराणसी। वाराणसी शहर के सबसे पुराने इंग्लिश मीडियम स्कूल-सेंट जांस-के नाम से बसी कॉलोनी का संशोधित संस्करण कुछ खास है। संशोधित संस्करण यानी न्यू कॉलोनी के तीन फेज का नामकरण ‘गंगा-यमुना और सरस्वती के नाम से किया गया है। संभवत: विस्तारित शहर में यह अनोखा नामकरण होगा। उन गंगा, यमुना और सरस्वती के बाशिंदों की सबसे बड़ी जरूरत सड़क और सीवर लाइन है। जागरूक नागरिक पिछले लगभग तीन वर्षों से नगर निगम के अफसरों के अलावा अपने जनप्रतिनिधियों से भी गुहार लगा रहे हैं। उन्हें सुगम राह और अफसरों की दरकार है। नगर निगम के नवसृजित वार्ड मड़ौली की अच्छी कॉलोनियों में शुमार है न्यू सेंट जांस कॉलोनी। मड़ौली-मंडुवाडीह रोड पर सेंट जांस स्कूल के सामने बसी कॉलोनी में ज्यादातर बहुमंजिले मकान अपनी डिजाइनों के चलते दूर से ही ध्यान खींचते हैं। इस कॉलोनी में किसी कॉलोनाइजर ने प्लाटिंग नहीं की है। लोगबाग खुद जमीन खरीद कर मकान बनवाते चले गए। इसलिए सभी सड़क और सीवर जैसी जरूरी बुनियादी सुविधाओं का अभाव झेल रहे हैं। ‘यमुना लेन में जुटे नागरिकों ने ‘हिन्दुस्तान को बताया कि सड़क का अभाव, बरसात के दिनों में भारी जलजमाव और जनप्रतिनिधियों का इस कॉलोनी से दुराव उनकी प्रमुख समस्याएं हैं। संजीव कुमार सिंह, डॉ. देवेशचंद्र के मुताबिक, लगभग दो दशक पहले बसी कॉलोनी में मलबा पटवा कर सड़क चलने लायक किया गया है। जिला पंचायत के समय सड़क का प्रस्ताव बना था मगर कुछ माह बाद कॉलोनी नगर निगम की सीमा में आ गई। उसके बाद से सड़क निर्माण पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। श्रीप्रकाश बिंद ने बताया कि नगर निगम को कब-कब ज्ञापन दिए गए। उन्हें हर बार आश्वासन मिला है। बोले, हिम्मत नहीं हारी है। देखना है कि इस कार्यकाल में अफसर सड़क की कमी पूरी करते हैं या नहीं।

सीवर लाइन नहीं, भारी जलजमाव

‘गंगा-यमुना-सरस्वती का कुछ हिस्सा ढलाऊ है। श्रीप्रकाश सिंह ने बताया कि कभी ईंट-भट्ठा चलता था यहां। इसलिए जमीन नीची हो गई। कुछ सस्ती मिली तो लोगों ने उसे खरीद कर मकान बनवा लिया। मलजल के निस्तारण के लिए सभी घरों में सोख्ता टैंक बने हैं जो तेज बारिश में साथ नहीं देते। तब नारकीय स्थिति हो जाती है। सोनू दुबे ने कहा कि सीवर लाइन की भी शुरू से मांग उठाई जा रही है। उसके अभाव में सामान्य जलनिकासी भी नहीं हो पाती। कई दिनों तक दिनचर्या बाधित रहती है। बच्चों का स्कूल-कॉलेज छूट जाता है।

