बोले काशी- मलबा से बनी सड़क पर मलजल, यही है नवशहरी होने का प्रतिफल
Varanasi News - वाराणसी के बाबा विश्वनाथ नगर के निवासियों ने नगर निगम से बुनियादी सुविधाओं की मांग की है। तीन सालों से क्षेत्र में सड़कें गड्ढेदार हैं और सीवर लाइनें नहीं हैं, जिससे जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो रही...
वाराणसी। परिसीमन के बाद नगर निगम क्षेत्र में जुड़े ग्रामीण इलाके नवशहरी बने तो उनकी अपेक्षाएं भी बढ़ गईं। तीन साल से वे उन बुनियादी सुविधाओं के लिए छटपटा रहे हैं जिन्हें वे ग्राम या जिला पंचायत के जरिए नहीं पा सके थे। उन इलाकों में एक है नवशहरी मड़ौली वार्ड की कॉलोनी बाबा विश्वनाथ नगर। तीन साल से मलबा से बनी, कई जगह गड्ढेदार हो चुकी सड़क पर मलजल फैला रहता है। दूसरी समस्याओं ने भी सिर उठा रखा है। नागरिक नगर निगम के अफसरों के निशान ढूंढ़ रहे हैं। नगर निगम के लिए नवशहरी इलाके वाकई गंभीर चुनौती बन गए हैं। वहां समस्याओं का विकराल रूप देख उन इलाकों से जनप्रतिनिधि और निगम के अफसर कतराते हैं। राजस्व रिकार्ड में चुरामनपुर अब गांव नहीं, 95 प्रतिशत तक शहरी लगता है। इसीलिए शहरी होने का आभास लिए बाशिंदों में नागरिक सुविधाओं के लिए बेचैनी भी अधिक है। कॉलोनी में एक कान्वेंट स्कूल के पास जुटे नागरिकों ने ‘हिन्दुस्तान से अपना दु:ख-दर्द बयां किया। आरएल शुक्ला, कमलेश्वर पांडेय, पंकज गौतम, संदीप शर्मा लगभग एक स्वर में बोल पड़े-‘हमें कुछ मिले या न मिले, सीवर लाइन एवं चौड़ी सड़क की सुविधा मिल जाए तो वही पर्याप्त होगा। बताया कि तीन फेज में बसी कॉलोनी में लगभग पांच सौ मकान बने हैं। (अनेक प्लाट अभी खाली भी हैं)। तीन हजार के आसपास आबादी है। आठ लेन में विकसित कॉलोनी में कहीं भी न सीवर लाइन है न 10 फीट चौड़ी सड़क है। बामुश्किल आठ फीट की सड़क के किनारे सभी बसते गए। भविष्य में सीवर लाइन बिछने की उम्मीद में लोगों ने सोख्ता टैंक बनवा लिए। तीर्थराज सिंह, विनोद गुप्ता ने कहा, आप पता कर लें। इधर कुछ वर्ष से बरसात के दिनों में सोख्ता टैंक जवाब देने लगते हैं। तब बहुत नारकीय स्थिति हो जाती है। संदीप शर्मा ने ध्यान दिलाया कि आपको मड़ौली तिराहा से चुरामनपुर ओर मुड़ते ही जगह-जगह सड़क पर गंदा पानी बहता हुआ दिखा होगा। यह 12 महीने की समस्या है, बारिश के दिनों में कई रूपों में गंभीर हो जाती है।
सस्ती पड़ी ईंट-भट्ठे की जमीन
बाबा विश्वनाथ नगर में ज्यादातर मकान ईंट-भट्ठे की जमीन पर बने हैं। इस नाते वह सामान्य सड़क से कहीं पांच तो कहीं 10 फीट तक नीची है। इसका परिणाम, हर बरसात में जलजमाव झेलना पड़ता है। वह भी कई दिनों तक। उमाशंकर पटेल, धर्मेन्द्र चौबे बोले कि सीवर लाइन होती तो उससे भी काम चल जाता। बाशिंदों ने स्वीकार किया कि 15-20 वर्ष पहले यहां जमीन अन्य जगहों की अपेक्षा सस्ती थी, इसलिए खरीदी मगर यह नहीं सोचा था कि आगे चलकर इस कदर दुश्वारियां झेलनी पड़ेंगी।
कंधे पर ले जाते हैं रोगी
पंकज गौतम, विपुल पांडेय, रिंकू मौर्या, दीनानाथ सेठ और महेश शुक्ला ने दिखाया कि कहां तक सीमेंटेड सड़क है। उसके आगे कॉलोनी के लोगों ने ही मलबा मंगवाकर मिट्टी की सड़क पर रोलिंग करवाई है। मलबा से बनी सड़क भी कई जगह गड्ढेदार हो गई है। इस रोड के चलते कॉलोनी में एंबुलेंस नहीं आती। विनोद गुप्ता ने कैंसर पीड़ित माधुरी गुप्ता का उदाहरण दिया। माधुरी के बेटे ने एक बार हालत गंभीर होने पर एंबुलेंस को कॉल किया। सड़क का हाल देख एंबुलेंस चालक ने कॉलोनी के मोड़ से आगे जाने से इंकार कर दिया। तब बेटों ने मां को कंधे पर बैठाया, फिर अस्पताल ले गए। सूर्यभान राय ने कहा-‘यह दर्द कॉलोनी के लगभग सभी बुजुर्ग नागरिकों का है कि इमरजेंसी में यहां एंबुलेंस सुविधा नहीं मिल सकती।
