Vaishakh Purnima 2025 lord Vishnu has too kurmaavtar ob this day Vaishakh Purnima 2025: वैशाख पूर्णिमा पर भगवान विष्णु ने लिया था कूर्मावतार, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
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Vaishakh Purnima 2025: वैशाख पूर्णिमा पर भगवान विष्णु ने लिया था कूर्मावतार

Vaishakh Purnima Kab hai: देवताओं और दानवों की समुद्र मंथन में सहायता करने के लिए भगवान विष्णु ने वैशाख पूर्णिमा (12 मई) के दिन ‘कूर्म’ अवतार लिया। इन्हें ‘कच्छप’ अवतार भी कहा जाता है। कूर्मावतार भगवान विष्णु के दूसरे अवतार माने गए हैं।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तान, अश्विनी कुमारTue, 6 May 2025 06:57 AM
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Vaishakh Purnima 2025: वैशाख पूर्णिमा पर भगवान विष्णु ने लिया था कूर्मावतार

देवताओं और दानवों की समुद्र मंथन में सहायता करने के लिए भगवान विष्णु ने वैशाख पूर्णिमा (12 मई) के दिन ‘कूर्म’ अवतार लिया। इन्हें ‘कच्छप’ अवतार भी कहा जाता है। कूर्मावतार भगवान विष्णु के दूसरे अवतार माने गए हैं।

‘कच्छप’ अवतार के पीछे एक पौराणिक कथा है। एक बार दुर्वासा ऋषि ने इंद्र को पारिजात पुष्प की माला भेंट की। इंद्र ने अहंकारवश वह माला ‘ऐरावत’ के मस्तक पर डाल दी। यह देख ऋषि दुर्वासा को इंद्र पर क्रोध आ गया और उन्होंने उन्हें श्रीहीन हो जाने का शाप दे दिया। शाप के प्रभाव से लक्ष्मी सागर में लुप्त हो गईं। इससे सुर-असुर लोक का सारा वैभव नष्ट हो गया। इस घटना से दुखी होकर इंद्र भगवान विष्णु की शरण में गए। उन्होंने इंद्र से समुद्र मंथन करने को कहा और इस कार्य में असुरों की सहायता लेने के लिए कहा। इंद्र असुरों के राजा बलि के पास पहुंचे और समुद्र मंथन के कार्य में सहयोग मांगा। असुर राज बलि इसके लिए तैयार हो गए। भगवान विष्णु के आदेश पर देवताओं ने समुद्र मंथन के लिए मंदराचल को मथानी और वासुकि नाग को रस्सी बनाया और समुद्र मंथन आरंभ कर दिया। लेकिन गहरे सागर में मंदराचल डूबने लगा। इस समस्या को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने ‘कच्छप’ का अवतार धारण किया और मंदराचल को आधार दिया। समुद्र मंथन में कालकूट विष, अमृत और लक्ष्मी सहित चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई थी। भगवान विष्णु के कूर्मावतार लेने का एक कारण मां लक्ष्मी को दोबारा प्राप्त करना था। इसके साथ ही महाप्रलय के दौरान जो बहुमूल्य रत्न और औषधियां समुद्र में चली गई थीं, उन्हें पुनः प्राप्त कर संसार का कल्याण करना भी था। वैशाख पूर्णिमा का दिन नए घर, भूमि आदि के पूजन और वास्तु दोष दूर करने के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है।

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