वॉलीबॉल खिलाड़ियों को लाइटयुक्त कोट और अभ्यास के लिए मिले किट
पश्चिम चंपारण जिले में वॉलीबॉल खिलाड़ियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कोट की कमी और संसाधनों के अभाव के कारण खिलाड़ी सही तरीके से प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं। खिलाड़ियों को खुद कोट तैयार...
पश्चिम चंपारण जिले में वॉलीबॉल के खिलाड़ियों को खेल से संबंधित कई तरह की समस्याएं हैं। खिलाड़ी खेलना तो चाहते हैं लेकिन संसाधनों की कमी की वजह से प्रतिभा बेकार हो रही है। खिलाड़ियों के समक्ष सबसे बड़ी कमी वॉलीबॉल कोट की है। शहर में कोट नहीं होने के कारण खिलाड़ियों को ग्रामीण क्षेत्र में बने कोट पर प्रैक्टिस करनी पड़ती है। वॉलीबॉल खिलाड़ी सैफ अली बताते हैं कि खेलने के लिए खिलाड़ियों को अपने स्तर से प्रत्येक गांव में कोट तैयार करना होता है उसके लिए खुद पोल, नेट, बॉल का इंतजाम करना होता है। इसके लिए मेहनत के साथ आर्थिक बोझ भी उठानी पड़ती है। राजा ने बताया कि जिले में वॉलीबॉल का कोई भी कोट ऐसा नहीं है, जिस पर लाइट का प्रबंध हो। लाइट नहीं रहने से शाम में खिलाड़ी प्रैक्टिस नहीं कर पाते हैं।
एसोसिएशन की मदद से खिलाड़ी आउटडोर कोर्ट तो खुद बना लेते हैं , लेकिन गर्मी, बरसात, आंधी-तूफान के कारण अक्सर खेल बंद हो जाता है। कम से कम प्रत्येक अनुमंडल में एक-एक इंडोर वॉलीबॉल कोर्ट का निर्माण होना चाहिए। रौशन राज ने कहा कि जिले में वॉलीबॉल के प्रशिक्षकों की कमी है और बाहर से प्रशिक्षक को बुलाकर खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने का कोई प्रबंध नहीं है। संघ के सचिव सच्चिदानंद ठाकुर बताते हैं कि एसोसिएशन के प्रयास से खिलाड़ियों को ड्रेस उपलब्ध हो जाता है लेकिन जूते के अभाव में उन्हें नंगे पैर खेलना पड़ता है। खिलाड़ी आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं कि कोट से लेकर अन्य सामग्री तक खरीद सकें। प्रत्येक दो माह के अंतराल पर उन्हें नए जूते खरीदने होते हैं। गांव में अब लोगों की रुचि वॉलीबॉल में पहले से बहुत कम हो गई है। इसके कारण सामाजिक स्तर पर भी वॉलीबॉल खिलाड़ियों को मदद प्रदान करने वाले लोगों की कमी है। स्कूल कॉलेज स्तर पर वॉलीबॉल खेल के आयोजन लगभग नहीं के बराबर होते हैं। इस कारण अधिक से अधिक मैच का अनुभव खिलाड़ियों को नहीं हो पाता है।
वॉलीबॉल खिलाड़ियों को खेल के साथ-साथ पढ़ाई एवं रोजगार की भी चिंता रहती है। इससे पूरी तरह से केंद्रित होकर खेल पर ध्यान नहीं लगा पाते हैं। जिले से बाहर होने वाले आयोजनों में सिर्फ जिले के चुनिंदा खिलाड़ियों को ही अवसर मिलता है, जो एसोसिएशन द्वारा चयनित किए जाते हैं। आमतौर पर खिलाड़ियों को बड़े मैचों का अनुभव नहीं होने से भी उनके खेल पर बुरा असर पड़ता है। एसोसिएशन से जुड़े कुछ स्कूल, कॉलेज,और कोचिंग संस्थानों में वॉलीबॉल के वैसे खिलाड़ी जो अभी पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें कुछ छूट मिल जाती है । लेकिन अधिकांश खिलाड़ियों के लिए पढ़ाई के साथ-साथ खेल जारी रखना बहुत कठिन होता है। सुधांशु ने कहा कि सीनियर खिलाड़ी जो 20 साल से ऊपर के हैं उनके परिवार का दबाव खेल छोड़कर रोजी रोजगार प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक होता है। इससे अपने खेल के चरम पर आकर विमुख होने लगते हैं। खिलाड़ियों के लिए कोट समेत सामग्री का इंतजाम खेल विभाग की ओर से किया जाय।
प्रस्तुति -गौरव कुमार
पंचायत में वॉलीबॉल स्टेडियम का हो रहा निर्माण: खेल पदाधिकारी
जिला खेल पदाधिकारी विजय कुमार पंडित का कहना है कि जिले के विभिन्न पंचायत में वॉलीबॉल बास्केटबॉल और बैडमिंटन के लिए खेल स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जल्द ही सभी स्टेडियम बनकर तैयार हो जाएंगे। जहां तक शहरी क्षेत्र की बात है बेतिया के महाराजा स्टेडियम और जीरात में वॉलीबॉल का स्टेडियम बना हुआ है। खिलाड़ी वहां पर जाकर अपने खेल का प्रदर्शन कर सकते हैं। जहां तक खिलाड़ियों के लिए सामान की बात है। अगर कोई संगठन जगह का निर्धारण कर ले तो उसके लिए खेल विभाग द्वारा सामान दिया जा सकता है। लेकिन किसी व्यक्ति विशेष को खेल का सामान नहीं दिया जा सकता। किसी संगठन को खेलने अथवा अन्य खिलाड़ियों के लिए खेल का समान खेल विभाग की ओर से उपलब्ध कराया जाता है।
सुझाव
1. स्कूल कॉलेज स्तर पर वॉलीबॉल खेल के आयोजन की व्यवस्था की जाए। इससे नए-नए खिलाड़ी आ सकें।
2. अब लोगों की रुचि वॉलीबॉल में पहले से बहुत कम हो गई है इसे बढ़ावा दिया जाए। ताकि खेल का विकास हो सके।
3. वॉलीबॉल कोर्ट के साथ लाइट की भी व्यवस्था की जाए। ताकि खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिले।
4. शहर में वॉलीबॉल कोट का निर्माण होनी चाहिए। ताकि ग्रामीण क्षेत्र में जाकर खिलाड़ियों को नहीं खेलना पड़े।
5. खिलाड़ियों के लिए नेट, बॉल, और जूते विभाग द्वारा उपलब्ध कराया जाए। ताकि खिलाड़ियों को परेशानी नहीं हो।
शिकायतें
1. शहर में कोट नहीं होने के कारण गांव में जाकर खिलाड़ियों को कोट बनाना पड़ता है। इसमें काफी परेशानी होती है।
2. जिले में एक भी कोट लाइट वाले नहीं हैं। इससे शाम में खिलाड़ी शाम में प्रैक्टिस नहीं कर पाते हैं।
3. लोगों की रुचि वॉलीबॉल में कम हो गई है। इसके कारण सामाजिक स्तर पर खिलाड़ियों को मदद नहीं मिल पाती है।
4. 20 साल से ऊपर के खिलाड़ियों पर परिवार का दबाव रोजी रोजगार प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक होता है।
5. स्कूल कॉलेज स्तर पर वॉलीबॉल खेल के आयोजन लगभग नहीं के बराबर हो रहे हैं।
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