जिले में बढ रहा प्रदूषण का ग्राफ, 102 हो गया है जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांग
पेज तीन की लीडपेज तीन की लीड प्राकृतिक संसाधनों के दोहन व प्रदूषण से हो रहा जलवायु परिवर्तन बांका जिले को प्रकृति ने दी है वनों, पहाडों व

जिले में बढ रहा प्रदूषण का ग्राफ, 102 हो गया है जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांग बांका। निज प्रतिनिधि। बांका जिले को प्रकृति ने वनों, पहाडों व नदियों की सौगात दी है। यहां पिछले दो दशक से प्राकृतिक संपदाओं के हो रहे दोहन ने लोगों के लिए कई तरह की परेशानियां खडी कर दी है। इससे यहां हर साल मौसम के तापमान और प्रदूषण के बढते ग्राफ के बीच हो रहे जलवायु परिवर्तन एक बडी चुनौती बन गई है। जो जल संकट और सुखाड की समस्या को जन्म दे रही है। जिसका सीधा असर कृषि और आम लोगों के जीवन पर पड रहा है।
एक ओर यहां पेयजल के लिए हाहाकार मच रहा है, तो दूसरी ओर किसानों को फसलों के सिंचाई की चिंता सताती रहती है। इसकी सबसे बडी वजह जंगलों की कटाई और नदियों से अवैध बालू का खनन है। यहां की नदियां खेतों की सतह से 20 फीट तक नीचे चली गई है। जिससे यहां जलवायु परिवर्तन होने के साथ ही नदियों की भौगोलिक संरचना भी बदल गई है। वहीं, क्षेत्र में दो-तीन दिनों से रूक-रूक कर हो रही बारिश का सिलसिला जारी है। बावजूद इसके जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांग एक्यूआई ऑरेंज जोन में पहुंच गया है। अभी जिले का एक्यूआई 102 हो गया है। जो संवेदनशील लोगों के लिए हानिकारक है। 10 से 15 दिन विलंब से प्रवेश कर रहा मानसून बांका के प्रगतिशील किसान जयदेव यादव, सोनेलाल तांती, मो गफ्फार, प्रितम कुंवर व जगदंबा सिंह सहित अन्य ने बताया कि जलवायु में हो रहे परिवर्तन की वजह से यहां खरीफ मौसम में मानसून 10 से 15 दिन विलंब से प्रवेश कर रहा है। जिससे धान की बुआई में भी विलंब हो रहा है। इसके साथ ही मानसून की बारिश में भी कमी आ रही है। यहां मानसून की बारिश का समय जून से लेकर अक्टूबर तक है। लेकिन इन चार महीनों में पर्याप्त बारिश नहीं होती है। जिससे यहां का फसल उत्पादन दर घटता जा रहा है। जल स्त्रोतों का दामन भी पानी से हो रहा खाली बिहार में सबसे अधिक 10 जलाशय बांका जिले में हैं। इसके अलावे यहां 1450 तालाब हैं। लेकिन फिर भी यहां पेयजल संकट गहराने के साथ ही सिंचाई व्यवस्था ध्वस्त हो रही है। ये जल स्त्रोत कभी सालों भर पानी से लबालब भरा रहता था। लेकिन हाल के कुछ वर्षों से ये जल स्त्रोत चंद महीनों में ही सूख रहे हैं। यहां रजौन प्रखंड में 131 तालाब, अमरपुर में 122, बौंसी में 3, फुल्लीडुमर में 35, बेलहर में 28, धोरैया में 139, बाराहाट में 88, शंभूगंज में 66, चांदन में 59, कटोरिया में 36 एवं बांका प्रखंड में 28 तालाब हैं। इसमें अब तक 1000 से अधिक तालाब सूख चुके हैं। 0.25 सेंटिग्रेड तापमान बढ रहा हर साल कृषि विज्ञान केंद्र के वरिय वैज्ञानिक सह प्रधान ब्रजेंदु कुमार ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हर साल मौसम का तापमान 0.25 सेंटिग्रेड बढ रहा है। जिसकी खास वजह प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और प्रदूषण है। इसमें वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन, सल्फर डाइऑक्साइड एवं नाइट्रस ऑक्साइड की सांद्रता अधिक होने से ग्लोबल वार्मिंग बढ रही है। जो जलवायु परिवर्तन की वजह बन रहा है। जिसका सीधा असर कृषि व आम जनजीवन पर पड रहा है।
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