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Sheetala Ashtami : शीतला अष्टमी पर क्यों लगता है बासी खाने का भोग? जानिए महत्व और पूजा-विधि

  • हिंदू धर्म में हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस साल ये पर्व 22 मार्च को मनाया जाएगा। शीतला अष्टमी को बसौड़ा अष्टमी, बसोड़ा जैसे नामों से जाना जाता है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 21 March 2025 05:06 PM
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Sheetala Ashtami : शीतला अष्टमी पर क्यों लगता है बासी खाने का भोग? जानिए महत्व और पूजा-विधि

Sheetala Ashtami 2025 : हिंदू धर्म में हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस साल ये पर्व 22 मार्च को मनाया जाएगा। शीतला अष्टमी को बसौड़ा अष्टमी, बसोड़ा जैसे नामों से जाना जाता है। इस शुभ दिन पर मां पार्वती के अवतार शीतला माता की पूजा-आराधना का विधान है। यह त्योहार विभिन्न बीमारियों को ठीक करने में मदद करने वाला माना जाता है। जो लोग किसी बीमारी से ग्रसित है। ऐसे लोगों को यह पर्व किसी वरदान से कम नहीं है। ऐसे लोग इस दिन रोगो को शांत करने के लिए शीतला माता की पूजा आराधना करें। ऐसा करने से रोग भी शांत होंगे। शीतला माता सुख-समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। ऐसे में पूजा-अर्चना से धन-ऐश्वर्य का आगमन भी शुरू होगा।

मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शीतला अष्टमी व्रत के दौरान घर में ताजा भोजन नहीं बनाया जाता है। इस दिन एक दिन पहले यानी शीतला सप्तमी के दिन बनाए गए भोजन का ही शीतला माता को भोग लगाया जाता है और इसी बासी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने का महत्व : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शीतला माता को बासी भोजन बेहद प्रिय है। इसलिए माता शीतला को भोग लगाने के लिए बसोड़ा से एक दिन पहले ही रबड़ी, हलवा,पकौड़ी, पुआ, मीठे चावल, पूरी समेत सभी पकवान तैयार कर लिए जाते हैं और अगले दिन शीतला माता की पूजा के दौरान उन्हें भोग चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां शीतला साधकौों को निरोग रहने का आशीर्वाद देती है। वहीं, वैज्ञानिक कारणों के अनुसार, चैत्र माह शीत ऋतु के जाने और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय होता है। मौसम में बदलाव के इस अवधि में खान -पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सुबह-शाम सर्दी और दिनभर गर्मी की वजह से व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। साल में एक दिन सर्दी और गर्मी के संधिकाल में ठंडा भोजन करना पाचन तंत्र के लिए लाभकारी माना गया है। ऐसे में जो लोग शीतला अष्टमी के दिन ठंडा खाना खाते हैं, वे लोग ऋतुओं के संधिकाल में होने वाली बीमारियों से बचे रहते हैं।

शीतला अष्टमी की पूजा विधि-

शीतला सप्तमी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें।

शीतला माता का ध्यान करें और स्नानादि के बाद साफ कपड़े पहनें।

इसके बाद शीतला माता की विधि-विधान से पूजा करें।

इस दिन मां शीतला की मीठे चावल, हल्दी-चने की दाल और कलश में पानी लेकर पूजा होती है।

मां शीतला को जल अर्पित करें और उनके बीज मंत्रों का जाप करें।

घर में इस जल का छिड़काव करें। घर के सभी सदस्यों को आंखों पर लगाने को दें।

शीतल सप्तमी के दिन मिठाई, पुआ, मीठे चावल, पूड़ी समेत भोग के लिए पकवान तैयार करें और अगले दिन पूजा के दौरान शीतला माता को अर्पित करें।

शीतला स्त्रोत का पाठ करें और व्रत कथा जरूर सुनें।

शीतला सप्तमी व्रत के दिन व्रत के नियमों का पालन जरूर करें।

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