किसानों को मिले उन्नत बीज व खाद,कोल्ड स्टोरेज की दरकार
सब्जी उत्पादक किसान मौसम की बेरुखी और खेती की लागत के अनुसार उचित मूल्य नहीं मिलने से परेशान हैं। उन्नत बीजों की कमी, खाद का समय पर न मिलना, और महंगे परिवहन खर्च के कारण उन्हें हर साल घाटा उठाना पड़ता...
मौसम की बेरुखी और सब्जियों की खेती में लागत के हिसाब से मूल्य नहीं मिलने से सब्जी उत्पादक किसान परेशान हैं। उन्नत प्रजाति के बीज नहीं मिलने से प्रतिवर्ष किसानों को घाटा उठाना पड़ता है। उन्हें समय से खाद, बीज नहीं मिलता है। ट्रांसपोर्टिंग खर्च भी बढ़ गया है। इसके कारण मंडियों तक सब्जी लाने पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है। किसान विनोद शाह, विश्वनाथ कुशवाहा, संजय महतो ने बताया कि मौसम की बेरुखी से हमें घाटा होता है। अत्यधिक गर्मी, अत्यधिक बारिश, अत्यधिक ठंड से 40 फीसदी सब्जी के पौधे प्रतिवर्ष बर्बाद हो रहे हैं। 10 वर्षों के अंदर बीज, कीटनाशी, जैव उर्वरक, रासायनिक खाद के दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। डीजल काफी महंगे हो गए हैं। इसका असर खेती पर पड़ रहा है। इसके कारण सब्जी उत्पादक किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। समय से अपने बच्चों की फीस नहीं दे पा रहे हैं। लागत के हिसाब से फायदा नहीं होने के कारण अगली फसल के लिए साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता है। कोल्ड स्टोरेज की कमी है। उन्नत प्रजाति के बीज नहीं मिल रहे हैं। समय से फास्फोरिक उर्वरक नहीं मिलता है।
कोल्ड स्टोरेज की कमी से प्रतिवर्ष खेतों में 30 फ़ीसदी सब्जी की फसल बर्बाद हो जाती है। उत्पादन अधिक होने पर दूसरे प्रांतों में सब्जी भेजने की कोई व्यवस्था नहीं है। उत्पादन अधिक होने पर सब्जियों का भाव कम हो जाता है। लागत के हिसाब से मूल्य नहीं मिलने के कारण आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है। धान, गेहूं की तरह फसल बीमा का लाभ सब्जी उत्पादक किसानों को मिलना चाहिए। जो नहीं मिल रहा है। पिछले वर्ष अक्टूबर माह में अत्यधिक बारिश होने के कारण 60 फीसदी गोभी की फसलें बर्बाद हो गई। इसकी क्षतिपूर्ति अभी तक नहीं हो पाई है। आलू रखने के लिए जिले में कोल्ड स्टोरेज की कमी है। इस कारण हमें दूसरे अगल-बगल के जिलों में स्थित कोल्ड स्टोरेजो में आलू रखना पड़ रहा है। इसके कारण ट्रांसपोर्टिंग खर्च ज्यादा बढ़ जा रहा है। जी- तोड़ मेहनत करने के बाद भी लागत के हिसाब से फायदा नहीं हो रहा है। दाम नहीं मिलने से अधिकांश किसान सब्जी की खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। सहकारिता विभाग एवं कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ सब्जी उत्पादक किसानों को नहीं मिलता है। उच्च क्वालिटी का बीज नहीं मिलने के कारण अच्छी फसल नहीं होती है। जबकि लागत उतना ही लगता है। सरकारी योजनाएं केवल कागजों पर चल रही है। जिले में लगभग 4000 हेक्टेयर में सब्जी की खेती होती है। खासकर नौतन, मझौलिया, बैरिया समेत दियारा क्षेत्र में सब्जी की खेती होती है। सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों को पंप सेट के सहारे पटवन करना पड़ता है। यह काफी महंगा है। बिजली विभाग से कनेक्शन लेने में काफी परेशानी हो रही है। जंगली जानवरों खासकर नीलगाय से सब्जी की फसलों की काफी बर्बादी हो रही है। इस बर्बादी से बचने के लिए किसानों के पास उपाय नहीं है। जंगली जानवरों से हुई फसल क्षति का मुआवजा लेने की प्रक्रिया जटिल है। इस कारण किसान क्षति का मुआवजा नहीं ले पाते हैं। इससे परेशानी होती है।
प्रस्तुति: श्रीकांत तिवारी/ शत्रुध्न शर्मा
कागजों में सिमट कर रह गई हर खेत सिंचाई योजना
बिजली विभाग से कनेक्शन लेने में काफी परेशानी हो रही है। जंगली जानवरों खासकर नीलगाय से सब्जी की फसलों की काफी बर्बादी हो रही है। प्रतिवर्ष 20 फीसदी सब्जी की फसलें नीलगाय चट कर जा रहे हैं।
सब्जी उत्पादक किसानों को बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारण उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। किसान गणेश महतो, शिव शंकर प्रसाद ने बताया कि सब्जी की फसलों की सबसे ज्यादा नुकसान कीट व्याधि से हो रही है। बाजार में जो दवाईयां मिल रही है वह बेअसर हो रही है। 10 वर्षों के अंदर कीटनाशी के दामों में तीन गुना की वृद्धि हुई है। ब्रांडेड कंपनियों की दवाईयां नहीं मिल रही है। कृषि विभाग के अधिकारी जांच नहीं कर रहे हैं। चौक -चौराहाें पर नकली दवा की दुकानें संचालित हो रही है। इसका खामियाजा किसान भुगत रहे हैं। समस्याओं का समाधान नहीं होने के कारण भी हमें घाटा उठाना पड़ रहा है। अधिकांश सब्जी उत्पादक किसान कम पढ़े लिखे हैं। इसके कारण ये ठगे जा रहे हैं। जबकि जिले में सब्जी की खेती की असीम संभावनाएं हैं। अगर किसानों को उचित मूल्य मिले। फसल बीमा का लाभ मिले। ब्रांडेड कंपनियों की कीटनाशी दवाएं मिले। कोल्ड स्टोर की व्यवस्था हो जाए तो सब्जी की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। जिले में एक भी पैक हाउस नहीं है। पैक हाउस होने पर किसान सब्जी उसमें रख सकेंगे। इससे उनकी सब्जी बर्बाद नहीं होगी। उन्हें अच्छी कीमत भी मिल सकेगी।