डेढ़ किमी दूर ट्रांसफार्मर

न्यू सेंट जांस कॉलोनी के लगभग 300 मकानों को एक किमी दूर लगे ट्रांसफार्मर से बिजली आपूर्ति होती है। मनोज यादव, मणि त्रिपाठी ने बताया कि मड़ौली-मंडुवाडीह रोड पर एक पेट्रोल पंप के पास 400 केवीए क्षमता का ट्रांसफार्मर लगा है। दूरी के चलते आपूर्ति के दौरान लो वोल्टेज, ट्रिपिंग प्राय: हर दिन की समस्या है। गर्मी के दिनों में समस्या बढ़ जाती है। तब कूलर-एसी बेकार लगने लगते हैं। नागरिकों के मुताबिक, कॉलोनी में कहीं ट्रांसफार्मर लगाने के लिए विभागीय अफसरों से आग्रह होता रहा है लेकिन अभाव का तर्क देकर अब तक आग्रह पूरा नहीं किया गया है। कॉलोनी के गंगा और सरस्वती लेन में नए खंभों की भी दरकार है। विभाग ने बांस-बल्लियों के सहारे तार दौड़ा रखे हैं।

खुले में कूड़ा, कभी उठान नहीं

विकास राणा, चंदन मिश्रा ने दिखाया कि डस्टबिन न होने से खाली जगह कूड़ा-कचरा फेंका जाता है। कुछ प्लाट की बाउंड्री के लगभग बराबर कूड़ा-कचरा जमा हो गया है। धुआं से बचने के लिए लोगबाग कचरा को जलाने से परहेज करते हैं। उसके उठान का इंतजाम नहीं है। इस बाबत लोगों ने अपने पार्षद को फोन पर कई बार शिकायत की है। चंदन ने कहा कि पार्षद का इस कॉलोनी से न जाने क्यों लगाव बहुत कम दिखता है। सफाईकर्मियों की सक्रियता की कोई चर्चा नहीं करना चाहता। डॉ. देवेशचंद्र ने कहा कि गंदगी के चलते शाम के बाद हर लेन में मच्छरों की भनभनाहट सुनी जा सकती है। मच्छर जनित बीमारियां भी अक्सर सिर उठाती रहती हैं।

दूर है स्वास्थ्य केन्द्र

गंगा-यमुना और सरस्वती के बाशिंदों को कॉलोनी या आसपास सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र, आरोग्य मंदिर की कमी खटकती है। संजीव कुमार सिंह, रामजी गौड़ ने बताया कि किसी जरूरत पर काशी विद्यापीठ ब्लॉक के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाना पड़ता है जो यहां से लगभग तीन किमी दूर है। मंड़ौली-मंडुवाडीह रोड पर कई निजी नर्सिंग होम हैं मगर वहां इलाज कराना सभी के लिए संभव नहीं है। बबलू मौर्या ने कहा कि नजदीक स्वास्थ्य केन्द्र होने से महिलाओं और बच्चों को काफी राहत मिलेगी।

वोटर आईडी कार्ड नहीं बने

न्यू सेंट जांस कॉलोनी के लोगों ने एक विचित्र शिकायत की। डॉ. देवेशचंद्र ने बताया कि अनेक मकान में रहने वालों के अभी वोटर आईडी कार्ड नहीं बने हैं क्योंकि इधर बीएलओ कभी नहीं आते। आप लोगों ने इसके लिए खुद पहल क्यों नहीं की अथवा ऑनलाइन आवेदन क्यों नहीं किया-इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं मिला। विवेक नारायण वर्मा ने माना कि इस मामले में हमारी भी कमी है। सिर्फ बीएलओ को दोष नहीं दिया जा सकता। दूसरी ओर, जन्म या मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए ज्यादातर लोग ऑनलाइन आवेदन करते हैं। चंदन मिश्रा ने बताया कि ऑनलाइन में कुछ देर जरूर होती है मगर प्रमाणपत्र बन जाते हैं।

सुझाव

1. न्यू सेंट जांस कॉलोनी में सड़क का यथाशीघ्र निर्माण कराया जाए ताकि इस बरसात कीचड़ और गड्ढों से भरे रास्ते पर न चलना पड़े।

2. कॉलोनी की ‘गंगा-यमुना-सरस्वती लेन में सीवर लाइन बिछवाई जाए। इससे हर साल बरसात में दिक्कतें झेलने से राहत मिलेगी।

3. कॉलोनी में अलग से बिजली का एक नया ट्रांसफार्मर लगे ताकि आए दिन लो वोल्टेज, ट्रिपिंग की समस्याएं न झेलनी पड़े।

