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पैक्सों पर गेहूं बेचने नहीं पहुंच रहे किसान, व्यापारी दे रहे अधिक दाम

लीड::::::::::::का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है निर्धारित व्यापारी किसानों के घर पर ही पहुंचकर 2700 से 2800 रुपए प्रति क्विंटल की दर से कर रहे हैं गेहूं की खरीद कई...

Newswrap हिन्दुस्तान, बेगुसरायMon, 5 May 2025 07:56 PM
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पैक्सों पर गेहूं बेचने नहीं पहुंच रहे किसान, व्यापारी दे रहे अधिक दाम

बछवाड़ा, निज संवाददाता। जिले भर में इस साल गेहूं क्रय केंद्रों पर अपना गेहूं बेचने किसान नहीं पहुंच रहे हैं। सरकारी तौर पर पैक्सों में गेहूं खरीद करने का समय एक माह से अधिक बीत जाने के बावजूद कोई पक्षों में गेहूं खरीद का अब तक खाता भी नहीं खुल सका है। किसानों ने बताया कि सरकार की ओर से गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जबकि व्यापारी उनके घर पर ही पहुंचकर 2700 से 2800 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद कर रहे हैं। लिहाजा किसानों को व्यापारियों के हाथों गेहूं बेचने में ही फायदा हो रहा है।

