हिमालयी वनों में कार्बन स्टॉक मापन चुनौतियों पर चर्चा
दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में शनिवार को पर्यावरणीय चुनौतियों पर एक विशेष सम्मेलन आयोजित हुआ। विशेषज्ञों ने कार्बन स्टॉक मापने में अनिश्चितताओं को कम करने और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के मूल्यांकन...

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में शनिवार को विशेष सम्मेलन में पर्यावरणीय चुनौती पर गहन विमर्श किया गया। वक्ताओं ने पारिस्थितिकी तंत्र सेवा मूल्यांकन और कार्बन वित्त के लिए कार्बन स्टॉक माप में अनिश्चितताओं को कम करने पर विचार रखे। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र तथा सिडार संस्था द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में अकादमिक, तकनीकी और नीतिगत पृष्ठभूमि के 18 विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। सिडार के डॉ. विशाल सिंह ने सेवाओं की संभावनाओं और विश्वसनीय तंत्रों पर कहा कि कार्बन स्टॉक का उचित मापन किया जा सकता है। आईईईई के वरिष्ठ निदेशक चंद्रशेखरन ने कहा, उनका संस्थान प्रौद्योगिकी के सामाजिक प्रभाव और समाज के प्रति जिम्मेदारी पर ध्यान देता है।
पारिस्थितिकीविद् प्रो. एसपी सिंह ने पारंपरिक ज्ञान के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि पेड़ों की छंटाई करना पूरे पेड़ को काटने से बेहतर है। रितेश शर्मा, लारैब अहमद, डॉ. गजेन्द्र सिंह ने चीड़ और साल जैसी चर्चित प्रजातियों से परे देखने की जरुरत बताई। अनिल गौतम ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि हमें यह जानना होगा कि कार्बन संचित करने के लिए कितना वनरोपण आवश्यक है। आईएफएस अधिकारी एसएस रसायली ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण, कार्बन स्टॉक से निपटने के साथ ही स्थानीय लोगों और जमीनी स्तर के हितधारकों तक पहुंचना होगा।
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