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कैसे होते हैं मूल नक्षत्र में जन्में लोग, बनते हैं लेखक, वकील, राजनेता, विश्लेषक और डॉक्टर

  • Moola Nakshatra: वैदिक ज्योतिष के अनुसार मूल नक्षत्र राशि चक्र का 19 वां नक्षत्र है। मूल नक्षत्र का शासक ग्रह केतु है। इस नक्षत्र की देवी निरति अर्थात नरसंहार की देवी है और लिंग नपुंसक माना जाता है।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तान, डॉ संजीव कुमार शर्माTue, 8 April 2025 01:13 PM
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कैसे होते हैं मूल नक्षत्र में जन्में लोग, बनते हैं लेखक, वकील, राजनेता, विश्लेषक और डॉक्टर

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मूल नक्षत्र राशि चक्र का 19 वां नक्षत्र है। मूल नक्षत्र का शासक ग्रह केतु है। इस नक्षत्र की देवी निरति अर्थात नरसंहार की देवी है और लिंग नपुंसक माना जाता है। मूल नक्षत्र को विरोधी नक्षत्र कहा जाता है, जो सभी अग्र ग्रहण का केंद्र बिंदु या आधार है। केतु के केंद्रीय ग्रह होने के कारण मूल नक्षत्र के परिणाम कुछ गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण हो सकते हैं।

मूल नक्षत्र में जन्मे लोग विशेष रूप से समय को महत्व देते हैं और हमेशा अपने और अपने आसपास के लोगों के लिए शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखते हैं। ऐसे जातक निर्मम और आत्मकेंद्रित होने के साथ दृढ़ निश्चयी, महान प्रशासक, मजबूत दिल वाले भी होते हैं।

इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति लेखक, वकील, राजनेता, विश्लेषक, डॉक्टर बन सकते हैं। इस नक्षत्र के चारों चरणों के जातक पर अलग प्रभाव होते हैं :

प्रथम चरण : इसका प्रथम चरण मेष नवांश में पड़ता है। इस पर मंगल का शासन होता है। इसमें जन्म लेने वाले जातक को भौतिक इच्छओं से सावधान रहने की आवश्यकता है।

द्वितीय चरण : इसका दूसरा चरण वृष नवांश में आता है और शुक्र द्वारा शासित होता है। इसमें जन्म लेने वाले लोग मेहनती और अपने भौतिक विकास के बारे में सोचने वाले होते हैं।

तृतीय चरण : इसका तीसरा चरण मिथुन नवांश में पड़ता है। इस पर बुध का शासन होता है। इसमें जन्म लेने वाले जातक बुद्धिजीवी होते हैं। येस्वभाव से संतुलित होते हैं। आध्यात्मिक और सांसारिक गतिविधियों के लिए भी समान समय देते हैं।

चतुर्थ चरण : इसका चौथा चरण कर्क नवांश में आता है और चंद्रमा द्वारा शासित होता है। इस में जन्म लेने वाले लोग दूसरों की देखभाल करने और आध्यात्मिक तथा दार्शनिक जीवन जीने की ओर गहन रुझान रखते हैं।

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