BS7 नॉर्म्स के बाद डीजल कारें पूरी तरह हो जाएंगी बैन? सच जानकर हैरान रह जाएंगे
क्या BS7 नॉर्म्स आने के बाद डीजल कारें पूरी तरह बैन हो जाएंगी। भविष्य में BS7 नॉर्म्स डीजल वाहनों को बड़ी चुनौती देंगे। आइए जरा विस्तार से इसकी पूरी कहानी समझते हैं।

क्या 2027 के बाद डीजल गाड़ियां भारत की सड़कों से गायब हो जाएंगी? शायद आपने भी ऐसी बातें सुनी हों। लेकिन, असल सच्चाई इससे कहीं ज्यादा दिलचस्प है। BS7 नॉर्म्स डीजल वाहनों को तो चुनौती देंगे, लेकिन इन पर पूरी तरह से बैन नहीं लग जाएगा, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। आइए जरा विस्तार से इसकी पूरी कहानी समझते हैं।
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BS7 क्या है? डीजल व्हीकल्स पर क्या प्रभाव?
BS7 नॉर्म्स यानी भारत स्टेज-7 एमिशन स्टैंडर्ड्स 2026-27 से लागू हो सकते हैं। इसके तहत डीजल इंजनों को पेट्रोल के बराबर क्लीन बनाना होगा, खासकर नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जैसे प्रदूषकों को घटाकर 60 mg/km तक लाना पड़ेगा।
इसके लिए गाड़ियों में महंगे सिस्टम लगेंगे। जैसे कि इसमें Selective Catalytic Reduction (SCR), Diesel Particulate Filter (DPF) और AdBlue डोजिंग यूनिट का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे गाड़ियों की कीमतों में 1.8 से 2.5 लाख तक का इजाफा हो सकता है, जो मिड-रेंज SUV और सेडान खरीदारों के लिए बड़ी बात है। डीजल को पूरी तरह से बंद कर देना थोड़ा जल्दबाजी होगी।
1. BS7 के दायरे में नहीं कॉमर्शियल वाहन
ट्रक, बस, ट्रैक्टर और निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाले वाहन अभी इन नियमों से बचे हुए हैं।
2. जारी रहेगा एक्सपोर्ट
महिंद्रा और टाटा जैसी कंपनियां डीजल SUV विदेशों में भेजती हैं, तो प्रोडक्शन पूरी तरह से बंद नहीं होगा। भारत में भले मॉडल कम हों, लेकिन एक्सपोर्ट जारी रहेगा।
3. डीजल की ताकत – पावर और माइलेज
लंबी दूरी, भारी सामान और ऑफ-रोडिंग जैसे कामों के लिए डीजल का मुकाबला अभी EV या पेट्रोल से नहीं हो सकता।
क्या डीजल खुद को बदल सकता है?
दुनिया में कई कंपनियां हाइब्रिड डीजल, बायो-डीजल (20% मिश्रण) और सिंथेटिक फ्यूल्स पर काम कर रही हैं। ये तकनीकें डीजल को साफ और नियमों के दायरे में बनाए रख सकती हैं। भारत में एथेनॉल ब्लेंडिंग (20% लक्ष्य 2025 तक) की कोशिशें बायोफ्यूल्स को भी बढ़ावा देंगी।
EV बनाम डीजल – अभी लंबा सफर बाकी
EV की तरफ सरकार का जोर जरूर है, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि EV चार्जिंग स्टेशन बहुत कम (12,000 से भी कम) हैं। EV की कीमतें अभी 25-40% तक ज्यादा हैं। कई इलाकों में बिजली की सप्लाई भी नहीं है। ऐसे में डीजल का अल्टरनेट मिलना इतना आसान नहीं है।
नीति में भी स्पष्टता की कमी
अभी तक कोई आधिकारिक डीजल बैन घोषित नहीं हुआ है। हालांकि, कुछ राज्य रोजगार और लॉजिस्टिक्स पर असर की वजह से विरोध में हैं। फिलहाल, कृषि और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में डीजल पर टैक्स और सब्सिडी अब भी जारी है।
डीजल खत्म नहीं होगा?
2030 तक पैसेंजर कार सेगमेंट में डीजल की हिस्सेदारी 5% से भी कम (अभी 17%) हो सकती है। लेकिन, ग्रामीण इलाकों, भारी वाहनों, और एक्सपोर्ट में डीजल बना रहेगा।
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