गलियों में सीसीटीवी न पुलिस की गाड़ी, दहशत में हजारों दुकानदार
बेतिया शहर में तंग गलियों में दुकानदारों को अपनी दुकानों और निवास की सुरक्षा को लेकर चिंता है। पुलिस की आधुनिक गश्ती टीम मुख्य चौक-चौराहों पर सक्रिय है, लेकिन गलियों में गश्ती नहीं होने से असामाजिक...
बेतिया शहर के मुख्य चौक-चौराहे, व्यावसायिक क्षेत्र, सरकारी कार्यालय या कुछ खास मोहल्लों की सुरक्षा को पुलिस प्रशासन की ओर से आधुनकि सुविधाओं वाली गाड़ी के साथ गश्ती की टीम तैयार कर दी गयी है लेकिन शहर की तंग गलियों में छोटी दुकान खोलकर व्यवसाय करने वाले हजारों लोगों को अब भी अपनी दुकानों व निवास की सुरक्षा की चिंता बनी रहती है। यहां के लोगों की परेशानी है कि गलियों में गश्ती नहीं होने से असामाजिक तत्व सक्रिय रहते हैं। हर समय दुकानों में चोरी की आशंका बनी रहती है। इन दुकानदारों का कहना है कि तंग गलियों में सीसीटीवी भी नहीं लगे हैं। इस कारण किसी तरह के अपराध होने पर अपराधियों की पहचान भी मुश्किल होती है। गलियों के दुकानदारों की मांग है कि गलियों में सुरक्षा मानकों के साथ पुलिस की गश्ती टीम की सक्रियता रहनी चाहिए।
दुकानदार राजू लहरी, नवीन कुमार लहरी, रितेश कुमार लहरी, अरुण बरनवाल, सरफ़राज आलम, शहनवाज खान, सुदामा बैठा, अली अहमद, मनोज कुमार गुप्ता, रवि गोयनका, संजय गोयनका, अतुल गोयनका, वीरेन्द्र प्रसाद, राहुल सर्राफ, विनोद बैठा आदि ने कहा कि सुरक्षा के मामले में प्रशासन का सहयोग अपेक्षित है। इन लोगों का कहना है कि पहले चौकीदारों द्वारा सीटी बजाकर रातभर गलियों की सुरक्षा की जाती थी, लेकिन आज के आधुनिक समय में गश्त लगाने वाली टीम मुख्य चौक चौराहों से नीचे नहीं उतरती है। तीन लालटेन चौक,लाल बाजार व मीना बाजार के आसपास की गलियों में अपना कारोबार करने वाले छोटे व्यवसायियों की मांग है कि अगर पहले की तरह अलग-अलग गलियों की रात में सुरक्षा के लिए प्रहरियों की टीम बना दी जाए तो तंग गलियों में दुकान चलाने वाले भी पूरी तरह से सुरक्षित महसूस करेंगे। इनमें से कुछ ऐसे भी व्यवसायी हैं, जिनके यहां चोरी हो चुकी है। इसलिए ये हमेशा दहशत में रहते हैं।
दर्जी की दुकानें, स्टेशनरी की दुकानें, नाई की दुकान,छोटे- छोटे गिफ्ट हाउस, प्रिंटर्स, जूते चप्पल की दुकानें, रेडीमेड कपड़ों की दुकान अथवा किराने की अनगिनत दुकानें जो अभी भी तंग गलियों में संचालित होती है। इन कारोबारियों को हमेशा अपनी दुकानों की सुरक्षा की चिंता बनी रहती है। बेतिया में कई ऐसी तंग गलियां हैं जहां पर चोर बड़ी आसानी से अंधेरे का फायदा उठाकर दुकानें व प्रतिष्ठानों में चोरी की घटना को अंजाम देते हैं। एहतियातन इन दुकान वालों ने अपना निजी चौकीदार रख लिया है जो रात भर निर्धारित दुकान के आसपास मंडराता रहता है। निजी चौकीदार के पास दुकान वालों की ओर से मोबाइल भी उपलब्ध कराया गया है। इसमें सभी दुकान मालिकों का संपर्क नंबर दर्ज रहता है। रात दस बजे से लेकर सुबह छह बजे तक इन निजी चौकीदारों द्वारा रात्रि प्रहरी का काम करने के एवज में प्रति दुकान निर्धारित राशि इनको बतौर मेहनताना दिया जाता है। अगर पुलिस प्रशासन तंग गलियों की सुरक्षा के लिए विशेष मानव बल तैनात कर दे व बाइक गश्ती को भेजने की व्यवस्था हो जाए तो इससे छोटे दुकानदार व छोटे कारोबारियों को सुविधा मिल जाएगी।
प्रस्तुति- मनोज कुमार राव
निजी प्रहरी के भरोसे रहती है गलियों की सुरक्षा
दुकानदारों को अपनी दुकान की सुरक्षा के लिए निजी स्तर पर प्रहरी रखना पड़ता है। पुलिस की ओर से बाइक गश्ती गलियों में की जाए तो व्यापारियों की प्रहरियों के वेतन पर खर्च होने वाली राशि बचेगी और सुरक्षा भी बेहतर तरीके से हो पाएगी।
