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Nautapa 2025 : नौतपा में सूर्य देव को ऐसे चढ़ाएं जल, जानें उपाय

Nautapa 2025 : 25 मई से नौतपा की शुरुआत हो रही है, जो गर्मी के लिहाज से सबसे अधिक तीव्र और तपती हुई अवधि मानी जाती है। इस दिन सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, जो कि नौतपा के आरंभ का संकेत है। नौतपा 2 जून तक रहेगा।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 22 May 2025 02:51 PM
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Nautapa 2025 : नौतपा में सूर्य देव को ऐसे चढ़ाएं जल, जानें उपाय

Nautapa 2025 : 25 मई से नौतपा की शुरुआत हो रही है, जो गर्मी के लिहाज से सबसे अधिक तीव्र और तपती हुई अवधि मानी जाती है। इस दिन सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, जो कि नौतपा के आरंभ का संकेत है। नौतपा 2 जून तक रहेगा। नौतपा को साल का सबसे गर्म समय माना जाता है। इस बीच सूर्य की सीधी किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं। यह स्थिति प्राकृतिक रूप से असंतुलन पैदा कर सकती है। इससे लू, भीषण गर्मी, सूखा और मौसम में असामान्य परिवर्तन देखे जा सकते हैं। ऐसे में कभी-कभी आंधी-तूफान जैसी स्थितियां भी उत्पन्न हो जाती हैं।

नौतपा क्या होता है- नौतपा यानि कि नौ दिन की तपिश, यह तब शुरू होता है जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं। इस वर्ष सूर्य 25 मई को सुबह 3 बजकर 27 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। यह नौ दिन धरती पर गर्मी का चरम अनुभव कराने वाले माने जाते हैं।

सूर्य देव की पूजा से शुभ फल की होती है प्राप्ति- इस समय सूर्य देव की पूजा करने से इस अवधि से सुरक्षा प्राप्त होती है। साथ ही बढ़ते तापमान से अपने परिवार को बचाया जा सकता है। इसके अलावा कुछ पूजा अनुष्ठान जीवन में सुख और समृद्धि लाते हैं।

सूर्यदेव को तांबे के लोट से जल चढ़ाएं

नौतपा के दौराना रोजाना सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। इस दौरान सूर्य मंत्रों का जप अवश्य करें।

करें ये उपाय-

दान करें-

नौतपा के समय में पानी, दही, दूध, नारियल पानी और अन्य ठंडी चीजों का सेवन करने के साथ इनका दान भी करना चाहिए। इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।

पौधे लगाएं

मान्यताओं के अनुसार नौतपा में कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें करने से व्यक्ति को पुण्य फल मिलता है। इस दौरान अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए।

पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करें

पशु-पक्षियों के लिए भी पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है और पितृ प्रसन्न होते हैं। वहीं जल, पंखे, घड़ा, चप्पल, अन्न, छाता आदि का दान करने से भी पुण्य फल मिलता है।

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