मिशन मोड में चले जल जीवन हरियाली अभियान से भू-जल स्तर हो रहा नियंत्रित
हिन्दुस्तान विशेष हिन्दुस्तान विशेष पीएचईडी का दावा अब जिले में नहीं हैं क्रिटिकल एरिया 2024-25 में वन विभाग ने लगाये 13 लाख पौधे 2 साल में 1

बांका, निज प्रतिनिधि। जिले में मिशन मोड में चले जल जीवन हरियाली अभियान से भू-जल स्तर नियंत्रित हो रहा है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचइडी) का दावा है कि जल जीवन हरियाली अभियान का साकारात्मक प्रभाव भू-जल स्तर पर पडा है। जिससे सरकार की ओर से कराये गये सर्वे में यहां एक भी गांव क्रिटिकल नहीं पाये गये हैं। जिसका भू-जल स्तर 50 फीट या इससे अधिक हो। फिलवक्त यहां का औसत भू-जल स्तर 27 फीट 3 इंच है। इसके बाद भी जहां पेयजल संकट है, वहां पेयजल संकट को दूर करने के लिए विभाग की ओर से अभियान चलाये जा रहे हैं। वहीं, बांका जिले के 42 हजार 443 हेक्टेयर भूमि में प्राकृतिक वन क्षेत्र फैले हैं। जिसे संरक्षित करने लिए यहां के वन एवं पहाडी व पठारी क्षेत्रों में प्राकृतिक व क्षेत्रिय पौधे लगाये जा रहे हैं। जिले में वन विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2024-25 में जल जीवन हरियाली अभियान के तहत 13 लाख पौधे लगाये गये हैं। जबकि चालू वित्तीय वर्ष में वन विभाग वन क्षेत्र सहित सार्वजनिक स्थानों एवं सडक के किनारे 14 लाख पौधे लगाएगी। इसके अलावे जीविका दीदी, किसान व आम लोगों के सहयोग से करीब तीन लाख पौधे लगाये जाने की योजना तैयार की गई है। जिसे जून से धरातल पर उतारा जाना शुरू कर दिया जायेगा। इंडिया सेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक यहां दो साल में वन क्षेत्र का दायरा 17 वर्ग किलोमीटर तक बढा है। पहाडी व पठारी इलाकों में वन विभाग की ओर से चेक डेम का निर्माण कर बरसात के पानी को संग्रह किया जा रहा है। जिससे भू-जल स्तर को नियंत्रित किया जा सके। मनरेगा योजना से भी यहां तीन लाख से अधिक पौधे लगाये जाने के साथ ही करीब 1400 तालाब, आहर, पाईन व चेक डेम का निर्माण कराया गया है। जिससे भू-जल स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है। लघु जल संसाधन विभाग की ओर से जल जीवन हरियाली अभियान के तहत 65 करोड 35 लाख 25 हजार की राशि से सिंचाई से जुडी 77 योजनाओं को धरातल पर उतारा गया है। इसमें 37 बांध, 17 तालाब 12 आहर-पईन 7 जोर का जीर्णोद्धार एवं 4 गारलैंड ट्रेच के निर्माण की योजनाएं शामिल हैं। इसके अलावे चालू वित्तीय वर्ष में यहां जल जीवन हरियाली योजना के तहत 76 करोड 93 लाख 25 हजार की राशि से सिंचाई व्यवस्था को दुरूस्त किया जा रहा है। वहीं, 11 करोड 58 लाख की राशि से 7 जल स्त्रोतों का जीर्णोद्धार कर उसे नवजीवन दिये जाने की भी योजना है। इसमें पाईन, बांध व पोखर शामिल हैं। जिसके जरिये खेतों की सिंचाई के साथ ही भू-जल स्तर को भी नियंत्रित किया जा सके। जिले में गिरते भू जल स्तर को नियंत्रित करने के लिए कुओं का निर्माण एवं उसका जीर्णोद्धार किया जा रहा है। यहां पंचायती राज विभाग की ओर से जल जीवन हरियाली अभियान के तहत 702 कुओं का जीर्णोद्धार किया गया है। इसके साथ ही 641 कुआं के किनारे सोक्ता का भी निर्माण कराया गया है। जिससे क्षेत्र का भू जल स्तर को नियंत्रित रखा जा सके। इसके अलावे यहां पीएचइडी विभाग ने भी अब तक करीब 600 कुआं का जीर्णोद्धार करते हुए उसे नवजीवन दिया गया है। पेयजल संकट को दूर करने के पीएचइडी विभाग की ओर से अभियान चलाकर अब तक खराब पडे 831 चापाकलों की मरम्मत की गई है। इसके अलावे यहां वित्तीय वर्ष 2024-25 में 200 नये चापाकल भी लगाये गये हैं। वहीं, जिले के सभी प्रखंडों में चलंत मरम्मती दल की ओर से खराब पडे चापाकलों की मरम्मती किये जाने का अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावे जल संकट वाले क्षेत्रों में टंकर से पानी की आपूर्ति किये जाने की भी व्यवस्था की गई है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।