सहरसा: जुड़ शीतल त्योहार श्रद्धापूर्वक मना
महिषी प्रखण्ड के विभिन्न गांवों में जुड़ शीतल का त्योहार श्रद्धा से मनाया गया। बुजुर्ग महिलाएं छोटे बच्चों के सिर पर पानी डालती हैं और घर, आंगन एवं धर्मस्थलियों को भी पानी से सींचा जाता है। इस दिन...

महिषी एक संवाददाता प्रखण्ड के विभिन्न गांवों में मंगलवार को जुड़ शीतल का त्योहार श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस मौके पर घर की बुजुर्ग महिला सदस्य ने अपने से छोटों के सिर पर पानी देकर उन्हें जुड़ाया। परम्परा के अनुसार घर आंगन, ग्रामीण सड़क, धर्मस्थलियों सहित पेड़ पौधों को लोग पानी से पटवन करते देखे गए। गर्मी के दिनों की शुरुआत मानकर आज के दिन तुलसी के पौधों एवं पूर्वजों के श्मशान पर भी छोटे घड़े में छेद कर पानी भरकर टांगने की प्रथा है, जिससे बून्द बून्द पानी गिरता है। कहा जाता है कि विकट गर्मी से तुलसी पेड़ को बचाने तथा पूर्वजों को गर्मी से राहत के लिए ऐसा किया जाता है। इससे पूर्व सोमवार को वैशाखी के दिन लोगों ने घड़ा में जल भरकर दान किया तथा सतुवाइन होने के कारण सत्तू पिया। पुरानी परम्परा के अनुसार जुड़शीतल के दिन लोग कल का बना हुआ खाना आज खाते हैं, जिसकारण इसे बाइस पावैन भी कहा जाता है। बाइस पावैन के नाम से जाने जाने वाले इस त्योहार को करही बरी और भात खाने की परम्परा है। लोग बाइस भोजन कर शिकार करने जंगलों में जाते थे। वैसे आजकल बाइस भोजन खाने की परम्परा तो कमोवेश है, लेकिन शिकार खेलने की परंपरा लगभग समाप्त हो गयी है।
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