सांप के जहर में फंसे यूट्यूबर एल्विश यादव ने ली हाईकोर्ट की शरण, केस रद्द करने की मांग
सांप के जहर के दुरुपयोग के मामले में फंसे यूट्यूबर एल्विश यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली है। एल्विस ने कथित रेव पार्टी आयोजित करने और सांप के जहर के दुरुपयोग के मामले में दर्ज मुकदमे की चार्जशीट व जारी समन आदेश को रद्द करने की मांग की है।

यूट्यूबर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर एल्विश यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली है। उन्होंने कथित रेव पार्टी आयोजित करने और सांप के जहर के दुरुपयोग के मामले में दर्ज मुकदमे की चार्जशीट व जारी समन आदेश को रद्द करने के लिए याचिका दाखिल की है। एल्विश यादव पर आरोप है कि वह रेव पार्टियों का आयोजन करते थे, जहां विदेशी नागरिक भी बुलाए जाते थे, जो लोगों को सांप के ज़हर और अन्य मादक पदार्थों का सेवन कराते थे। सूचना देने वाले ने आरोप लगाया कि जब उसने एल्विश यादव से संपर्क किया तो यादव ने उसे एक व्यक्ति राहुल से मिलवाया जिसने रेव पार्टी आयोजित कराने पर सहमति दी।
एल्विश यादव के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 9, 39, 48ए, 49, 50 और 51, भारतीय दंड संहिता की धारा 284, 289 और 120बी तथा एन डी पी एस एक्ट की धारा 8, 22, 29, 30 और 32 के तहत सेक्टर-49 थाना, नोएडा, जिला गौतमबुद्ध नगर में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। चार्जशीट दाखिल होने के बाद प्रथम अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, गौतम बुद्ध नगर द्वारा समन भी जारी किया गया। एल्विश यादव ने अपनी याचिका में कहा कि मुकदमा दर्ज कराने वाला व्यक्ति वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत अधिकृत व्यक्ति नहीं है। वह खुद को पशु कल्याण अधिकारी बताकर झूठा दावा कर रहा है।
याचिका में यह भी कहा गया कि न तो कोई सांप और न ही कोई मादक पदार्थ उनके पास से बरामद हुआ है। इसके अलावा, अभियुक्त और अन्य सह-अभियुक्तों के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध स्थापित नहीं किया गया। यह भी कहा कि सर्वविदित तथ्य है कि याचिकाकर्ता एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर है। विभिन्न टेलीविजन रियलिटी शो में भी नजर आता है। स्वाभाविक रूप से इस मामले में उसका नाम जुड़ने के कारण मीडिया में काफी हलचल हुई। इसी वजह से पुलिस अधिकारियों ने भी अतिरिक्त संवेदनशीलता दिखाते हुए एडीपीएस एक्ट की धाराएं भी लगा दीं, लेकिन बाद में इन धाराओं को साबित न कर पाने के कारण हटा दिया गया। यह भी दलील दी गई कि याची के खिलाफ आरोप अस्पष्ट और निराधार है और अन्य सह-आरोपियों के बीच कोई संबंध नहीं दिखाया गया।