20 फीसदी से अधिक फसल नील गाय व जानवर कर देते हैं बर्बाद
प्रतिवर्ष 20 फीसदी से अधिक सब्जी की फसलें नीलगाय व जंगली जानवर बर्बाद कर दे रहे हैं। इससे बचने के लिए किसानों के पास कोई उपाय नहीं हैं। इसकी क्षतिपूर्ति के लिए वन विभाग में योजना है। लेकिन इसकी प्रक्रिया जटिल है। नुकसान के तुरंत बाद वन विभाग में शिकायत करनी होती है। 24 घंटे के भीतर जांच होने और सही पाये जाने पर ही मुआवजा की राशि के लिए कार्रवाई का प्रावधान है। लेकिन कई बार किसानों को दो-तीन दिन बाद पता चलता है कि जानवरों ने फसल बर्बाद कर दिया है। ऐसे में देरी के कारण किसानों को क्षति उठानी पड़ती है। उत्पादक किसानों को बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारण उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। किसान गणेश महतो, शिव शंकर प्रसाद ने बताया कि ब्रांडेड कंपनियों की दवाइयां नहीं मिल रही है। कृषि विभाग के अधिकारी जांच नहीं कर रहे हैं। चौक चौराहा पर नकली दवा की दुकानें संचालित हो रही है। इसका खामियाजा किसान भुगत रहे हैं। समस्याओं का समाधान नहीं होने के कारण भी हमें घाटा उठाना पड़ रहा है। अधिकांश सब्जी उत्पादक किसान कम पढ़े लिखे हैं। इसके कारण उन्हें परेशानी होती है। जबकि जिले में सब्जी की खेती की असीम संभावनाएं हैं। अगर किसानों को उचित मूल्य मिले। फसल बीमा का लाभ मिले। ब्रांडेड कंपनियों की कीटनाशी दवाएं मिले। कोल्ड स्टोर की व्यवस्था हो जाए तो सब्जी की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। लेकिन सुविधाओं के अभाव से उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सब्जी उत्पादक किसानों को बागवानी मिशन द्वारा उन्नत प्रजाति का बीज उपलब्ध कराया जाता है। किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा है। पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर उत्पादक किसानों को अनुदान दिया जाता है। अनुदानित बीज उपलब्ध कराया जाता है। ताकि किसानों को परेशानी नहीं हो। गलत करने वालों पर कार्रवाई हो रही है। गलत करने वाले किसी भी सूरत में बक्शे नहीं जाएंगे।
-प्रवीण कुमार राय,जिला कृषि पदाधिकारी
कृषि फीडर के लिए जिनलोगों ने आवेदन दिया है। उनको बारी- बारी से कनेक्शन दिया जा रहा है। पहले जगह का निरीक्षण करने के बाद वहां आधारभूत संरचना का निर्माण कराया जाता है फिर आगे की कार्रवाई होती है। नए कनेक्शन के लिए आवेदन शुरू है। किसान आवेदन करें, उन्हें कनेक्शन दिया जाएगा। किसी तरह की परेशानी किसानों को बिजली कनेक्शन लेने में होती है तो शिकायत करें। कार्रवाई की जाएगी।
- सुशील कुमार , एसडीओ, बिजली विभाग
सुझाव
1. समय से किसानों को खाद-बीज उपलब्ध कराया जाए। धान गेहूं की तरह सब्जी की फसलों का भी बीमा करायी जाए।
2. नीलगाय से सब्जी की फसलों की काफी क्षति होती है। इसके लिए मुआवजा की व्यवस्था होनी चाहिए।
3. अवैध रूप से चलाने वाले कीटनाशी दुकानदारों पर प्राथमिक दर्ज हो। नकली दवा बेचने वालो पर प्रशासन रोक लगाए।
4. बागवानी मिशन, सहकारिता विभाग और कृषि विभाग से सब्जी की खेती करने वाले किसानों को अनुदान मिले।
5. सरकार सिंचाई की व्यवस्था करें। किसानों को शून्य ब्याज पर किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिले।
शिकायतें
1. लागत के हिसाब से सब्जी उत्पादक किसानों को मूल्य नहीं मिलता है। अधिक उत्पादन पर भाव कम हो जाता है।
2. मौसम की बेरुखी से प्रतिवर्ष किसानों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ता है। उन्नत बीज नहीं मिल पाता है।
3. सब्जी उत्पादक किसानों को सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है। बिचौलियों की वजह से परेशानी है।
4. डीजल के दामों में काफी वृद्धि हुई है। उर्वरकों के दामों में भी काफी वृद्धि हुई है। इससे लागत निकालना मुश्किल हो गया है।
5. बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारण किसान औने-पौने दामों पर सब्जी बेचने को विवश है।
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