बिजली विभाग की भी दरियादिली
वीडीए, नगर निगम ने बाबा विश्वनाथ नगर कॉलोनी की ओर से आंखें मूंदे रखीं तो बिजली विभाग क्यों नियम-कानून का ध्यान रखता। उसने ज्यादातर मकानों में बिजली के कनेक्शन बांस-बल्लियों के ही सहारे दे दिए हैं। लगभग एक दर्जन सीमेंटेड खंभों से तार गुजरे हैं। सीपी पांडेय, उमाशंकर पटेल, मनोज विश्वकर्मा, सुभाषचंद त्रिपाठी ने बताया कि हमसे कनेक्शन के समय खंभों का भी चार्ज वसूला गया लेकिन बल्लियों से तार दौड़ाए गए। उस समय इलाकाई जेई ने कहा कि अभी खंभे नहीं हैं। इसी से कुछ दिन काम चलाइए। कुछ दिन के इंतजार में 15 वर्ष बीत गए। धर्मेन्द्र चौबे ने बताया कि लगातार तेज हवा या आंधी से तार टूटते या डिस्टर्ब होते हैं। फिर कई घंटे कटौती झेलनी पड़ती है।
स्ट्रीट लाइटों की दरकार
कॉलोनी के लोगों के मुताबिक स्ट्रीट लाइटों की जरूरत इसीलिए नहीं है कि शाम के बाद बाहर आने-जाने में दिक्कत न हो। बल्कि उसकी बड़ी जरूरत इसलिए है कि अंधेरा न रहने से कॉलोनी में जहां-तहां नशेड़ियों, शराबियों की बैठकी नहीं होगी। तीर्थराज सिंह, वीपी सिंह, बीरबल यादव और आशीष मिश्रा ने कई घटनाएं बताईं जब शराबियों के उपद्रव से असहज स्थिति पैदा हो गई थी। लोगों ने कहा कि इधर लोहता पुलिस कभी गश्त करने नहीं आती। चोरी या मारपीट की घटना होने पर फोन करना पड़ता है।
निशान ढूंढ़ते हैं कदमों के
बाबा विश्वनाथ नगर के नागरिकों की शिकायत है कि तीन वर्षों के दौरान नगर निगम के अफसर एक बार नहीं आए। कमलेश्वर पांडेय, वीपी सिंह, दीनानाथ सेठ, राजेन्द्र यादव ने बताया कि क्षेत्रीय पार्षद दो बार आए हैं। क्षेत्र के विधायक एवं प्रदेश सरकार के मंत्री अनिल राजभर कई बार अगल-बगल आए। यहां आग्रह के बाद भी नहीं आए। आरएल शुक्ला ने कहा कि महापौर या नगर आयुक्त एक बार खुद आ जाएं या अपने प्रतिनिधि से यहां की दिक्कतें दिखवा लें तब भी कुछ न कुछ समाधान होने की संभावना जग जाएगी। कोई आए तो। संदीप शर्मा ने टिप्पणी की-‘हम तीन साल से नगर निगम के अफसरों एवं अपने जनप्रतिनिधियों के कदमों के निशान ढूंढ़ रहे हैं।
बने नेचुरल डंपिंग ग्राउंड
बीते तीन वर्षों से नगर निगम का छोटा कारिंदा भी बाबा विश्वनाथ नगर की ओर नहीं आया तो बुनियादी समस्याओं पर कौन ध्यान देगा-यह सवाल पंकज गौतम ने किया। बात सफाई और कूड़ा उठान की शुरू हुई थी। दिखाया कि तीनों फेज में खाली पड़े प्लाट ही कूड़ा-कचरा के नेचुरल डंपिंग ग्राउंड बन गए हैं। वहीं प्लास्टिक समेत कई तरह का कचरा वर्षों से जमा हो रहा है। जाहिर है, यह माहौल मच्छरों के लिए मुफीद होता है। इस कॉलोनी के लोग भी मच्छरों की शाम से देर रात तक भनभनाहट से जूझते हैं। यहां फॉगिंग कभी नहीं हुई है। बाशिंदों ने जोर दिया कि आधा दर्जन डस्टबिन के साथ कूड़ा उठान का इंतजाम बहुत जरूरी है।
बंद रहती है सीएचसी
