Preservation Urged for Ichak s Historic Temples and Gardens Amidst Encroachment Threats बोले हजारीबाग : चिंतनीय : विकास की दौड़ में पीछे छूटा आस्था का इतिहास, Hazaribagh Hindi News - Hindustan
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बोले हजारीबाग : चिंतनीय : विकास की दौड़ में पीछे छूटा आस्था का इतिहास

इचाक क्षेत्र में 100 से अधिक प्राचीन मंदिर और दर्जनों ऐतिहासिक तालाब हैं। यह दुमका के मलूटी से कम नहीं। पर इनका रख-रखाव सही नहीं होने के कारण इसके प्

Newswrap हिन्दुस्तान, हजारीबागWed, 28 May 2025 03:57 AM
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बोले हजारीबाग : चिंतनीय : विकास की दौड़ में पीछे छूटा आस्था का इतिहास

इचाक । इचाक क्षेत्र रामगढ़ राजाओं की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध रहा है। यही कारण है कि परासी, कुटुम व सुकरी जैसे इलाकों में तालाब, मंदिर और बाग-बगीचों की भरमार है, जो इस क्षेत्र की सुंदरता को चार चांद लगाते हैं। मंदिरों की अधिकता के कारण इस क्षेत्र को मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है। यहां के मंदिर, तालाब और बाग-बगीचे ऐतिहासिक धरोहरों के रूप में जाने जाते हैं। लेकिन हाल के दिनों में इन धरोहरों की समुचित देखभाल एवं रखरखाव नहीं होने से इनकी स्थिति जर्जर होती जा रही है। इन धरोहरों को नुकसान पहुंचाने में माफिया और कुछ अन्य लोग भी जिम्मेदार हैं।