4. कॉलोनी के सभी फेज में बड़े डस्टबिन रखवाए जाएं। कूड़ा उठान के साथ झाड़ू भी रोज लगे। फॉगिंग के साथ कीटनाशकों का छिड़काव हो।

5. कॉलोनी में अथवा कहीं निकट सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र खुले। वहां जरूरी जांच की सभी सुविधाओं और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

शिकायतें

1. कॉलोनी को विगत डेढ़ दशक से सड़क का इंतजार है। लोगों ने अपने खर्च से मलबा पटवा कर चलने लायक रास्ता बनवाया है।

2. सीवर लाइन और जलनिकासी का इंतजाम न होने से हर साल बारिश के दिनों में बहुत फजीहत झेलनी पड़ती है। भारी जलजमाव से दिनचर्या बाधित हो जाती है।

3. एक किमी दूरी पर लगे ट्रांसफार्मर से बिजली आपूर्ति होने पर अक्सर लो वोल्टेज, ट्रिपिंग की समस्या बनी रहती है। गर्मी में यह दिक्कत बढ़ जाती है।

4. कॉलोनी में कुछ खाली प्लाट कूड़ा डंपिंग ग्राउंड बन गए हैं। न रोज झाड़ू लगती है और न ही कूड़े का रोज उठान होता है। गंदगी से मच्छर बढ़ गए हैं।

5. बीमारी की स्थिति में लोगों को तीन-चार किमी दूर काशी विद्यापीठ ब्लॉक पर स्थित पीएचसी जाना पड़ता है। महिलाओं को बहुत दिक्कत होती है।

सुनें हमारी पीड़ा

कॉलोनी की हर लेन में हम लोगों ने मलबा पटवाया है, तब चलने लायक रास्ता बना। बारिश में मुश्किल होती है।

-संजीव कुमार सिंह

सीवर लाइन और जलनिकासी का इंतजाम न होने से हर साल बारिश के दिनों में बहुत फजीहत झेलनी पड़ती है।

-मणि त्रिपाठी

बिजली विभाग कॉलोनी में ही कहीं ट्रांसफार्मर लगवा दे तो लो वोल्टेज और ट्रिपिंग की समस्याओं से मुक्त मिल जाएगी।

-बृजेश पांडेय

कॉलोनी में न रोज झाड़ू लगती है और न ही कूड़े का रोज उठान होता है। गंदगी से मच्छर बढ़ गए हैं।

-बबलू मौर्य

कॉलोनी में या आसपास सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र बने तो बहुत बड़ी आबादी को काफी सहूलियत हो जाएगी।

-विकास राणा

कूड़ा उठान के साथ कॉलोनी में रोज झाड़ू भी लगे। फॉगिंग के साथ कीटनाशकों का छिड़काव कराया जाए।

-डॉ. देवेश चंद्र

गंगा-यमुना और सरस्वती के बाशिंदों को कॉलोनी या आसपास आरोग्य मंदिर की कमी खटकती है।

-प्रमोद जायसवाल

हमारे पार्षद का इस कॉलोनी से अब तक लगाव नहीं हो पाया है वरना एक-दो बार दिखते जरूर।

-चंदन मिश्रा

गंदगी के चलते शाम के बाद हर लेन में मच्छरों की भनभनाहट सुनी जा सकती है। मच्छर जनित बीमारियां भी होती हैं।

-सोनू कुमार दुबे

कॉलोनी बनने के बाद से ही सड़क और सीवर की समस्या नगर निगम के सामने रखी जा रही है मगर समाधान नहीं मिल रहा।

-श्रीप्रकाश बिंद

बोले जिम्मेदार

सेंट जांस न्यू कॉलोनी के यमुना लेन की सड़क का टेंडर हो चुका है। एक महीने में काम शुरू हो जाएगा। सीवर का प्रस्ताव फिलहाल अधर में है। बिजली विभाग के अधिकारियों से विद्युत से जुड़ी समस्याओं का समाधान कराया जाएगा।

-मोतीलाल पटेल उर्फ घासी, पार्षद-मड़ौली वार्ड

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