बाबा विश्वनाथ नगर लोहता और मड़ौली वार्डों की सरहद पर बसा है। कॉलोनी से एक रास्ता चंदापुर, केराकतपुर होते हुए लोहता-भदोही मार्ग से जुड़ता है। यह रास्ता भी सही नहीं है। विनोद गुप्ता ने ध्यान दिलाया कि कॉलोनी से लगभग एक किमी दूर लोहता सीएचसी है। वह अक्सर बंद रहती है। आरएल शुक्ला ने बताया कि वहां किसी ने अपना आवास बना लिया है। नागरिकों ने जोर दिया कि यदि उसे व्यवस्थित कर दिया जाए तो आसपास की बड़ी आबादी को इमरजेंसी में असुविधा या परेशानी नहीं होगी।
सुझाव
1. बाबा विश्वनाथ नगर में प्राथमिकता के आधार पर नगर निगम के अफसर, जनप्रतिनिधि विजिट करें और समस्याएं महसूस करें।
2. कॉलोनी में उच्च प्राथमिकता के आधार पर सीवर लाइन बिछवाने की पहल हो। साथ ही जलनिकासी का भी प्रबंध होना चाहिए।
3. कॉलोनी के तीनों फेज में सड़क बनवाई जाए। जहां जरूरत पड़े, उसकी चौड़ाई भी बढ़ाई जाए।
4. लोहता सीएचसी में ओपीडी एवं जरूरी जांच की सुविधाएं मुहैय्या कराई जाएं। इससे बहुत बड़ी आबादी को राहत होगी।
5. कॉलोनी में डस्टबिन रखवाने के साथ रोज कूड़ा उठान की व्यवस्था हो। स्ट्रीट लाइटें लगवाई जाएं। बिजली के ढीले तार सही करवाए जाएं।
शिकायतें
1. बाबा विश्वनाथ नगर में सीवर ओवरफ्लो साल भर की समस्या है। बारिश के दिनों में जलजमाव से भी दिनचर्या अस्तव्यस्त हो जाती है।
2. मलबा से बनी सड़क बारिश में बह जाती है। सामान्य दिनों में उस पर चलने से एंबुलेंस चालक इंकार कर देते हैं।
3. नगर निगम के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने पिछले तीन साल में एक बार भी इस कॉलोनी में विजिट नहीं किया है।
4. कॉलोनी से लगभग एक किमी दूर लोहता सीएचसी अक्सर बंद रहती है। वहां किसी ने अपना आवास भी बना लिया है।
5. कॉलोनी में न डस्टबिन हैं और न किसी खंभे पर स्ट्रीट लाइट लगी है। पुलिस की कभी गश्त नहीं होती।
हमारी भी सुनें
तीन साल से हम नगर निगम के अफसरों, जनप्रतिनिधियों के कदम के निशान ढूंढ़ रहे हैं।
संदीप शर्मा
कायदे की सड़क न होने से एंबुलेंस चालक ने कैंसर की मरीज को ले जाने इंकार कर दिया।
विनोद कुमार गुप्ता
कॉलोनी के लोगों ने मिलकर मलबा डलवाया तो मिट्टी की सड़क चलने लायक हुई।
-पंकज गौतम
मंत्री, महापौर या नगर आयुक्त एक बार खुद आ जाएं तब भी कुछ न कुछ समाधान हो जाएगा।
-आरएल शुक्ला
स्ट्रीट लाइटें से कॉलोनी में जहां-तहां नशेड़ियों, शराबियों की बैठकी नहीं होगी।
-तीर्थराज सिंह
समस्याओं के समाधान के लिए मंत्रीजी को पत्रक देने के साथ समाधान का आग्रह किया जाएगा।
-पंकज पांडेय
खाली प्लाट कूड़ा-कचरा के नेचुरल डंपिंग ग्राउंड बन गए हैं। मच्छरों की संख्या बढ़ती जा रही है।
-विपुल पांडेय
इतनी बड़ी कॉलोनी में एक स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था तीन साल में नहीं हो सकी है।
-बीरबल यादव
लगातार तेज हवा या आंधी से बिजली के तार डिस्टर्ब होते हैं। कई घंटे कटौती झेलनी पड़ती है।
-धर्मेन्द्र चौबे
शराबियों के चलते अक्सर असहज स्थिति पैदा होती है। लोहता पुलिस इधर गश्त नहीं करती।
-वीपी सिंह
कनेक्शन के समय खंभों का भी चार्ज वसूला गया लेकिन बल्लियों से तार दौड़ाए गए।
-उमाशंकर पटेल
यहां जमीन सस्ती थी, इसलिए खरीदी मगर यह नहीं सोचा था कि इस कदर दुश्वारियां झेलनी पड़ेंगी।
-महेश शुक्ला
बोले पार्षद
बाबा विश्वनाथ नगर काफी ढलान में बनी कॉलोनी है। वहां सीवर लाइन के लिए निकासी पॉइंट ढूंढ़ा जाएगा। उसके बाद सड़क का कार्य भी होगा। जल्द ही कॉलोनी के लोगों के साथ बैठ कर समस्या के समाधान का प्रयास होगा।
मोती लाल पटेल उर्फ घासी, पार्षद-मंड़़ौली वार्ड
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