Improvement of Drainage System at GMC Hospital Before Monsoon जीएमसीएच में ड्रेनेज सिस्टम ठीक करने का काम शुरू, Bagaha Hindi News - Hindustan
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जीएमसीएच में ड्रेनेज सिस्टम ठीक करने का काम शुरू

बरसात के दिनों में जल-जमाव को रोकने के लिए जीएमसीएच में ड्रेनेज सिस्टम का काम शुरू कर दिया गया है। बीएमएसआईसीएल द्वारा ए, बी और सी-ब्लॉक में काम किया जा रहा है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुधा भारती ने बताया...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाThu, 22 May 2025 02:42 AM
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जीएमसीएच में ड्रेनेज सिस्टम ठीक करने का काम शुरू

बेतिया, एक संवाददाता। बरसात शुरु होने वाली है।बरसात के दिनों के मे जल-जमाव को ध्यान में रखते हुए मानसून की दस्तक देने से पहले जीएमसीएच में ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त करने का काम का शुरु कर दिया गया है।जल जमाव की स्थिति नहीं बने व बेहतर तरीके से जल की निकासी हो सके। इसको ध्यान में रखते हुए ए,बी व सी-ब्लॉक की ड्रेनेज सिस्टम का काम बिहार चिकित्सा सेवा एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड (बीएमएसआईसीएल)के द्वारा शुरू कर दिया गया है।बरसात शुरु होने से पहले यह काम पूर्ण हो जाय।इसको लेकर अस्पताल अधीक्षक डॉ.सुधा भारती ने बीएमएसआईसीएल के उपप्रबंधक इमाम हुसैन के साथ बैठक कर ड्रेनेज सिस्टम व मेडिवेस्ट पीट निर्माण योजनाबद्ध तरीके से कराने की बात कही।

ताकि बरसात के दिनों में 29.83 एकड़ भूमि में फैले जीएमसीएच में जल-जमाव की स्थिति नहीं बने। फिलहाल ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण जीएमसीएच में पूर्वी गेट चाहरदीवारी के समीप से चल रहा है। यह सिस्टम पूरी तरह से अंडरग्राउंड होगा।बेहतर डिजाइन व आधुनिक तकनीक का भी ध्यान रखा गया है। मेडिवेस्ट व कूडा-कचरा के लिए अलग-अलग बनेगा पीट : अस्पताल अधीक्षक डॉ सुधा भारती ने बताया कि अस्पताल से निकलने वाले मेडिवेस्ट व कूडा-कचरा के लिए अलग-अलग पीट बनाया जाएगा।इसको लेकर अस्पताल परिसर में जगह चिन्हित की गई है।पीट निर्माण मे यह ध्यान दिया जाएगा कि वह खुला नहीं रहे। मेडिवेस्ट व कूडा-कचरा में कुत्ता-सुअर का जामवाड़ा रहता है,जो इधर-उधर इसे विखरा देते हैं। जिससे संक्रमण की खतरा बनी रहती है।उन्होंने बताया कि अलग-अलग पीट होने से मेडिवेस्ट निस्तारण करने वाली एजेंसी को व कूडा-कचरा उठाव करने में नगर निगम को किसी तरह की परेशानी नहीं रहेगी।वे व्यवस्थित तरीके से इसका उठाव कर सकेंगे। बता दें कि फिलहाल मेडिवेस्ट को जीविका रसोई के समीप खुला में फेंका जा रहा है। जिस पर दिन-रात कुत्ता व सुअर का झूंडा टूटा रहता है।साथ ही सी-ब्लॉक के वार्ड में भर्ती मरीजों में संक्रमण की भी खतरा बना रहता है।

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