A 20 year old job selection prompts challenge in Uttarakhand HC नियुक्ति में गड़बड़ी, 20 साल बाद HC पहुंचा शख्स; यूनिवर्सिटी को क्या आदेश?, Uttarakhand Hindi News - Hindustan
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नियुक्ति में गड़बड़ी, 20 साल बाद HC पहुंचा शख्स; यूनिवर्सिटी को क्या आदेश?

एक युवक को खुद के साथ हुए धोखाधड़ी का 20 साल बाद पता चला। पहले तो उसने यूनिवर्सिटी के वीसी और मुख्यमंत्री को न्याय की मांग करते हुए पत्र लिखा, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। उसके बाद उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

Subodh Kumar Mishra पीटीआई, नैनीतालThu, 17 April 2025 03:00 PM
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नियुक्ति में गड़बड़ी, 20 साल बाद HC पहुंचा शख्स; यूनिवर्सिटी को क्या आदेश?

एक युवक को खुद के साथ हुए धोखाधड़ी का 20 साल बाद पता चला। पहले तो उसने यूनिवर्सिटी के वीसी और मुख्यमंत्री को न्याय की मांग करते हुए पत्र लिखा, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। उसके बाद उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कुमाऊं विश्वविद्यालय से दो दशक पहले की गई नियुक्ति के बारे में दस्तावेज पेश करने को कहा है। एक जनहित याचिका में दावा किया गया था कि सही उम्मीदवार के बजाय गलत व्यक्ति का चयन किया गया था।

पवन कुमार मिश्रा ने अपनी जनहित याचिका में दावा किया कि 2005 में विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग में व्याख्याता के पद के लिए उनके चयन के बावजूद उन्हें नियुक्त नहीं किया गया। उनके स्थान पर प्रमोद कुमार मिश्रा नामक व्यक्ति की भर्ती कर ली गई, क्योंकि उनका नाम भी उनसे मिलता-जुलता था। दोनों ने अपना संक्षिप्त नाम पी के मिश्रा लिखा है।

जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस गुहानाथन नरेंद्र और जस्टिस आलोक मेहरा की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय को नियुक्ति से संबंधित सभी दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया।

गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाले याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि यह नियुक्ति तत्कालीन रजिस्ट्रार, डीन (विज्ञान), विभागाध्यक्ष (भौतिकी) और विश्वविद्यालय के अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत से की गई। याचिका में कहा गया कि चयनित उम्मीदवार के स्थान पर नियुक्त व्यक्ति अभी भी विश्वविद्यालय में भौतिकी पढ़ा रहा है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्हें कथित धोखाधड़ी के बारे में लगभग 20 साल बाद नवंबर 2024 में पता चला। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति और मुख्यमंत्री को न्याय की मांग करते हुए पत्र लिखा, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

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