Kamada Ekadashi: कल कामदा एकादशी पर भद्रा का साया, जानें पूजन मुहूर्त, विधि, मंत्र व आरती
- Kamada Ekadashi 2025 Kab Hai: कामदा एकादशी पर भद्रा का साया रहने वाला है। जानें पूजन मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, भोग व आरती-

Kamada Ekadashi 2025 Puja Vidhi, Bhog and Mantra: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। साल में कुल 24 एकादशी व्रत आते हैं, इसलिए तरह से हर महीने 2 एकादशी व्रत रखे जाते हैं। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। कामदा एकादशी व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष को रखा जाता है। इस साल कामदा एकादशी पर रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ भद्रा का साया भी रहने वाला है। जानें कामदा एकादशी पर पूजन मुहूर्त, विधि, मंत्र, पारण का समय व भगवान विष्णु की आरती-
कामदा एकादशी 2025 कब है:
एकादशी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 07, 2025 को 08:00 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त - अप्रैल 08, 2025 को 09:12 पी एम बजे
उदयातिथि में कामदा एकादशी व्रत 08 अप्रैल 2025, मंगलवार को रखा जाएगा।
कामदा एकादशी पर भद्रा कब से कब तक: कामदा एकादशी पर भद्रा सुबह 08 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होकर और रात 09 बजकर 12 मिनट तक रहेगी।
कामदा एकादशी 2025 पूजन मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त- 04:32 ए एम से 05:18 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:58 ए एम से 12:48 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:20 पी एम
अमृत काल- 06:13 ए एम से 07:55 ए एम
सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:03 ए एम से 07:55 ए एम
रवि योग- 06:03 ए एम से 07:55 ए एम
कामदा एकादशी व्रत पारण का समय 2025: कामदा एकादशी व्रत का पारण 09 अप्रैल 2025 को किया जाएगा। कामदा एकादशी व्रत का पारण सुबह 06 बजकर 02 मिनट से सुबह 08 बजकर 34 मिनट है।
कामदा एकादशी पूजा विधि- सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की तस्वीर को स्थापित करें। भगवान विष्णु को माला, पीला चंदन, अक्षत, फल व फूल अर्पित करें। भोग में बेसन के लड्डू, खीर या मिश्री आदि अर्पित करें। भगवान विष्णु की आरती उतारें व एकादशी व्रत का पाठ करें।
भगवान विष्णु के मंत्र-
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमो नारायणाय
ॐ अं वासुदेवाय नमः
ॐ आं संकर्षणाय नमः
ॐ अं प्रद्युम्नाय नमः
ॐ अ: अनिरुद्धाय नमः
ॐ विष्णवे नमः
भगवान विष्णु की आरती-
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