पोठिया गांव में ठप नल-जल योजना से हरिजन टोला में हाहाकार: आठ माह से प्यासे ग्रामीण, प्रशासन बेखबर
बोले बांकाबोले बांका प्रस्तुति- सुमन कुमार झा धोरैया (बांका) संवाद सूत्र धोरैया प्रखंड के खरोंधा जोठा पंचायत के पोठिया गांव अंतर्गत वार्ड

धोरैया (बांका) संवाद सूत्र धोरैया प्रखंड के खरोंधा जोठा पंचायत के पोठिया गांव अंतर्गत वार्ड संख्या 8 के हरिजन टोला में नल-जल योजना के ठप पड़ जाने से ग्रामीणों के बीच त्राहिमाम मचा हुआ है। यह नल-जल योजना पिछले आठ महीनों से पूरी तरह बंद पड़ी है, जिससे करीब 400 की आबादी वाले टोले में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। इस टोलावासियों के लिए यही एकमात्र जलस्रोत था, लेकिन इसके बंद हो जाने से लोग इधर-उधर भटककर पानी लाने को मजबूर हैं। गर्मी की प्रचंडता और गिरते भूजल स्तर ने हालात को और गंभीर बना दिया है। ग्रामीणों की जुबान पर अब यह सवाल मंडरा रहा है कि यदि समय रहते नल-जल योजना का संचालन बहाल नहीं किया गया, तो उनकी प्यास कैसे बुझेगी? लोगों को अपनी दैनिक जल जरूरतों की पूर्ति के लिए दूर-दराज के इलाकों से पानी लाना पड़ रहा है, जिससे न केवल समय और श्रम की बर्बादी हो रही है, बल्कि उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है।
सरकार की महत्वाकांक्षी नल-जल योजना का उद्देश्य था कि प्रत्येक घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचे। लेकिन पोठिया गांव के वार्ड 8 में यह योजना ग्रामीणों की प्यास बुझाने की बजाय उन्हें पीड़ा दे रही है। आठ महीनों से बंद यह योजना अब सवालों के घेरे में है - यह योजना बंद क्यों हुई? किसकी लापरवाही से? और प्रशासन की चुप्पी का कारण क्या है? सरकार को चाहिए कि वह इस योजना की गहराई से जांच कराए, जिम्मेदारों पर कार्रवाई करे और अविलंब जल आपूर्ति बहाल कराए। साथ ही यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में किसी भी गांव में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो। क्योंकि जल जीवन है, और इसके बिना कोई समाज विकास नहीं कर सकता। हरिजन टोला की स्थिति बेहद गंभीर हरिजन टोला बांका जिले के उन पिछड़े इलाकों में से एक है जहां मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। यहां न तो पर्याप्त सरकारी चापाकल हैं और न ही कोई वैकल्पिक जल स्रोत। नल-जल योजना ही एकमात्र सहारा थी, लेकिन पिछले आठ महीनों से इसका बंद रहना यहां के ग्रामीणों के लिए जीवन-मरण का प्रश्न बन गया है। टोले के लोगों का कहना है कि पानी की अनुपलब्धता ने उनके जीवन की गति को थाम दिया है। गांव के बुजुर्ग ललन दास कहते हैं कि हम गरीब लोग हैं। न हमारे पास पैसा है और न साधन कि दूर-दराज से पानी लाकर अपने परिवार का जीवन चला सकें। सरकार ने जो नल-जल योजना दी थी, वह भी अब केवल देखने की चीज बनकर रह गई है। प्रशासन की उदासीनता बनी बड़ी समस्या ग्रामवासियों ने बताया कि नल-जल योजना के बंद होने की सूचना उन्होंने कई बार संबंधित विभाग और प्रशासन को दी। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर धोरैया के तत्कालीन बीडीओ तथा पीएचईडी विभाग के एसडीओ और जेई को लिखित एवं मौखिक रूप से सूचित किया गया। परंतु आठ महीनों के बाद भी आज तक किसी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। पंचायत की मुखिया निभा देवी ने कहा कि मैंने इस योजना के बंद होने की सूचना अनेक बार अधिकारियों को दी है। इसके बावजूद कोई अधिकारी या कर्मचारी जांच करने नहीं आया। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों की अपील पोठिया गांव में व्याप्त पेयजल संकट को लेकर पंचायत के समाजसेवी एवं मुखिया पद के प्रत्याशी संजीव झा ने भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि गर्मी अपने चरम पर है और भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। ऐसे समय में नल-जल योजना का बंद रहना सरकार और प्रशासन की विफलता का प्रमाण है। विभाग को अविलंब इस योजना को चालू कराना चाहिए, ताकि गांववासियों को राहत मिल सके। उन्होंने आगे कहा कि अगर प्रशासन शीघ्र कार्रवाई नहीं करता है, तो वे इस मुद्दे को लेकर धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। सरकारी उदासीनता से ग्रामीणों का भरोसा टूटा लगातार आठ महीनों से बंद पड़ी योजना और उस पर प्रशासन की चुप्पी ने ग्रामीणों का सरकार से भरोसा तोड़ दिया है। गांव की महिलाएं, जो हर दिन पानी लाने की जिम्मेदारी निभाती हैं, अब थक चुकी हैं। गांव की एक महिला रीता देवी कहती हैं कि सुबह चार बजे उठकर आधे किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है। बच्चों का स्कूल छूटता है, कामकाज ठप हो जाता है। आखिर कब तक यह स्थिति बनी रहेगी? बड़ा सवाल - आखिर क्यों बंद है