Kab hai Chaiti Chhath 2025 date pooja vidhi कब शुरू होगा चैती छठ? जानें डेट व पूजा विधि, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
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कब शुरू होगा चैती छठ? जानें डेट व पूजा विधि

  • Kab hai Chaiti Chhath 2025: पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाने की परंपरा है। इस व्रत का आरंभ नहाय-खाय के साथ होता है और लगातार 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रती पारण करते हैं।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 22 March 2025 01:52 PM
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कब शुरू होगा चैती छठ? जानें डेट व पूजा विधि

Kab hai Chaiti Chhath 2025: संतान की सुख-समृद्धि, दीर्घायु और परिवार की खुशहाली के लिए चैती छठ व्रत इस साल 1 अप्रैल से शुरू होगा। 1 अप्रैल को नहाय-खाय के साथ महिला पुरुष व्रत का संकल्प लेंगे। पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाने की परंपरा है। इस व्रत का आरंभ नहाय-खाय के साथ होता है और लगातार 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रती पारण करते हैं।

कब शुरू होगा चैती छठ? जानें डेट: पंचांग के अनुसार, चैती छठ का पर्व 1 अप्रैल से 4 अप्रैल तक मनाया जाएगा। शुरुआत नहाय-खाय के साथ एक अप्रैल को होगी।

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पूजा विधि: खरना के दिन महिलाएं सुविधा अनुसार नदी-तालाब या नजदीकी जलाशय में जाकर स्नान करने के बाद भगवान सूर्य की पूजा कर अरबी चावल, लौकी की सब्जी और चने की का शुद्ध शाकाहारी भोजन करेंगी। इसके साथ ही व्रत का संकल्प लेगी। वहीं, खरना के दिन 2 अप्रैल से व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत का आरंभ करेंगे। शाम के समय पीतल या फिर मिट्टी के बर्तन में गुड़ की खीर और रोटी बनाकर पूजा की जाएगी। इसे प्रसाद के तौर पर परिवार के लोगों और आसपड़ोस के लोगों के बीच बांटा जाएगा। इसके लिए नए चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है। इस दिन सूर्यदेव को भोग लगाने के साथ अर्घ्य देने के बाद महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं। छठ पर्व के तीसरे दिन 3 अप्रैल को डूबते हुए सूर्य को और 4 अप्रैल उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया दिया जाएगा। इसके बाद व्रती पारण करेंगे।

1 अप्रैल 2025 नहाय-खाय: इस दिन व्रती त्योहार का संकल्प लेते हैं। नहाय-खाय के दिन अरवा चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी बनाकर व्रती ग्रहण कर संकल्प लेंगे।

2 अप्रैल 2025- खरना: चैती छठ के दूसरे दिन खरना पर शाम को विशेष प्रसाद ग्रहण किया जाता है, जिसमें गुड़ और चावल की खीर का विशेष महत्व होता है।

3 अप्रैल 2025 - संध्या अर्घ्य: इस दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। यह पूजा विशेष रूप से सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है।

4 अप्रैल 2025 - उदीयमान सूर्य को अर्घ्य: इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत का समापन होता है। उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती महिला-पुरुष पारण करेंगे।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।