Residents of Ramnagar Varanasi Demand Better Drainage Amid Fears of Flooding बोले काशी: पोखरे पर कब्जा और शौचालय जर्जर, यही है मंजर, Varanasi Hindi News - Hindustan
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बोले काशी: पोखरे पर कब्जा और शौचालय जर्जर, यही है मंजर

Varanasi News - वाराणसी के रामनगर मोहल्ले के निवासी जल निकासी की कमी से परेशान हैं। बरसात में जल जमाव के कारण घरों में पानी घुसने की समस्या उत्पन्न होती है। स्थानीय लोग आंदोलन की योजना बना रहे हैं क्योंकि उनकी...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीTue, 15 April 2025 09:24 PM
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बोले काशी:  पोखरे पर कब्जा और शौचालय जर्जर, यही है मंजर

वाराणसी। शहर में अनेक मोहल्ले ऐसे हैं जहां जल निकासी के समुचित इंतजाम नहीं हैं। परिणाम यह कि थोड़ी बारिश जलजमाव का दंश देने लगती है। ऐसा ही मोहल्ला है रामनगर का रामपुर कलवरिया। वर्षों से समस्याओं का दर्द झेलते झलते यहां के निवासी थक से गए हैं। शिकायतें अनसुनी हो गई हैं, नगर निगम में शामिल होने के बाद लोगों की पीड़ा थामने को कौन कहे, बढ़ती ही गईं। आश्वासन और भरोसे से ऊब चुके स्थानीय लोग अब आंदोलन की राह पर चलने का मन बना रहे हैं। सायर माता मंदिर के पास जुटे मोहल्लेवासियों ने ‘हिन्दुस्तान से चर्चा में खुलकर अपनी पीड़ा सुनाई। मोहल्ले में उपलब्ध सुविधाओं की दुर्दशा भी दिखाई। उनका कहना था कि अभी तो गर्मी का मौसम चल रहा है लेकिन आगामी बरसात में होने वाले जल जमाव का डर मन में समाया हुआ है। कारण कि पिछले वर्षों में जल जमाव के चलते घर में रहने की स्थिति तक नहीं बन पाई। थोड़ी देर की बारिश के बाद घरों में पानी घुसने लगता है। अगर समय रहते जल निकासी का प्रबंध कर दिया जाए तो राहत जरूर मिल सकेगी, लेकिन इन समस्याओं की गई शिकायतों का असर अब तक नहीं दिखा है। ऐसे में लगता है कि अबकी बार भी हम लोगों को जल जमाव के बीच ही बरसात बितानी पड़ेगी। लोगों का तो यहां तक कहना था कि जन प्रतिनिधियों ने केवल आश्वासन दिया, लेकिन किया कुछ नहीं। वर्षों से दुर्दशा झेल रहे हैं। कुछ दिन और इंतजार कर लेते हैं अगर संबंधित विभागों ने सुनवाई नहीं की तो समस्या समाधान के लिए आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा।

घरों में घुस जाता गंदा पानी

सुशील श्रीवास्तव ने बताया कि बरसात में घरों में पानी घुस जाता है, सीवर है लेकिन उसकी क्षमता कम है। और तो और, यह जाम भी हो गया है। पानी निकल नहीं पाता और सड़क पर फैला रहता है। उसके बीच से आने जाने की मजबूरी हो जाती है। रमेश पटेल के मुताबिक पास में ही महता का पोखरा है। कभी इसी पोखरे के सहारे मोहल्ले का पानी निकल जाता था। अब पोखरे के बड़े भू भाग पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है जिससे उसका आकार सिकुड़ गया है। सीवर के लेवल और पोखरे के लेवल में ऊचाई के चलते भी जल जमाव झेलना पड़ रहा है। यह आरोप भी लगाया कि निगम के राजस्व विभाग और सदर तहसील के लेखपाल-कानूनगो की मदद से अवैध कब्जा करने वालों ने अपना नाम भी चढ़वा लिया है। एक भूमाफिया ने दस बिस्वा जमीन पर कब्जा करके बाउंड्री कर लिया है। इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए। मोहल्ले को तालाब का पूरा लाभ मिलना चाहिए।

