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हनुमान चालीसा के पाठ से होते हैं ये फायदे, बजरंगबली दूर करते हैं हर संकट

  • 12 अप्रैल को पवनसुत हनुमान जी का जन्मोत्सव श्रद्धा, उल्लास से मनाया जाएगा। इस अवसर पर में हनुमान मंदिरों में अनुष्ठान, पूजन और श्रृंगार किया जाएगा। इस बार हनुमान जन्मोत्सव शनिवार को पड़ने से पुण्य फल कई गुना बढ़ गया है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 11 April 2025 12:00 PM
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हनुमान चालीसा के पाठ से होते हैं ये फायदे, बजरंगबली दूर करते हैं हर संकट

Hanuman Janmotsav 2025, Hanuman Chalisa Ke Fayde : 12 अप्रैल को पवनसुत हनुमान जी का जन्मोत्सव श्रद्धा, उल्लास से मनाया जाएगा। इस अवसर पर में हनुमान मंदिरों में अनुष्ठान, पूजन और श्रृंगार किया जाएगा। इस बार हनुमान जन्मोत्सव शनिवार को पड़ने से पुण्य फल कई गुना बढ़ गया है। हिंदू धर्म में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हनुमान जी इस कलयुग में जागृत देव हैं। हनुमान जी भगवान श्री राम के परम भक्त हैं। हर वर्ष चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसी पावन दिन त्रैता युग में हनुमान जी ने माता अंजनी की कोख से जन्म लिया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। आगे जानें हनुमान चालीसा के फायदे-

हनुमान चालीसा के फायदे-

हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा का महत्व बहुत अधिक है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हनुमान जी इस कलयुग में जागृत देव हैं। जिस व्यक्ति पर हनुमान जी की कृपा हो जाती है उसको किसी भी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। किसी भी तरह की परेशानी क्यों न हो, हनुमान चालीसा का पाठ करने से परेशानी दूर हो जाती है। हनुमान जी भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्त हैं। बिना हनुमान जी के आज्ञा के भगवान राम और माता सीता के दर्शन भी नहीं हो सकते हैं। इस बात का वर्णन हनुमान चालीसा में भी है। आगे पढ़ें श्री हनुमान चालीसा-

श्री हनुमान चालीसा- (Shree Hanuman Chalisa)

श्रीगुरु चरन सरोज रज

निजमनु मुकुरु सुधारि

बरनउँ रघुबर बिमल जसु

जो दायकु फल चारि

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर

राम दूत अतुलित बल धामा

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी

कुमति निवार सुमति के संगी

कंचन बरन बिराज सुबेसा

कानन कुण्डल कुँचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे

काँधे मूँज जनेउ साजे

शंकर सुवन केसरी नंदन

तेज प्रताप महा जग वंदन।।

बिद्यावान गुनी अति चातुर

राम काज करिबे को आतुर

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया

राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा

बिकट रूप धरि लंक जरावा

भीम रूप धरि असुर सँहारे

रामचन्द्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये

श्री रघुबीर हरषि उर लाये

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं

अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा

नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते

कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा

राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना

लंकेश्वर भए सब जग जाना

जुग सहस्र जोजन पर भानु

लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं

जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं

दुर्गम काज जगत के जेते

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे

होत न आज्ञा बिनु पैसारे

सब सुख लहै तुम्हारी सरना

तुम रच्छक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै

तीनों लोक हाँक तें काँपै

भूत पिसाच निकट नहिं आवै

महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरे सब पीरा

जपत निरन्तर हनुमत बीरा

संकट तें हनुमान छुड़ावै

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा

तिन के काज सकल तुम साजा

और मनोरथ जो कोई लावै

सोई अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा

है परसिद्ध जगत उजियारा

साधु सन्त के तुम रखवारे

असुर निकन्दन राम दुलारे।।

अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता

अस बर दीन जानकी माता

राम रसायन तुम्हरे पासा

सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुह्मरे भजन राम को पावै

जनम जनम के दुख बिसरावै

अन्त काल रघुबर पुर जाई

जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई

सङ्कट कटै मिटै सब पीरा

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जय जय जय हनुमान गोसाईं

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं

जो सत बार पाठ कर कोई

छूटहि बन्दि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा

होय सिद्धि साखी गौरीसा

तुलसीदास सदा हरि चेरा

कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

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