गंगभेवा बावड़ी में बैसाखी मेला शुरू, दूर-दराज से पहुंचे लोग
गौतम ऋषि की तपस्थली गंगभेवा बावड़ी में बैसाखी मेला रविवार से शुरू हो गया। यह मेला 18 अप्रैल तक चलेगा, जिसमें मिट्टी के बर्तनों का बाजार विशेष आकर्षण है। श्रद्धालुओं ने बावड़ी में स्नान कर पुण्य कमाया और...

गौतम ऋषि की तपस्थली कहे जाने वाले गंगभेवा बावड़ी में रविवार से बैसाखी मेला शुरू हो गया। पूजा-अर्चना व अखंड संकीर्तन से शुरू हुआ मेला 18 अप्रैल तक चलेगा। मेले में मिट्टी के बर्तनों का बाजार विशेष आकर्षण का केंद्र है। वहीं संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने बावड़ी में स्नान कर पुण्य कमाया। श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना कर खुशहाली की मन्नतें मांगी। मेले का उद्घाटन विधायक मुन्ना चौहान ने किया। रविवार सुबह गंगभेवा बावड़ी में बैसाखी पर्व व संक्रांति की पूजा-अर्चना के साथ ही छह दिवसीय मेले की शुरुआत हुई। इसी के साथ अखंड संकीर्तन भी शुरू हुआ। मेले में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में रहने वालों के लिए स्टॉल सजे हुए हैं। मिट्टी के बर्तनों का बाजार सज चुका है, झूले स्वागत को तैयार हैं। मेले के धार्मिक स्थल को सजाने के साथ ही राज्य व दूसरे प्रांतों से आए व्यापारियों ने दुकानें लगानी शुरू कर दी हैं। इसके साथ ही मनोरंजन के साधन भी मेला स्थल पर लगने शुरू हो गए हैं। हालांकि मेले के पहले दिन अधिकांश लोगों ने धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया। जिसके तहत बावड़ी में डुबकी लगाने के साथ ही मंदिर में पूजा अर्चना की गई।
धार्मिक आस्था के साथ ही इस मेले का व्यापारिक महत्व भी है। मेला मुख्य रूप से मिट्टी के बर्तनों कृषि औजारों के लिए खास पहचान बना चुका है। विशिष्ट कलाकृतियों में बनाए गए घड़ों की खरीददारी के लिए उत्तर प्रदेश व हिमाचल प्रदेश से भी बड़ी संख्या में लोग मेले में आते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार बैसाखी के दिन बावड़ी के पवित्र जल में डुबकी लगाने से सभी कष्टों का नाश हो जाता है। इसलिए मेले के पहले दिन बैसाखी पर बड़ी संख्या में महिला, पुरुष व बच्चों ने बावड़ी में स्नान कर पुण्य कमाया। मेले के शुभारंभ पर मंदिर प्रबंधन समिति अध्यक्ष रविंद्र चौहान, नरेश बहुगुणा, ढकरानी की ग्राम प्रधान शहीदा बेगम, भीमावाला की प्रधान रेखा देवी, विनय कुमार आदि मौजूद रहे।
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