बाल विवाह रोकने के लिए जिला प्रशासन संवेदनशील, धर्म गुरूओं की मदद जरूरी
अररिया में बाल विवाह को रोकने के लिए जिला प्रशासन सक्रिय है। डीएम अनिल कुमार ने कहा कि समाज के सभी वर्गों को इस सामाजिक विकृति के खिलाफ आगे आना चाहिए। बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है। हाल ही में...

अररिया, वरीय संवाददाता। अररिया में बाल विवाह रोकने के लिए जिला प्रशासन संवेदनशील हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए धर्म गुरूओं की सहयोग जरूरी है। यह बातें डीएम अनिल कुमार ने कही। कहा कि बाल विवाह जैसी सामाजिक विकृति को रोकने के लिए समाज का सभी वर्ग आगे आएं। इस सामाजिक कलंक को धोने का हम सभी संकल्प लें। बाल विवाह की आशंका को देखते हुए इस पर अंकुश लगाने के लिए अररिया जिले में विशेष अभियान भी शुरू किया गया है। यूं तो इस पर अंकुश लगाने के लिए बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है। इसके अनुसार किसी लड़की की शादी 18 वर्ष से कम तथा लड़का की शादी 21 वर्ष से कम उम्र में करना दण्डनीय अपराध है।
कम उम्र में शादी करने से बालक/बालिका के स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सभी प्रकार के विकास पर विपरीत असर पड़ता है। इसलिए बाल विवाह को रोकना अत्यन्त आवश्यक है। अनुमंडल स्तर पर अनुमंडल पदाधिकारी तथा प्रखंड स्तर पर प्रखंड विकास पदाधिकारी, बाल विवाह निषेध पदाधिकारी के रूप में है। बाल विवाह को रोकने में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी भी सहयोग करने के लिए नामित है। थाना स्तर पर प्रत्येक थाने में बाल विवाह रोकथाम पुलिस पदाधिकारी भी कार्यरत है। जिस बालक/बालिका का बाल विवाह हो उसके माता-पिता, संरक्षण अथवा, वह व्यक्ति जिसकी देख-रेख में बालक/बालिका हैं, वे बाल विवाह के दोषी माने जाएंगे। बाल विवाह सम्पन्न कराने वाले पंडित, मौलवी, बाराती, सराती, उसमें शामिल होने वाले लोग, टेन्ट वाले, बैण्ड बाजा वाले आदि सभी बाल विवाह के दोषी माने जाएंगे। जिस क्षेत्र में बाल विवाह की घटना घटित होती है वहाँ के स्थानीय जनप्रतिनिधि जैसे वार्ड मेम्बर, मुखिया भी दोषी माने जाएंगे। साथ ही उस क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, विकास मित्र, आशा वर्कर आदि सरकारी कर्मियों की भी जबावदेही है। जिस बालक/बालिका का बाल विवाह हो रहा हो वह स्वयं अथवा कोई भी व्यक्ति इसकी सूचना दे सकता है। सूचना देने वाले के नाम को पूरी तरह गोपनीय रखते हुए बाल विवाह को रोकने हेतु अग्रेत्तर कार्रवाई की जाती है। यहां दें बाल विवाह होने की जानकारी: 1. महिला हेल्पलाइन के टॉल फ्री नंम्बर-181 2. चाइल्ड लाइन हेल्पलाइन के टॉल फ्री नम्बर-1098 3. जिला स्तर पर संचालित बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष/सदस्य 4. जिला स्तर पर महिला एवं बाल विकास निगम 5. अनुमंडल पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकाारी अथवा संबंधित थाना। कार्यशाला के जरिए चलाए जा रहे हैं जागरूकता कार्यक्रम: जिले में समय-समय पर कार्यशाला आयोजित कर बाल विवाह की रोकथाम के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।साथ ही जिला से लेकर पंचायत स्तर पर बाल संरक्षण समिति भी गठित है। जिसके तहत प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर बैठकें आयोजित करके बाल विवाह की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक किया गया है जिसमें मुखियागण, वार्ड सदस्य एवं स्वयंसेवी संस्थान की भी सहभागिता रही है। वर्तमान में 14 अप्रैल 2025 से जिला में डॉ. भीमराव अम्बेकर समग्र सेवा अभियान के तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति टोलों में आयोजित विशेष शिविर में भी बाल विवाह की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। संबंधित अफसरों को कार्रवाई का निर्देश: किसी भी माध्यम से जैसे ही बाल विवाह की कोई सूचना प्राप्त होती है उसको रोकवाने के लिए संबंधित पदाधिकारियों को त्वरित कार्रवाई करने का निदेश दिया गया है। अक्षय तृतीया के अवसर पर बाल विवाह के होने की आशंका को देखते हुए अनुमंडल स्तर पर 25 अप्रैल एवं 29 अप्रैल 2025 को बैठकें भी आयोजित हुई हैं। इससे बाल विवाह को रोका जा सके। थाना एवं प्रखंड स्तर पर भी इसके लिए बैठकें आयोजित की जा रही हैं। बाल विवाह की रोकथाम के मामले में जिला प्रशासन, अररिया पूर्ण रूप से संवेदनशील है। विवाह सम्पन्न कराने में धर्म गुरूओं की विशेष भूमिका होती हैं। अत: उनसे अनुरोध है कि कहीं भी विवाह कार्यक्रम में जाने के पूर्व यह सुनिश्चित हो ले कि वह बाल विवाह न हो। डीएम अनिल कुमार कहते हैं कि जिला प्रशासन आप सभी से अपील करता है कि हम सभी मिलकर अररिया जिला को बाल विवाह मुक्त करावें।
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