दरवाजे पर गंदगी और बदबू

मोहल्ले की राजकुमारी और तेतरी व्यवस्था पर बेहद आक्रोशित दिखीं। बताया कि यहां दशकों पहले महिला शौचालय बना था। अब जर्जर हो गया है। उसका लाभ नहीं मिल पाता। कितनी महिलाएं सुबह में शौच करने से भी वंचित रहती हैं। शौचालय के आसपास गंदगी भरी रहती हैं। इससे बहुत तकलीफ होती है और इसका लाभ नहीं मिल पाता। शौचालय के पास कई बड़े वाहनों के खड़ा होने से परेशानी होती है। यहां अनेक घरों में शौचालय नहीं है। ऐसे में सार्वजनिक शौचालय ही आधार है। इसकी शिकायत तो कई बार की गई। यह स्थिति अफसरों और जनप्रतिनिधियों के संज्ञान में है, लेकिन इसे सुधारने और संवारने की दिशा में कोई प्रयास नहीं हो रहा है। घर के दरवाजे से गंदगी और बदबू का सिलसिला शुरू हो जाता है।

नहीं मिल रहा पोखरे का लाभ

राजकुमार और राहुल ने कहा कि पोखरे को नया रूप देने के लिए शिलान्यास तक हुआ, लेकिन इसके बाद कोई काम हुआ ही नहीं। शिलान्यास के दौरान सभी को खुशी थी कि तो चलो अब कई समस्याओं से मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन आज तक कोई राहत नहीं मिली है। वह भी हवा हवाई ही साबित हुआ। यहां एक नहीं बल्कि दो सार्वजनिक शौचालय हैं। एक तो जर्जर स्थिति में पहुंच गया और दूसरे को तोड़कर कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है। यह सैकड़ों वर्ष पुराना था। इन दोनों ही शौचालयों पर यहां के काफी लोग निर्भर हैं। कई लोगों के घर में तो शौचालय भी नहीं है। ऐसे में उनकी पीड़ा का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।

शिकायतें हुईं बेअसर

प्रमोद, मनोज श्रीवास्तव व प्रवीण ने कहा कि रामनगर की व्यवस्था नगर निगम की परिधि में पहुंच गई है। जब इसकी घोषणा हुई तो लोगों में विकास होने की उम्मीद जगी कि अब किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। हमारी बुनियादी सुविधाएं पहले से काफी बेहतर हो जाएंगी, लेकिन यह उम्मीद जैसे सपना सी हो गई। स्थितियां सुधरने के बजाय और बदतर ही होती चलीं गई। यह उम्मीद केवल हमारी ही नहीं बल्कि पूरे मोहल्ले की थी। अब सुविधाओं की दुर्दशा देखकर बहुत पीड़ा होती है। कब सुधार आएगा, कोई बताने वाला नहीं है। कहा कि यहां के अनेक लोग तो यह भी नहीं जानते कि उनके जन प्रतिनिधियों का नाम क्या है। पार्षद पर भी भेदभाव करने की बात कही।

शिकायतों पर नहीं होती सुनवाई

सुरेश कुमार व विनोद ने कहा कि शौचालय पर कब्जे से महिलाओं को काफी परेशानी होती है। गंदगी से जीना दूभर हो गया है, लेकिन सुनवाई और कार्रवाई नहीं होने के कारण इसी के बीच जीना पड़ रहा है। कुछ समझ में नहीं आता कि अब किससे कहा जाए, कैसे रहा जाए। कुछ दिन और देख लेते हैं, अगर विभागीय लोगों ने पहल की तो ठीक नहीं तो हम सभी लोग आंदोलन की राह पकड़ेंगे। धोबी घाट का भी पुरसाहाल नहीं है। पोखरे पर कब्जा कब हटेगा, कोई बताने वाला नहीं है। ऐसी दशा में हम लोग जीवन गुजार रहे हैं।

गली में तारों का जंजाल

वेद प्रकाश और तेजू ने कहा कि मोहल्ले में कई बस्तियां हैं। कई जगह पर तारों का जंजाल है। हर समय करंट का भय बना रहता है। जनप्रतिनिधि से शिकायत तो की गई लेकिन अब तक कुछ सुधार नहीं हुआ। थोड़ी सी बरसात में जल जमाव हो जाता है। कहा कि शिकायतों पर समस्याओं के समाधान का भरोसा देने में कोई पीछे नहीं रहता है। जब शिकायत की जाती है तो कहते हैं कि ठीक करा देंगे, लेकिन कब सुविधाएं ठीक होंगी, बताने वाला कोई नहीं है।

