जिले में 12 प्रखंड कार्यालय व आवासीय भवन का होगा निर्माण
पश्चिम चंपारण जिले के 12 प्रखंडों में लगभग 228 करोड़ की लागत से कार्यालय और आवासीय भवनों का निर्माण किया जाएगा। ये भवन 1 साल में बनकर तैयार होंगे। इससे प्रखंड स्तर के अधिकारियों को अपने क्षेत्रों में...

बेतिया। पश्चिम चंपारण जिले के 12 प्रखंडों में कार्यालय और आवासीय भवनों का निर्माण लगभग 228 करोड़ की लागत से किया जाएगा। 1 साल के अंदर भवन निर्माण विभाग प्रखंड, अंचल और आवासीय भवनों का निर्माण कार्य पूरा करके प्रशासन को सौंप देगी। भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता कमलेश प्रसाद ने बताया कि जिले के योगापट्टी में प्रखंड सह अंचल कार्यालय और आवासीय भवन का निर्माण लगभग 30.74 करोड़, मधुबनी में लगभग 30.74 करोड़ की लागत से किया जाएगा। जबकि गौनाहा, नरकटियागंज, नौतन, मैनाटांड, सिकटा, चनपटिया, मझौलिया, ठकराहां, बगहा 2, रामनगर में प्रत्येक प्रखंड सह अंचल कार्यालय और आवासीय भवन का निर्माण लगभग 16.62 करोड़ की लागत से कराया जाएगा।
प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर की प्रक्रिया जारी हो गई है। टेंडर की प्रक्रिया फाइनल होते ही निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा। प्रथम फेज में 12 प्रखंड सह अंचल कार्यालय और आवासीय भवन का निर्माण होगा। प्रखंड स्तरीय अधिकारियों को प्रखंडों में रहना अनिवार्य:प्रखंड सह अंचल कार्यालय और प्रखंड स्तरीय अधिकारियों और कर्मचारियों के आवासीय भवन बन जाने से आम लोगों को काफी फायदा होगा। प्रखंड स्तरीय अधिकारियों में शामिल प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचल अधिकारी, सीडीपीओ, पीओ मनरेगा, प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, श्रम परिवर्तन पदाधिकारी, प्रखंड कल्याण पदाधिकारी, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी, एसएफसी के एजीएम, प्रखंड कृषि पदाधिकारी समेत सभी अधिकारियों के आवासीय भवन बन जाने से उन्हें प्रखंडों में ही रहकर कार्यों का निष्पादन करना होगा। इससे अधिकारियों के लेट लतीफी पर रोक लगेगी। इन अधिकारियों के प्रखंडों में रहने से समय और सरकारी राशि के दुरुपयोग पर अंकुश लगेगी। सरकार का मानना है कि आवासीय भवन नहीं होने से प्रखंड स्तरीय अधिकारी प्रखंड मुख्यालय के बजाय जिला मुख्यालय में रहकर कार्य कर रहे हैं। इससे विकास कार्यों का समय से निष्पादन नहीं हो रहा है। आवासीय भवन बन जाने से बहानेबाजी नहीं चलेगी। और इसका सीधा लाभ आम लोगों को मिलेगा। मझौलिया के रवि भूषण कुमार, प्रवेश कुमार ने बताया की अधिकांश अधिकारी जिला मुख्यालय में रहकर कार्य करते हैं। जिसके कारण समय से अधिकारी ऑफिस नहीं आते हैं। छोटे-मोटे कार्यों के लिए हम लोगों को कई दिनों तक प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है।
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