नल-जल योजना? ग्रामीणों के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि यह योजना आखिर बंद क्यों है? जलमीनार की स्थिति देखने से पता चलता है कि वह सालों से बिना देखरेख के खड़ा है। वहां कोई तकनीकी खराबी है या योजना के तहत बिजली कनेक्शन की समस्या है - इसकी जानकारी तक किसी को नहीं है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार न तो मोटर खराब होने की पुष्टि हुई है और न ही टंकी में कोई तकनीकी समस्या सामने आई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या यह लापरवाही मात्र एक तकनीकी खामी के कारण है या फिर यह विभागीय भ्रष्टाचार की उपज है? स्थायी समाधान की जरूरत गांव के लोग केवल योजना के चालू होने की मांग ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे एक स्थायी समाधान चाहते हैं। उनका कहना है कि यदि बार-बार योजना ठप होती रहेगी, तो उनकी समस्याएं कभी खत्म नहीं होंगी। इसके लिए योजना की नियमित मॉनिटरिंग, कर्मचारियों की जवाबदेही तय करना और समय पर मरम्मत की व्यवस्था आवश्यक है। राजनीतिक उपेक्षा भी एक कारण इस क्षेत्र के लोग यह भी कहते हैं कि चुनावों के समय नेता वादे करते हैं, लेकिन जैसे ही चुनाव बीत जाते हैं, उनकी प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। पोठिया गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति समुदाय के लोग विशेष रूप से उपेक्षा का शिकार हैं। "हर बार कहा जाता है कि विकास होगा, लेकिन हम तो सिर्फ आश्वासन ही देखते हैं। न पानी है, न सड़क, न रोजगार," - यह कहना है गांव के युवा विकास पासवान का। कहते हैं जिम्मेवार नल-जल योजना के बंद होने की जानकारी उन्हें मिली है और वे शीघ्र जांच कराकर जल आपूर्ति बहाल कराने का प्रयास करेंगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि गर्मी में कोई भी ग्रामीण पानी की समस्या से जूझे, यह विभाग नहीं चाहता। जल्द ही इसका समाधान निकाला जाएगा। निष्ठा सिंह, कनीय अभियंता, पीएचईडी ग्रामीणों का दर्द पानी की समस्या हमलोग त्रस्त है। लेकिन बंद पड़े जलमीनार से पानी की आपूर्ति को लेकर विभाग द्वारा कोई पहल नहीं किया जा रहा है। जिससे यह जलमीनार पूरी तरह से बेकार हो गया है। निशिकांत दास, ग्रामीण बंद पड़े जल मीनार को शुरू करा दिया जाय तो हम दलित को इस भीषण गर्मी में पानी की हो रहे समस्या निजात मिल सकता है। बहुरन हरिजन, ग्रामीण नल जल योजना क़े ठप हो जाने से ग्रामीणों को पानी क़े लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है।लेकिन गांव में बंद पड़े जल मीनार से पानी की आपूर्ति शुरू कराए जाने को लेकर किसी का ध्यान आकृष्ट नहीं हो पा रहा। बुच्चन दास, ग्रामीण पानी क़े बंद हो जाने से हम महिलाओं को ज्यादा परेशानी हो रही है। दूसरे क़े घर से पानी लाकर अपना काम करना पड रहा है। लेकिन विभाग की नींद नहीं खुल पा रही है और हम महिला व ग्रामीण त्रस्त है। अनिता देवी, ग्रामीण गांव में बने जल मीनार पिछले आठ महीने से बेकार पड़ा हुआ है। जिससे हमलोग दूसरे क़े घर से पानी ला कर अपना काम करते है। लेकिन बेकार पड़े जल मीनार क़े उपर किसी का ध्यान नहीं जा पा रहा है। रीता देवी, ग्रामीण हम ग्रामीण पानी की समस्या से त्रस्त है। इस भीषण गर्मी व तेज धुप में ज़ब काम कर घर लौटते है तो पानी क़े लिए इधर उधर भटकना पड़ता है। जिससे हम लोग सरकारी नल जल योजना से उम्मीद छोड़ चुके है। विंदेश्वरी दास, ग्रामीण हम ग्रामीणों की समस्या सरकारी नल जल योजना से उम्मीद छोड़ चुके है। कारण की नल जल योजना क़े बंद होने की सुचना पदाधिकारी पदाधिकारी को दिया गया लेकिन किसी क़े द्वारा हरिजन टोला में बंद पड़े नलजल योजना को शुरू कराने को लेकर पहल किया गया। कपिल दास, ग्रामीण इस भीषण गर्मी में भी नलजल क़े बंद रहने से हम ग्रामीणों में पानी को लेकर कोहराम मचा हुआ है और विभाग पूरी तरह उदासीन बने हुए है। राजेश दास, ग्रामीण सरकार गर्मी को देखते हुए बंद पड़े नल जल योजना शुरू किया जा सके।ताकि पीने का पानी भी नसीब हो सके। अहिल्या देवी, ग्रामीण पानी की समस्या से ग्रामीण त्रस्त हो चुके है और विभाग उदासीन बने हुए है। जिससे महिला बच्चे सभी पानी की समस्या को लेकर इधर उधर भटकते है। रीता कुमारी, ग्रामीण पानी क़े लिए इधर उधर भटकना पड़ता है। लेकिन विभाग से बने जल मीनार आठ माह से खराब होने क़े कारण सरकारी योजना से उम्मीद टूट गयी है। हम ग्रामीण किसी तरह अपनी प्यास बुझा रहे है। सीता देवी पानी की घोर समस्या उत्पन्न हो गयी है। वही जल मीनार से पानी की आपूर्ति नहीं होने से ग्रामीण त्राहिमाम है। विभाग जल्द से जल्द बंद पड़े जल मीनार को ठीक कराए ताकि समस्या से निजात मिले सके। शीला देवी, ग्रामीण
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