महिला दिवस: समझाना मुश्किल होता है किन परिस्थितियों से जूझते हैं फ्लाइट कैप्टन
- किन परिस्थितियों से फ्लाइट कैप्टन जूझते हैं ये समझाना मुश्किल होता है। किस तरह की समस्याएं सामने आती हैं। महिला दिवस पर पढ़ें घरेलू-अन्तरराष्ट्रीय फ्लाइट उड़ाने वाली कैप्टन कृतिका से खास बातचीत के अंश।

बारिश के दौरान रनवे पर जब विशालकाय जहाज उतरते हैं तो पहियों और सतह के बीच पानी की एक परत रहती है। यह काफी खतरनाक होती है। ऐसे में ‘एक्वा प्लानिंग’ यानी एक खास योजना में विमान को उतारा जाता है। कभी कभी उतरते समय हल्का झटका महसूस होता है। अक्सर विमान में बैठे यात्री इस पर नाराज हो जाते हैं लेकिन नहीं जानते कि कैप्टन ने किस बड़े जोखिम से उनको सुरक्षित निकाला है। कभी बड़े विमानों के पायलट ज्यादातर पुरुष होते थे। अब महिलाओं ने यह परम्परा तोड़ी और अपना दबदबा कायम किया। उन्हीं में हैं लखनऊ में रहने वाली कृतिका।
उनके पास देश-विदेश में उड़ान का 1700 घंटे का अनुभव है। इस दौरान कई बार जहाज बादलों के बीच टर्बुलेंस में फंसा तो कभी रनवे पर उतरते समय तिरछी हवा चुनौती बनी। यह वह स्थिति होती है जिसमें विमान फंस जाए तो दुर्घटना का खतरा होता है। ऐसे में सुरक्षित स्थिति न दिखने पर रनवे तक पहुंचने के बावजूद विमान को वापस हवा में उड़ा लेना होता है। कभी ऐसा भी होता है कि एयर ट्रैफिक कंजेशन के कारण फ्लाइट लेट होती है। जब उड़ान की अनुमति मिलती है तब तक ड्यूटी ऑवर खत्म हो चुका होता है। ऐसे में तुरंत जहाज छोड़ना होता है।
सुशांत गोल्फ सिटी में रहने वाली कृतिका के अनुसार पायलट के लिए प्रत्येक फ्लाइट किसी चुनौती से कम नहीं होती है। उसके कंधों पर यात्रियों को सुरक्षित रखने की बड़ी जिम्मेदारी होती है। इसलिए हर सकेंड पूरी तरह सतर्क रहना होता है। वर्ष 2012 में उन्होंने फ्लाइंग शुरू की थी। इसके बाद 2020 में प्रमुख एयरलाइंस में कॉमर्शियल एयरलाइंस की जिम्मेदारी मिली। इसके पहले लाइसेंस मिलने के बाद अलीगढ़, अयोध्या में फाल्कन उड़ाया था।
आसमान ही नहीं जमीन पर भी भरती हैं फर्राटा
छुट्टियों के दौरान कृतिका को ड्राइविंग करना बेहद पसंद है। 500 से 800 किलोमीटर की ड्राइविंग अपने अभिभावकों के साथ अच्छा संगीत सुनते हुए करती हैं। उनके माता, पिता और भाई को उनकी ड्राइविंग पर बेहद विश्वास है।