पुलिस प्रशासन से यह आग्रह करते हुए ऐसे व्यापारियों ने बताया कि जिस प्रकार मोटरसाइकिल से दिन भर बेतिया शहर के मुख्य मार्गों पर पेट्रोलिंग होती है। उसी प्रकार संध्या एवं रात्रि में भी मुख्य मार्ग के साथ साथ नगर की गालियों में भी प्रतिदिन पेट्रोलिंग होनी चाहिए ताकि कभी कोई दुर्घटना अथवा अप्रिय घटना की आशंका खत्म हो जाए। बातचीत के क्रम में ऐसे व्यापारियों ने यह भी बताया कि बेतिया शहर की गालियों में भी बड़ी संख्या में लोगों का निवास एवं प्रतिष्ठान स्थित है। इसलिए इसकी विशेष सुरक्षा के लिए मानव बल की तैनाती होनी चाहिए। बता दें कि जिला मुख्यालय के रात्रि गश्त,स्टैटिक बल, वाहन द्वारा तथा 112 नंबर पर उपलब्ध सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षा के लिए गश्त लगाया जाता है। इसकी समय-समय पर मॉनिटरिंग की जाती है। ग्रामीण इलाकों में चौकीदारों की व्यवस्था की गयी है और शहरी इलाकों में बीट के आधार पर सुरक्षा की व्यवस्था की गयी है। तंग गलियों में अपना व्यवसाय करने अथवा निवास करने वाले लोगों ने इसकी विशेष सुरक्षा की मांग की है। दुकानदारों का कहना है कि दिनभर के बार रात में भी उन्हें दुकान की चिंता रहती है।
पुलिस गश्त की गाड़ी रात भर शहर में घुमती है। मुख्य व गलियों की सुरक्षा बीट से जुड़े सुरक्षाकर्मियों को दी गयी है। इनको लगातार गश्त करने का निर्देश दिया गया है। गलियों की सुरक्षा की भी मॉनिटरिंग की जाएगी। नगर निगम द्वारा शहर के मुख्य चौक-चौराहे पर सीसीटीवी लगाया गया है। पुलिस लाइन से इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी। विशेष सुरक्षा के लिए दुकानदार संपर्क कर सकते हैं।
-विवेक दीप, एसडीपीओ
सीसीटीवी से संबंधित मामलों में बोर्ड की बैठक के बाद निर्णय के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। पार्षदों द्वारा गलियों में सीसीटीवी लगवाने से संबंधित मामलों पर बोर्ड की बैठक में अगर सहमति बनती है तो इस दिशा में कार्रवाई की जाएगी। निगम के पार्षदों से इस पर बैठक में चर्चा की जाएगी। इसके लिए कार्ययोजना बनाने की दिशा में पहल होगी।
-विनोद कुमार, नगर निगम आयुक्त
गलियों में पुलिस की नहीं हो पाती गश्ती
जिला मुख्यालय बेतिया शहर की कई ऐसी तंग गलियां हैं जहां पर पुलिस की रात्रि गश्त की टीम नियमित नहीं पहुंचती है। इन गलियों की नियमित गश्त होनी चाहिए। सभी को बेहतर सुरक्षा का बराबर हक है।
ऐसी गलियों की पहचान कर जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन तथा नगर निगम की संयुक्त टीम को इन तंग गलियों की दुकान व रिहायशी इलाकों की पूरी तरह से दिन और रात की सुरक्षा के लिए योजना बनानी चाहिए। इसके लिए प्रशासन को गलियों में बाइक गश्ती करानी चाहिए। इससे तंग गलियों में रहने वाले लोग सुरक्षित रह पायेंगे। अक्सर रात्रि गश्त की टीम रात में बेतिया की मुख्य चौक चौराहों पर ही जमी रहती है। इससे इन तंग गलियों में रहने वाले लोग असुरक्षित महसूस करते हैं। इनलोगों ने बताया कि शहर के मुख्य सड़कों पर पुलिस की गश्ती होती है। गलियों में भी गश्ती होनी चाहिए।
सुझाव
1. बेतिया की तंग गलियों की दुकानों व प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन को योजना बनानी चाहिए।
2. गलियों की सुरक्षा के लिए प्रशासन अथवा नगर निगम की ओर से सीसीटीवी कैमरा लगाया जाना चाहिए।
3. इन तंग गलियों की छोटी दुकानों की सुरक्षा के लिए वार्ड स्तर पर टास्क फोर्स का गठन होना चाहिए।
4. बाइक गश्ती गलियों में भी होनी चाहिए। सभी गलियों में इनकी पहुंच होनी चाहिए ताकि लोग सुरक्षित महसूस कर सकें।
5. जिला प्रशासन व निगम की संयुक्त टीम द्वारा इन तंग गलियों की सुरक्षा के लिए कार्य योजना बनाई जानी चाहिए।
शिकायतें
1. गलियों के हजारों लोगों को अपनी दुकानों की सुरक्षा के लिए चिंता बनी रहती है। प्रशासन को इसमें सहयोग करना चाहिए।
2. गलियों में अंधेरे का लाभ उठाकर चोर दुकानों में चाेरी की घटना को अंजाम देते हैं। इसकी निगरानी होनी चाहिए।
3. निजी चौकीदार रखने व उनको मोबाइल मुहैया कराने में मोटी राशि खर्च होती है। इससे दुकानदारों को परेशानी होती है।
4. निजी चौकीदारों का चयन करने में भी दुकानदारों को परेशानी होती है। सही चौकीदार नहीं मिलने पर परेशानी बढ़ जाती है।
5. तंग गलियों में प्रतिदिन पेट्रोलिंग नहीं होने से अक्सर गलियों में चोरी की घटनाएं घटती हैं। इसपर अंकुश लगना चाहिए।
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