Uttarakhand Forest Department Faces Training Crisis Due to Lack of Weapons वन विभाग के अफसरों को ट्रेनिंग देने के लिए न बंदूक, न गोला-बारूद, Haldwani Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttarakhand NewsHaldwani NewsUttarakhand Forest Department Faces Training Crisis Due to Lack of Weapons

वन विभाग के अफसरों को ट्रेनिंग देने के लिए न बंदूक, न गोला-बारूद

हल्द्वानी,। उत्तराखंड के वन और वन्यजीवों की सुरक्षा वन विभाग के लिए चुनौती बन गए

Newswrap हिन्दुस्तान, हल्द्वानीTue, 8 April 2025 12:01 PM
share Share
Follow Us on
वन विभाग के अफसरों को ट्रेनिंग देने के लिए न बंदूक, न गोला-बारूद

हल्द्वानी। उत्तराखंड के वन और वन्यजीवों की सुरक्षा वन विभाग के लिए चुनौती बन गए हैं। वन विभाग के पास अपने फॉरेस्ट गार्ड, फॉरेस्टर और रेंजर्स को प्रशिक्षण देने के लिए गोला-बारूद ही नहीं है। यह संकट तब और गहरा गया है, जब उत्तराखंड पुलिस, भारतीय सेना और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) जैसे विभागों ने इसमें सहयोग देने से हाथ खींच लिए हैं। हल्द्वानी स्थित फॉरेस्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (एफटीआई) में उत्तराखंड समेत देशभर के रेंजर (वनक्षेत्राधिकारी) के अलावा राज्य के फॉरेस्ट गार्ड (वन आरक्षी) व फॉरेस्टर (वन दरोगा) को प्रशिक्षण दिया जाता है। इस दौरान प्रशिक्षणार्थियों को खुद की रक्षा के साथ वन और वन्यजीवों की सुरक्षा करना सीखना होता है। इसके लिए इन्हें शस्त्र प्रशिक्षण दिया जाना भी जरूरी है। लेकिन एफटीआई के पास बंदूक और गोली नहीं होने की वजह से शस्त्र प्रशिक्षण देना मुश्किल हो रहा है। प्रशिक्षण देने की व्यवस्थाएं राज्य में उत्तराखंड पुलिस, सेना और एसएसबी के पास है। इन तीनों विभागों को एफटीआई प्रबंधन की तरफ से पत्र लिखा गया है। लेकिन तीनों ही संस्थानों ने शूटिंग रेंज (प्रशिक्षण स्थल) उपलब्ध कराने की बात कही है लेकिन शस्त्र उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया है। जिसके चलते शस्त्र प्रशिक्षण देना संभव नहीं हो पा रहा है।

लगातार बढ़ रहा है संघर्ष

मानव-वन्यजीव संघर्ष हो या फिर तस्करों से आमना-सामना, दोनों ही तरह की घटनाएं जंगलों में लगातार बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का भी कहना है कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए वन रक्षकों का प्रशिक्षित होना बेहद जरूरी है।

मनोबल होता है कमजोर

विशेषज्ञों का कहना है कि लकड़ी, वन्यजीव तस्कर पूरी तरह से हथियारों से लैस होकर जंगलों में घुसते हैं। वे जानते हैं कि अपराध करने जा रहे हैं और उनका किसी से भी सामना हो सकता है। एक फॉरेस्टर का कहना है कि तस्कर मरने मारने पर उतारू रहते हैं। ऐसे में उनका सामना करना आसान नहीं होता है। सभी प्रशिक्षण-शस्त्रों की कमी के चलते इनका सामने करने से बचते हैं। इससे मनोबल भी टूटता है।

कोट::

एफटीआई में शस्त्र प्रशिक्षण की उचित सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिसके चलते प्रशिक्षणार्थियों को शस्त्र प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है। मामले में पुलिस, सेना व एसएसबी से भी संपर्क किया गया है लेकिन उन्होंने केवल प्रशिक्षण स्थल उपलब्ध कराने की बात कही है।

डॉ. तेजस्विनी पाटिल, निदेशक, एफटीआई, हल्द्वानी

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।