सिंह दरवाजा, बाबा बंशीधर मंदिर, भैरवनाथ मंदिर, लक्ष्मी नारायण बड़ा अखाड़ा मंदिर, श्रीराम जानकी छोटा अखाड़ा मंदिर, बुढ़िया माता मंदिर, मां चंपेश्वरी मंदिर सहित कई ऐसे मंदिर हैं जो राजा के समय से स्थापित हैं। इन मंदिरों और धार्मिक स्थलों के रखरखाव करने के लिए हजारों एकड़ भूमि ट्रस्ट के नाम पर छोड़ी गई थी, जिससे होने वाली आय से मंदिरों के रखरखाव और जीर्णोद्धार का कार्य किया जाता था। यह जिम्मेदारी अखाड़े के महंत के अधीन थी। वर्तमान में इचाक में सैकड़ों पुराने मंदिर, दर्जनों तालाब और 50 से अधिक बाग-बगीचे हैं, जो देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। अतिक्रमण के कारण तालाब और बाग-बगीचों का आकार लगातार सिकुड़ता जा रहा है। लोगों का कहना है कि प्रशासन ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने में रुचि नहीं ले रहा है, जिससे माफिया तत्वों का मनोबल बढ़ा हुआ है। ये तत्व अखाड़े की भूमि को अवैध रूप से बेच रहे हैं, जिस पर दिन-रात निर्माण कार्य चल रहा है। तालाबों को भरकर उनका अस्तित्व मिटाया जा रहा है, वहीं बाग-बगीचों को उजाड़ कर खेती योग्य भूमि में तब्दील किया जा रहा है। कुछ बाग-बगीचों की जमीन को ग्रामीणों के हाथों बेच दिया गया है, जिस पर निर्माण जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 19 पंचायतों वाले इचाक प्रखंड में सबसे अधिक मंदिर, तालाब और बाग-बगीचे प्रशिया पंचायत में हैं। इनकी देखरेख और संरक्षण नहीं होने से इनका अस्तित्व खतरे में है। यदि जवाबदेही तय की जाए, तो इन्हें संरक्षित किया जा सकता है। लोगों ने कहा कि मंदिरों, तालाबों और बाग-बगीचों की अधिकता के कारण यह क्षेत्र एक संभावित पर्यटन स्थल है। यदि इसे पर्यटनस्थल के रूप में विकसित किया जाए तो यहां के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। साथ ही यहां बेरोजगारी कम होगी और पलायन भी रुकेगा। ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र के सांसद, विधायक, प्रशासनिक अधिकारी एवं राज्य सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है, तभी इन धरोहरों का संरक्षण हो सकेगा और लोगों को रोजगार मिल सकेगा। लोगों ने यह भी कहा कि ट्रस्ट की नियमित बैठकें नहीं होने के कारण ऐतिहासिक धरोहरों के रक्षक ही अब भक्षक बनते जा रहे हैं। ट्रस्टियों की नियमित बैठकें होने से इस पर अंकुश लगाया जा सकता है। साथ ही इन तालाबों और मंदिरों के जीर्णोद्धार में पहल की जा सकती है। प्रस्तुति : गणेश उजाड़े जा रहे हैं बाग-बगीचे माफिया तत्व कब्जा जमा रहे हैं। मंदिरों और अखाड़ों की जमीन अवैध रूप से बेची जा रही है। तालाबों को पाटा जा रहा है और बाग-बगीचों को उजाड़कर खेत में बदला जा रहा है। बाबा बंशीधर मंदिर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल भी अतिक्रमण की चपेट में हैं। रखरखाव के अभाव और जिम्मेदारों की चुप्पी से इन स्थलों का अस्तित्व संकट में है। इस बचाने के लिए क्षेत्र के ग्रामीणों, स्वयंसेवी संस्थाओं को आगे आने की जरूरत, ताकि इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाया जा सके। देखरेख की जवाबदेही तय नहीं परासी पंचायत सहित इचाक प्रखंड के अन्य क्षेत्रों में धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों की संख्या बहुत अधिक है। लेकिन इनकी देखरेख की कोई निश्चित जवाबदेही तय नहीं है। अगर प्रशासन और ट्रस्ट सक्रिय होकर संरक्षण की जिम्मेदारी तय करें, तो इन धरोहरों को बचाया जा सकता है। साथ ही इसके विकास के लिए ट्रस्ट की नियमित बैठकें जरूरी हैं ताकि जिम्मेदार लोग सक्रिय भूमिका निभा सकें और क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहरों की रक्षा सुनिश्चित हो सके। पर्यटन को मिल सकता है बढ़वा स्थानीय लोगों का मानना है कि इचाक को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। मंदिर, तालाब और बाग-बगीचों की ऐतिहासिक समृद्धता इस क्षेत्र को पर्यटन के लिए उपयुक्त बनाती है। यदि सरकार ध्यान दे, तो पर्यटन से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा और आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। साथ ही क्षेत्र से पलायन भी रुकेगा। सांसद, विधायक और अधिकारियों को मिलकर इचाक को 'मंदिरों की नगरी' से आगे एक समृद्ध पर्यटन स्थल बनाना चाहिए। इचाक को संरक्षित स्थल घोषित करें स्थानीय लोगों का मानना है कि ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए सिर्फ प्रशासन या ट्रस्ट नहीं, आम जनता की भूमिका भी बेहद अहम है। इसलिए इसे बचाने के लिए आम लोगों को आगे आने की जरूरत है। मंदिरों, तालाबों और बाग-बगीचों की सफाई, सुरक्षा और संरक्षण के लिए जन-जागरुकता अभियान चलाया जाना चाहिए। इसके लिए स्कूलों, पंचायतों और सामाजिक संगठनों को मिलकर पहल करनी होगी। साथ ही, सरकार से मांग है कि इन धरोहरों की सूची बनाकर उन्हें संरक्षित स्थल घोषित किया जाए, ताकि कानूनी संरक्षण भी मिल सके और इचाक की ऐतिहासिक पहचान कायम रह सके और इचाक प्रखंड की एक नई पहचान बन सके। लोगों ने कहा- ऐतिहासिक धरोहर को बचाएं इचाक का प्रसिद्ध मंदिर जर्जर स्थिति में पहुंच गया है, जो चिंता का विषय है। कभी यह मंदिर अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता था। -अखिलेश कुमार मंदिरों तक जाने वाला मुख्य रास्ता बेहद खराब है और वहां रोशनी की व्यवस्था भी नहीं है। शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। -नागेंद्र कुमार मंदिर और उसके पास स्थित तालाब की ट्रस्टी भूमि पर पौधरोपण किया जाना चाहिए ताकि आसपास का वातावरण सुंदर बना रहे। -रेणु देवी ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए पंचायत स्तर पर बैठकें होनी चाहिए। ऐसे निर्णयों में लोगों की आम सहमति जरूरी है। -ललिता देवी धार्मिकस्थलों जैसे अखाड़ा मंदिर के आसपास बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए। -सीता देवी उपेक्षा के कारण इचाक के कई मंदिर जर्जर हो चुके हैं। शाम होते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है। -बबलू राम मुख्य मंदिरों को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाए और नियमित टैक्स प्रणाली लागू की जाए। इससे मंदिरों की देखरेख हो सकेगी। -गणेश देवी इचाक की धरोहरों की देखरेख के लिए बनी ट्रस्टी बॉडी की बैठकें लंबे समय से नहीं हो रही हैं। विकास के लिए योजना बनानी चाहिए। -गजेंद्र कुमार इचाक में मठ, मंदिर, बगीचे और तालाब की भरमार है, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के कारण ये उपेक्षित हैं। इन्हें विकसित किया जाए। -अशोक कपरदार परासी पंचायत के हर गांव और मोहल्ले में प्राचीन मंदिर स्थित हैं। लोगों को मंदिरों की देखरेख की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। -सुभाष सोनी ऐतिहासिक मंदिरों को बचाने के लिए बड़े नेताओं, सांसदों, विधायकों और जनप्रतिनिधियों को मिलकर एकजुट आवाज उठानी चाहिए। -विक्की धवन मंदिरों के विकास और संरक्षण में लोगों की भूमिका अहम होती है। सबको मिलकर एकजुट होकर आवाज बुलंद करनी चाहिए। -गौतम नारायण सिंह इनकी भी सुनिए इचाक मंदिरों की नगरी है, लेकिन यहां सुविधाओं का अभाव है। इसे दूर करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। मैं अपनी ओर से इचाक को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखूंगा। इचाक क्षेत्र के विकास में जितनी भी शक्ति लगानी पड़े, मैं कभी पीछे नहीं हटूंगा। -अमित कुमार यादव, विधायक, बरकट्ठा इचाक में प्राचीन काल के कई मंदिर, तालाब और बाग-बगीचे हैं, जिन्हें विकसित कर पर्यटनस्थल का रूप दिया जा सकता है। इसके लिए इचाक के प्रबुद्ध नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों के साथ मिलकर बैठक करनी होगी। उसके बाद ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण और विकास कर क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से समृद्ध बनाया जा सकता है। -संतोष कुमार, बीडीओ, इचाक

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