बांका में नहीं बन सका शहद का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
पेज तीन की लीडपेज तीन की लीड जिले में शहद उत्पादन की है असीम संभावनाएं 2 हजार से अधिक किसान कर रहे शहद का उत्पादन 1

बांका, निज प्रतिनिधि। बांका जिले में लगातार आम व सरसों की खेती का दायरा बढ रहा है। जिससे यहां शहद उत्पादन की संभावना बढी है। यहां शहद के उत्पादन की असीएम संभावनाएं हैं। जिसको देखते हुए सरकार ने यहां शहद का सेंटर ऑफ एक्सीलिेंस स्थापित किये जाने की योजना को मंजूरी दी है। इसके लिए बांका में शहद का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने जाने की योजना को बजट में भी शामिल किया है। बावजूद इसके अब तक यहां शहद का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना नहीं हो सका है। जबकि यहां दो हजार से अधिक किसान शहद का उत्पादन कर अपनी आय का जरिया बढा रहे हैं।
यहां बांका, बेलहर, अमरपुर, धोरैया, रजौन, बाराहाट व बौंसी प्रखंड सहित अन्य प्रखंडों में भी बडे पैमाने पर शहद का उत्पादन किया जा रहा है। यहां शहद उत्पादन से जीविका दीदी भी जुडी हैं। जो शहद उत्पादन के साथ ही मोम का भी उत्पादन कर रही हैं। क्षेत्र में शहद उत्पादन के लिए कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र व यूकोआरसेटी की ओर से किसानों को शहद उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं, यहां के किसानों को शहद उत्पादन का प्रशिक्षण लेने के लिए अन्य जिले व प्रांतों में भी भेजा जा रहा है। यहां उत्पादन होने वेहतर शहद की मार्केटिंग अन्य जिले व प्रांतों में भी की जा रही है। बांका ब्रांड के नाम से मशहूर यहां के शहद की आपूर्ति महाराष्ट्र तक की जा रही है। जिसको देखते हुए सरकार ने बांका में शहद का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाये जाने की योजना को बजट में शामिल किया है। लेकिन अब तक यहां शहद का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के प्रोजेक्ट को धरातल पर नहीं उतारा जा सका है। मौसम के बदलते मिजाज की वहजह से जिले में पारंपरिक फसलों की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बन गया है। जिससे क्षेत्र के किसान पारंपरिक फसलों की खेती को छोड शहद का उत्पादन करने लगे हैं। जिसमें उन्हें पारंपरिक फसलों की खेती से अधिक मुनाफा हो रहा है। महिला किसान विनिता, रिंकू, माला एवं प्रमोद व शाहील सहित अन्य किसानों ने बताया कि वे दो सीजन में शहद का उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां बडी संख्या में आम के पेंड हैं। जब आम में मंजर आते हैं तब वे मधु मक्खी का पालन शुरू करते हैं। इसके बाद जब क्षेत्र में सरसों की खेती होती है तब भी वे मधु मक्खी का पालन कर शहद का उत्पादन करते हैं। यहां शहद का उत्पादन करने से उन्हें काफी मुनाफा हो रहा है। लेकिन सरकार की ओर से सहयोग नहीं मिलने से यहां शहद का उत्पादन बडे पैमाने पर नहीं हो रहा है। जबकि यहां शहद का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की योजना को सरकार की ओर से स्वीकृति मिल गई है। जिसे बजट में भी शामिल किया गया है। लेकिन अब तक ये योजना धरातल पर नहीं उतरने से शहद उत्पादन का दायरा नहीं बढ सका है। उद्यान विभाग की ओर से करीब तीन हजार किसानों को शहद उत्पादन से जोडा गया है। जिसमें 1900 जीविका दीदी व 500 आम किसान भी शामिल हैं। जिले में सरसों व आम के सीजन में जनवरी से मार्च तक शहद का उत्पादन किया जा रहा है। इसके बाद अक्टूबर से दिसंबर तक शहद उत्पादन के लिए मधुमक्खी के बक्से को माइग्रेट कर पुर्णिया व अन्य जिले भेज दिया जाता है। फिलवक्त जिले में हर साल एक सीजन में करीब 20 टन शहद का उत्पादन किया जा रहा है। वहीं बांका के डीएओ दीपक कुमार ने कहा कि जिले में शहद उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं। जिसको देखते हुए सरकार ने यहां शहद का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाये जाने का फैसला लिया है। जिसे बजट में भी शामिल किया गया है। लेकिन अब तक शहद के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना के लिए राशि का आवंटन नहीं किये जाने से ये प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतर सका है। जबकि यहां शहद के प्रोसेसिंग के लिए चांदन के करझौसा में प्रोससिंग यूनिट भी स्थापित किये गये हैं।
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