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जिले में 750 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती कराने का लक्ष्य, पेज 4 लीड

1875 किसान करेंगे प्राकृतिक खेती, कार्य योजना तैयार, प्राकृतिक खेती से मिट्टी की उर्वरता में होगी वृद्धि स स स स स स स स स स

Newswrap हिन्दुस्तान, औरंगाबादFri, 16 May 2025 10:20 PM
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जिले में 750 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती कराने का लक्ष्य, पेज 4 लीड

राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन के अंतर्गत जिले में किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना और रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों को कम करना है। इसके लिए जिले में 15 क्लस्टर सेंटर स्थापित किए गए हैं, जिनके माध्यम से 750 हेक्टेयर भूमि पर 1875 किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती का लक्ष्य रखा गया है। प्राकृतिक खेती के सुचारू संचालन के लिए डीएओ की अध्यक्षता में प्रखंड स्तर पर कार्यकारिणी समिति का गठन किया गया है। नियमित निगरानी के लिए एक समर्पित निगरानी समिति भी बनाई गई है। प्रत्येक चयनित ग्राम पंचायत में 50 हेक्टेयर क्षेत्र में 125 किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षित और विकसित किया जाएगा।

किसानों को छोटे क्षेत्र से प्राकृतिक खेती शुरू करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए कृषि सखी, महिला स्वयं सहायता समूह, जीविका सदस्यों या सीआरपी की भूमिका निभाने वाले इच्छुक किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। चयनित किसानों के खेतों को प्राकृतिक खेती के मॉडल डेमॉन्सट्रेशन फार्म के रूप में विकसित किया जाएगा। किसानों को कम से कम दो वर्ष तक प्राकृतिक खेती के लिए शपथ पत्र जमा करना होगा। इसके लिए संबंधित क्लस्टर का निवासी होना अनिवार्य है। अच्छी संचार क्षमता, स्थानीय भाषा में पढ़ने-लिखने का ज्ञान और स्मार्टफोन संचालन में दक्षता आवश्यक है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्रति एकड़ चार हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दो वर्ष के लिए प्रदान की जाएगी, जो अधिकतम एक एकड़ तक सीमित होगी। यह राशि आधार प्रमाणीकरण वाले बैंक खाते में दो किश्तों में हस्तांतरित की जाएगी। डीएओ रामईश्वर ने बताया कि प्राकृतिक खेती के तहत घरेलू कचरे को टेबल के आकार के गड्ढे में एकत्र कर उसमें इटालियन केंचुआ डाला जाता है। इससे तैयार खाद मिट्टी की नमी को लंबे समय तक बनाए रखती है और उर्वरता बढ़ाती है। इस विधि से उत्पादित अनाज रासायन-मुक्त होता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में रासायनिक खाद के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। प्राकृतिक खेती इस समस्या का प्रभावी समाधान है।

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