Chaiti Chhath 2025 in auspicious time Nahay-Khay date Kharna चैती छठ की शुरुआत शुभ योग में, जानें कब है नहाय-खाय व खरना, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
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चैती छठ की शुरुआत शुभ योग में, जानें कब है नहाय-खाय व खरना

  • Chaiti Chhath 2025: चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ मनाने की परंपरा है, जिसका आरंभ नहाय-खाय के साथ होता है। मान्यताओं के अनुसार, चैती छठ व्रत रखने और सूर्य देव की उपासना करने से परिवार की सुख-समृद्धि बनी रहती है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 26 March 2025 11:01 AM
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चैती छठ की शुरुआत शुभ योग में, जानें कब है नहाय-खाय व खरना

Chaiti Chhath 2025, चैती छठ की शुरुआत शुभ योग में: इस साल चैती छठ की शुरुआत एक अप्रैल मंगलवार से होगी। इसी दिन नहाय-खाय के साथ महिला व पुरुष व्रत का संकल्प लेंगे। चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाने की परंपरा है, जिसका आरंभ नहाय-खाय के साथ होता है। चार दिवसीय इस पावन अनुष्ठान की शुरुआत भरनी और कृतिका नक्षत्र में होगी, जिससे इसका धार्मिक महत्व और बढ़ गया है। छठ व्रती महिलाएं पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद भगवान सूर्य की पूजा कर अरबा चावल, लौकी की सब्जी और चना दाल का प्रसाद ग्रहण करती हैं। कई पुरुष श्रद्धालु भी चैती छठ का व्रत करते हैं। खरना के दिन 2 अप्रैल से व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखेंगे। मान्यताओं के अनुसार, चैती छठ व्रत रखने और सूर्य देव की उपासना करने से संतान की मंगलकामना व परिवार की सुख-समृद्धि बनी रहती है। जानें कब है नहाय-खाय व खरना-

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1अप्रैल - नहाय-खाय (शुद्धता का संकल्प)

आचार्य अंजनी कुमार ठाकुर ने बताया कि पहले दिन व्रती गंगा या किसी पवित्र जलाशय में स्नान कर शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करेंगे। परंपरा के अनुसार, कद्दू-भात और चने की दाल विशेष रूप से बनाई जाती है। यही भोजन ग्रहण कर व्रती अपने शरीर और मन को शुद्ध करते हैं, ताकि आने वाले कठिन उपवास के लिए तैयार रह सकें।

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2 अप्रैल - खरना (निर्जला व्रत की शुरुआत)

दूसरे दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखेंगी और सूर्यास्त के बाद गुड़ की खीर, रोटी और फल का प्रसाद ग्रहण करेंगे। इसी के साथ वे 36 घंटे के निर्जला व्रत का संकल्प लेंगे, जिसमें न तो पानी ग्रहण किया जाता है और न ही अन्न। यह व्रत छठी मैया और सूर्य देवता के प्रति अटूट श्रद्धा और आत्मसंयम का परिचायक है।

3 अप्रैल - संध्या अर्घ्य (डूबते सूर्य की उपासना)

तीसरे दिन व्रती छठ घाटों पर पहुंचेंगे और अस्ताचलगामी सूर्य (डूबते सूर्य) को अर्घ्य देंगे। इस दिन घाटों पर भव्य दृश्य देखने को मिलता है। गंगा तट, पोखर और नदियों के किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। परिवार के लोग व्रती को अर्घ्य देने में सहयोग करते हैं और भक्ति गीतों से माहौल आध्यात्मिक बन जाता है।

4 अप्रैल -उषा अर्घ्य (सूर्य देव को अंतिम अर्घ्य और व्रत समापन)

चौथे और अंतिम दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे, जिससे चार दिवसीय कठोर तपस्या का समापन होगा। इसके बाद वे पारण कर उपवास तोड़ेंगे और प्रसाद ग्रहण करेंगे।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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