When will monsoon enter Uttarakhand rain storm alert 27 may Uttarakhand Weather forecast dehradun nainital haldwani उत्तराखंड में मॉनसून की कब एंट्री? यह है बड़ा अपडेट, 27 मई से बारिश-आंधी पर भी अलर्ट, Uttarakhand Hindi News - Hindustan
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उत्तराखंड में मॉनसून की कब एंट्री? यह है बड़ा अपडेट, 27 मई से बारिश-आंधी पर भी अलर्ट

उत्तराखंड में एक जून तक प्री-मानसून की बारिश हो सकती है। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से इसके लिए पूर्वानुमान जारी किया गया है। मौसम विभाग की ओर से 27 मई से बारिश, आंधी और ओलावृष्टि पर अलर्ट भी जारी किया गया है।

Himanshu Kumar Lall लाइव हिन्दुस्तान, देहरादूनTue, 27 May 2025 01:35 PM
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उत्तराखंड में मॉनसून की कब एंट्री? यह है बड़ा अपडेट, 27 मई से बारिश-आंधी पर भी अलर्ट

Uttarakhand Weather: उत्तराखंड मॉनसून पहुंचने पर बड़ा अपडेट सामने आया है। हालांकि, प्री-मॉनसून बारिश की वजह से उत्तराखंड के कई जिलों में बारिश का दौर जारी है। आईएमडी की ओर से 27 मई से आने वाले दो से तीन दिनों के लिए बारिश के साथ आंधी-ओलावृष्टि पर भी अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के अनुसार, दक्षिणी पश्चिमी मानसून ने समय से पहले केरल में दस्तक दे दी है।

मौसम विभाग का अनुमान है कि उत्तराखंड में भी पहले मानसून पहुंच सकता है। हालांकि यह आने वाले कुछ दिनों में परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। विदित हो कि उत्तराखंड में जून मध्य (16 से 22 जून) में मॉनसून आने का समय रहता है। मौसम विभाग उत्तराखंड में वर्तमान में हो रही बारिश को प्री-मानसून मान रहा है।

क्या है उत्तराखंड का मौसम पूर्वानुमान

उत्तराखंड में एक जून तक प्री-मानसून की बारिश हो सकती है। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से इसके लिए पूर्वानुमान जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. बिक्रम सिंह ने बताया कि पंद्रह जून तक प्रदेश में मानसून आने की संभावना है। आईएमडी की ओर से 27 मई के लिए उत्तराखंड के गढ़वाल के जिलों में कहीं-कहीं आकाशीय बिजली चमकने, हल्की बारिश और झोंकेदार हवाएं चलने का येलो अलर्ट जारी किया गया है।

वहीं, कुमाऊं क्षेत्र में कहीं-कहीं गर्जना के साथ बिजली चमकने, बारिश के तेज दौर और चालीस किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से हवाएं चलने का पूर्वानुमान है। मौसम विभाग की चेतावनी के बाद पुलिस-प्रशासन भी अलर्ट मोड पर आ गया है। प्रशासन की ओर से चारधाम यात्रा रूट पर विशेषतौर से फोकस किय जा रहा है।

सामान्य से नीचे बना है तापमान

उत्तराखंड के अधिकांश इलाकों में सोमवार को हल्की धूप खिली रही। मंगलवार दोपहर तक हल्की धूप खिली और कहीं-कहीं बादल भी छाए रहे। धूप खिलने से तापमान में इजाफा हुआ, लेकिन अभी भी यह से एक से दो डिग्री नीचे ही बना है। देहरादून में सोमवार को अधिकतम तापमान 34.8, पंतनगर में 35.1, मुक्तेश्वर में 22.7, नई टिहरी में 26.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

धूप की तपिश ने लोगों को परेशान किया, तापमान भी बढ़ा

हरिद्वार में धूप की तपिश और बढ़ती गर्मी से परेशान रहे। दिन में गर्मी ने लोगों को बेहाल कर दिया। साथ ही गर्म हवाओं के बीच दोपहर के समय लोगों को आवाजाही में दिक्कतें उठानी पड़ी। वहीं सोमवार को अधिकतम तापमान और न्यूनतम तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी रिकॉर्ड हुई। हरिद्वार में सोमवार को अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ।

अधिकतम तापमान रविवार को 34 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस रहा था। सोमवार को तापमान में बढ़ोतरी के साथ गर्मी का अहसास भी बढ़ गया। दिन में गर्मी के प्रकोप के बीच लोगों के पसीने निकल गए। जबकि रविवार को बारिश पड़ने के बाद तापमान ने गिरावट दर्ज हुई थी। बारिश के बाद दिन में लोगों को गर्मी से राहत मिली थी।

लेकिन सोमवार को तापमान बढ़ने के कारण गर्मी भी बढ़ गई। दोपहर के समय लोग तपती धूप और गर्म हवाओं से परेशान रहे। शाम के समय भी लोग गर्मी से जूझते रहे। वहीं रात के समय भी उमस और गर्मी ने लोगों की दिक्कतें बढ़ा दी। दिन में लोग गर्मी और तपती धूप से बचने के लिए मुंह ढाक कर, छाता लेकर आवाजाही करते नजर आए।

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में 9वीं बार बर्फबारी

उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों 15 सालों में पहली बार मई माह में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में 9 से अधिक बार बर्फबारी हुई है। कड़ाके की सर्दी पड़ने से माइग्रेशन गांवों में गए लोगों के साथ ही चीन सीमा में तैनात सैनिक भी परेशान हैं। समुद्र सतह से 13 हजार 500 फीट से अधिक के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सोमवार को 9वीं बार मई माह में बर्फबारी शुरू हुई। कैलास मानसरोवर यात्रा पथ में भी बर्फबारी हुई है।

बेमौसम इतनी अधिक बर्फबारी से हिमालय से लगे क्षेत्रों का मौमस चक्र भी बदल गया है। हिमालयी बुग्यालों में इस बार गर्मी के मौसम में घास तक नहीं उग पाई है। जिससे तराई के जंगलों से कई किमी दूरी तय कर हिमालयी क्षेत्र के प्रवास पर अप्रैल से ही पहुंच कर चार माह से अधिक समय तक डेरा डाले रहने वाले भेड़पालकों के लिए सामने भी चारे का संकट खड़ा हो गया है।

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