सुझाव

अभी तो गर्मी का मौसम चल रहा है, ऐसे में अगर समय रहते ही जल निकासी का प्रबंध कर दिया जाता तो राहत जरूर मिल सकेगी।

जन प्रतिनिधि समस्याओं के समाधान के लिए केवल आश्वासन ही नहीं दें, बल्कि उसके समाधान की दिशा में गंभीरता से पहल भी करें।

पोखरे पर कब्जे को लेकर गंभीरता से जांच की जानी चाहिए ताकि मोहल्ले को तालाब और तालाब का पूरा लाभ मिलना सुनिश्चित हो सके।

दशकों पहले मोहल्ले में बनाए गए सार्वजनिक शौचालय को व्यवस्थित करने के साथ ही दूसरे शौचालय को कब्जे से मुक्त कराना चाहिए।

मोहल्ले में हर जगह तारों का जंजाल है। हर समय करंट का भय बना रहता है। तारों के जंजाल से मुक्ति दिलाने के कदम उठाना जरूरी है।

शिकायतें

पिछले वर्षों में जल जमाव के चलते घर में रहने की स्थिति तक नहीं बन पाई। समस्याओं को लेकर की गई शिकायतें बेअसर हो जाती हैं।

लेखपाल की मदद से अवैध कब्जा करने वालों ने अपना नाम तक चढ़वा लिया। कभी शिकायत करने पर वे लोग दबंगई दिखाने लगते हैं।

सीवर की क्षमता कम है। जाम भी हो गया है। पानी निकल नहीं पाता, सड़क पर फैला रहता है। उसमें से ही आने जाने की मजबूरी होती है।

पोखरे पर अवैध कब्जे से उसका आकार तक बहुत कम हो गया है। मोहल्ले के लोगों को इस पोखरे का पूरा उपयोग नहीं कर पाते हैं।

शौचालय के आसपास गंदगी भरी रहती हैं। इससे बहुत तकलीफ होती है। घर के दरवाजे से गंदगी और बदबू का सिलसिला शुरू हो जाता है।

शौचालय के आसपास गंदगी से हम लोगों को बहुत दिक्कत होती है। कोई सुनवाई नहीं की जाती है।

-तेतरी

जल निकासी की सुविधा नहीं होने से गंदा पानी लग जाता है। उसके बीच से होकर जाना पड़ता है।

-राजकुमारी

गंदगी, दुर्गंध से हम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। इस गंभीर समस्या से मुक्ति दिलाने की आवश्यकता है।

-अदरी

गली में पानी भर जाने से घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। किसी तरह दिनचर्या करते हैं।

-बदामी

मोहल्ले में कई जगह तारों का जंजाल है। हर समय करंट का भय बना रहता है।

-वेद प्रकाश

मोहल्ले की दुर्दशा देखकर बहुत पीड़ा होती है। इसमें कब सुधार होगा, कोई बताने वाला नहीं है।

-प्रवीण कुमार श्रीवास्तव

सीवर की क्षमता कम है। जाम भी है। पानी फैला रहता है। उसी से आने-जाने की मजबूरी है।

-सुशील श्रीवास्तव

थोड़ी बारिश में जलजमाव हो जाता है। शिकायत करने पर समाधान का सिर्फ आश्वासन मिलता है।

-तेजू

पोखरे को नया रूप देने के लिए शिलान्यास भी हो गया लेकिन उसके बाद कोई काम नहीं हुआ है।

-राजकुमार राजू

यहां दो सार्वजनिक शौचालय हैं। एक जर्जर हो गया है जबकि दूसरे पर कुछ लोगों का कब्जा है।

-प्रमोद बघेल

कई लोगों के दरवाजे से गंदगी-बदबू का सिलसिला शुरू हो जाता है। यह बहुत पीड़ादायक है।

-रमेश पटेल

भय सता रहा कि अबकी बार भी हम लोगों को कहीं जल जमाव के बीच बरसात न झेलनी पड़े।

प्रमोद श्रीवास्तव

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