पति के दीर्घायु के लिए वट सावित्री की सुहागन महिलाओं ने की पूजा
फोटो 6 : आरा में वट सावित्री के मौके पर सोमवार को वट वृक्ष की परिक्रमा करतीं सुहागिन महिलाएं।

आरा। हिन्दुस्तान टीम शहर समेत सभी प्रखंडों में अखंड सौभाग्य को लेकर सुहागन महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा अर्चना की। सोमवार को वट (बरगद ) के पेड़ों के नीचे सुहागन महिलाएं पूजा में जुटी रहीं। पूजा के दौरान वटवृक्ष की परिक्रमा की गई। शुभ मुहूर्त में महिलाओं में पूजा-अर्चना की। दोपहर तक पूजा-अर्चना का कार्य चलता रहा। मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा में अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। रंग-बिरंगे परिधानों में सजी-धजी शृंगार किए और गहने पहन सुहागिनों ने वट वृक्ष के पास पूजा करने के लिए पहुंच गई थीं।
बता दें कि सुहागन महिलाएं अपने अपने पति दीर्घायु को लेकर वट सावित्री की पूजा अर्चना करती हैं। पूजा-अर्चना करने पहुंची महिलाओं ने बताया कि वट सावित्री पर्व पर वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। सुहागिन महिलाओं की ओर से यह पूजा की जाती है, जिसमें अधिक उम्र वाले वृक्ष की पूजा किये जाने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि जितने अधिक पुराने वट वृक्ष की पूजा की जाती है, पति की आयु उतनी ही अधिक लंबी होती है। पति की लंबी उम्र की कामना की महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा के दौरान कच्चे सूत को वटवृक्ष पर लपेटकर हर फेरे में पति की लंबी आयु और उनका जन्म-जन्म का साथ निभाने की कामना की। महिलाओं ने निर्जला उपवास कर इस सुहाग पर्व को उत्साह के साथ मनाया। सोलह शृंगार कर महिलाएं पहुंचीं मंदिर दुल्हन की तरह सोलह शृंगार कर मंदिर पहुंचीं महिलाओं ने विधि-विधान के साथ इस व्रत को पूरा किया। पूजा के बाद सुहागिनों ने सत्यवान और सावित्री की कथा भी सुनी। शहर के मंदिरों और वटवृक्ष के नीचे सुबह से ही सुहागिनों की भीड़ लगी रही। पूजा के बाद सुहागिनों ने वट वृक्ष की परिक्रमा कर वट सावित्री की पूजा संपन्न की। कच्चे सूत लेकर की परिक्रमा कच्चे सूत को लेकर परिक्रमा कर सुहागिनों ने चना, पकवान, मौसमी फल सहित सुहाग का पिटारा भी चढ़ाया। कई महिलाओं ने बताया कि उसके पहले व्रत को लेकर ससुराल में काफी उत्साह था। हमेशा उसने अपनी मां-चाची, मामी को यह व्रत करते देखा था और आज उसने यह व्रत रखा है। सुबह से लगी थी भीड़ वट सावित्री के दिन शहर के कई चौक-चौराहों सहित विभिन्न जगह जहां वट वृक्ष हैं, वहां सुहागिनों को काफी भीड़ लगी रही। इन जगहों पर तो सुबह से ही महिलाएं पूजा की सामग्री लेकर आई थीं और फिर बारी-बारी से पूजा कर परिक्रमा की। वट वृक्ष में भगवान का वास वट वृक्ष के नीचे ही सावित्री ने यमराज से अपने पति को वापस जीवित करने का वरदान मांगा था। वट वृक्ष की जड़ों में भगवान ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों ने शिव का वास होने की वजह से तीनों देवों के प्रतीक स्वरूप वट वृक्ष की पूजा की जाती है।
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