बच्चों की तरह.. देशी या विदेशी कौनसी कॉलेज लाइफ है बेस्ट? दोनों में पढ़ चुके छात्र ने बताया
- सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में एक छात्र ने भारतीय कॉलेज कैंपस में छात्रों से किए जाने वाले व्यवहार पर अपना गुस्सा जाहिर किया है। उसका कहना है कि यहां पर छात्रों के साथ बच्चों की तरफ व्यवहार किया जाता है। इससे वह एक अक्षम नागरिक बनकर निकलते हैं।

सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां पर लोग अपने अनुभव और अपने जीवन की कहानियो को साझा करते हैं। कई बार यह कहानियां या किस्से इतने मजेदार होते हैं कि वायरल हो जाते हैं। ऐसी ही एक स्टूडेंट की पोस्ट वायरल हुई है, जिसमें उसने भारतीय और विदेशी कॉलेज कैंपस में अंतर को लिखा है। यूजर का दावा है कि वह भारत और विदेश दोनों जगहों पर पढ़ चुका है। उसने दावा किया कि भारत के कॉलेजों में छात्रों के साथ बच्चों जैसा व्यवहार किया जाता है, जबकि विदेशी कॉलेजों में उन्हें आत्मनिर्भर बनना सिखाया जाता है।
सोशल मीडिया साइट रेडिट पर लिखी इस पोस्ट में यूजर ने लिखा कि मुझे यकीन है कि आप में से कई लोगों ने इस बात का अनुभव किया होगा कि भारतीय कॉलेजों में छात्रों के साथ में बच्चों जैसा व्यवहार किया जाता है। यूजर ने लिखा, "यहां कॉलेजों में बच्चों के ऊपर बहुत ही ज्यादा रूल्स थोप दिए जाते हैं.. और जब भी उनका उल्लंघन हो तो उनके घर पर इस बारे में जानकारी दे दी जाती है.. मुझे यह बात समझ नहीं आई कि छात्र वयस्क हैं.. कानूनी रूप से वोट देकर सरकार चुन सकते हैं..शादी कर सकते हैं.. एक हद तक कुछ भी कर सकते हैं लेकिन फिर भी कॉलेजों में उनके साथ बच्चों जैसे बर्ताव होता है।"
यूजर ने भारत और विदेश दोनों जगहों पर पढ़ाई करने का दावा करते हुए कहा, "मैंने दोनों देशी और विदेशी दोनों जगहों के कॉलेज कैंपस की तुलना की है.. मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि विदेश में मुझे जो 24 या 25 साल के भारतीय मिलते हैं वह अपरिपक्व या अक्षम होते हैं।"
उसने कहा कि भारत में जो हॉस्टल लाइफ को इतना बढ़ा-चढ़ा कर बताया जाता है। वास्तव में वह हमारी किशोर अवस्था की हरकतें होनी चाहिए.. जब हम किशोर अवस्था में ऐसा नहीं कर पाते हैं तो हमें यह बहुत ही अच्छा लगने लगता है। मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि ऐसी जीवन शैली हमें स्वस्थ और स्वतंत्र इंसानों के रूप में जीने के लिए तैयार नहीं करती है। आखिर हम इसे कैसे बदल सकते हैं।
लोगों ने जमकर किया रिएक्ट
इस पोस्ट पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं साझा की। एक यूजर ने लिखा कि बिल्कुल सही कहा। भारतीय मां-बाप अपने बच्चों को बाहर नहीं जाने देते। मैं खुद 28 साल का हूं लेकिन आज भी मुझे घर से बाहर निकलना होता है तो मुझे अपने मम्मी-पापा से इजाजत लेनी पड़ती है। यहां तक कि मुझे अपने खर्चों और ऑफिस के बारे में भी बताना पड़ता है। एक और यूजर ने लिखा कि एक बार मैंने अपने पैरेंट्स से कहा कि मुजे एलवी के ग्लासेस लेने हैं उन्होंने मुझे मना कर दिया और बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए। इसके बाद में मैंने लेकर ही
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