जिले में गेहूं खरीदारी का निर्धारित लक्ष्य 4601 एमटी के विरुद्ध अब तक मात्र 39.85 एमटी ही गेहूं की खरीद की जा सकी है। ग्रामीण इलाके में गेहूं की खरीदारी करने वाले स्थानीय गल्ला व्यापारी काफी सक्रिय हैं। वे बड़ी कंपनियों से जुड़कर गेहूं खरीद का कारोबार कर रहे हैं। वे किसानों को गेहूं की राशि का भुगतान भी तुरंत कर देते हैं। कई स्थानीय गल्ला व्यापारियों ने बताया कि वर्तमान में जिले भर के लगभग सभी निजी गोदामों को अनाजों की खरीदारी करने वाली कई कंपनियां भाड़े पर ले रखी है। बछवाड़ा, मंसूरचक, गौड़ा, तेघड़ा, बरौनी समेत जिले के विभिन्न क्षेत्रों में दूसरे प्रांतों की कई कंपनियां भाड़े के गोदाम में गेहूं का स्टॉक कर रही हैं। गल्ला व्यापारी किसानों से गेहूं खरीद कर कंपनियों के गोदाम तक पहुंचाते हैं। स्थानीय गल्ला व्यापारी प्रति क्विंटल 50 से 100 रुपए तक मुनाफा लेकर कंपनियों के यहां गेहूं बेच देते हैं। गल्ला व्यापारी किसानों को गेहूं की राशि का भुगतान भी तुरंत कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक दाम पर जब व्यापारी ही उनके घर व खेत खलिहान पहुंचकर गेहूं की खरीदारी कर रहे हैं, तब उन्हें पैक्स में गेहूं बेचने की क्या जरूरत है। किसानों ने बताया कि पिछले साल भी व्यापारियों द्वारा एमएसपी से अधिक दाम पर उनका गेहूं खरीदा गया था। कुछ व्यापारियों ने बताया कि वे गेहूं खरीद कर मंडी के व्यापारियों के माध्यम से अपने राज्य समेत दूसरे राज्यों के फ्लावर मिल में मुनाफा लेकर गेहूं बेच देते हैं। इधर, बछवाड़ा प्रखंड सहकारिता अधिकारी गौरांग कृष्ण ने बताया कि सभी पैक्स अध्यक्षों को किसानों से गेहूं खरीद करने का निर्देश दिया गया है। प्रखंड में 203 एमटी के विरुद्ध अब तक गेहूं खरीद की बोहनी भी नहीं हो सकी है। अनाज उत्पादक किसानों को नहीं मिलता उचित मूल्य, बिचौलिए उठा लेते हैं इसका लाभ खोदावंदपुर, निज संवाददाता। सरकार किसानों को फायदा पहुंचाने का कितना भी वायदा कर ले, परन्तु अनाज उत्पादक किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। जबकि किसानों के हिस्से का फायदा बिचौलिया उठा लेते हैं। किसान बेबस होकर हाथ मलते रह जाते हैं। जानकार लोगों की मानें तो सरकारी दर पर धान या गेहूं खरीद में बड़ा खेल होता है। हर वर्ष सहकारिता विभाग धान या गेहूं का सरकारी रेट का निर्धारित करती है। प्रायः धान या गेहूं का सरकारी रेट बाजार मूल्य से कम होता है। जिसके कारण किसान पैक्सों में धान या गेहूं नहीं बेचना चाहते। इसका फायदा बिचौलिए उठा लेते हैं। बिचौलिए किसानों से सम्पर्क कर उसका अनाज खरीद लेते हैं।और व्यापारियों के हाथों बेच लेते हैं। इससे बिचौलियों को कम से कम 200 रुपए प्रति क्विंटल का मुनाफा हो जाता है। अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर एक बिचौलिया ने बताया कि इस वर्ष गेहूं का सरकारी समर्थन मूल्य 2425 रुपया प्रति क्विंटल है। जबकि गेहूं का बाजार मूल्य 2700 रुपया प्रति क्विंटल है। इस परिस्थिति में बिचौलिए किसानों से गेहूं खरीद रहे हैं। बेमौषम की बरसात से गेहूं फसल बर्बाद हो जाने की बात कहकर बिचौलिए 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीद रहे हैं। जबकि बिचौलिए खुदरा व्यापारी को यह गेहूं 2700 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेच रहे हैं। खुदरा व्यापारी गेहूं को कुछ दिन स्टॉक कर थोक व्यापारी को अपना मुनाफा लेकर बेच देते हैं। इस तरह अनाज उत्पादक किसानों के हिस्से का मुनाफा बिचौलिया आसानी से उठा रहे हैं। वहीं, ऐसे बिचौलियों का कहना है कि जब धान का सरकारी समर्थन मूल्य बाजार मूल्य से अधिक होता है तो इस परिस्थिति में बिचौलिए किसानों से धान खरीद लेते हैं और अपने को अनाज उत्पादक किसान बताकर इस धान को पैक्सों में बेच देते हैं और किसान का मुनाफा अपने नाम कर लेते हैं। इस तरह बिचौलियों द्वारा चित भी मेरा और पट भी मेरा वाली कहावत चरितार्थ कर दी जाती है। खोदावंदपुर में बिचौलियों द्वारा किसानों को खेती करने या अग्रिम रूप में पूंजी देने जैसी कोई बात सामने नहीं आई है। जानकार लोगों की मानें तो अलबत्ता फसल तैयार होते ही बिचौलिए सक्रिय हो जाते हैं और किसी झंझट में नहीं पड़ने की बात बताकर किसानों को अपना अनाज उन्हें ही बेचने के लिए राजी कर लेते हैं। क्या है स्थिति बीसीओ अवधेश कुमार ने बताया कि सरकारी समर्थन मूल्य 2425 रुपया प्रति क्विंटल की दर से खोदावंदपुर में 319 मैट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य है। अभी तक मात्र 5 क्विंटल गेहूं ही खरीदा जा सका है। जबकि गेहूं खरीदने की अंतिम तिथि 31 मई तक निर्धारित है। उन्होंने बताया कि खोदावंदपुर के कुल 8 पैक्सों एवं खोदावंदपुर व्यापार मंडल को गेहूं खरीदने की जिम्मेदारी दी गई है। पैक्सों के बदले खुले बाजार में गेहूं बेच रहे हैं किसान नावकोठी, निज संवाददाता। प्रखंड के सभी नौ कृषि साख सहयोग समिति लिमिटेड में गेहूं खरीद शुरू हो गई है। यो तो गेहूं क्रय 15 मार्च से ही प्रारंभ हो गया था। गेहूं क्रय का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इससे गेहूं अधिप्राप्ति में गति नहीं आ पाई है। पैक्सों में गेहूं इक्के दुक्के किसान ने ही बेचा है। इसका कारण पैक्सों व खुले बाजारों में मूल्य का अंतर होना है। खुले बाजारों में गेहूं का मूल्य अधिक है। साथ ही किसानों के खेत , गोदाम या घरों से गेहूं उठाव की सुविधा है तथा किसानों को बोरा भी नहीं देना पड़ता है।स्थानीय व्यापारी 2600 रूपये से 2800 रूपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों के घरों पर से ही खरीद कर रहे हैं। इसका भुगतान भी गेहूं उठाव करने के समय नगद ही कर देते हैं। किसान श्याम नंदन सिंह, मोहन साह, दिलीप पासवान, रमेश यादव आदि बताते हैं कि पैक्सों में गेहूं बेचने में काफी पेंचीदगी है। किसानों को इसके बेबसाइट पर निबंधन कराना होता है। निबंधन के उपरांत अपने ही बैग में अपना भाड़ा लगाकर पैक्स गोदाम तक पहुंचाना होता है। गेहूं क्रय के बाद भुगतान की प्रक्रिया में दो से तीन दिनों का समय भी लग जाता है। कीमत भी खुले बाजार से कम ही है। इन परेशानियों से बचने के लिए व्यापारी के हाथों गेहूं बेचना आसान है। घर पर आकर तौल लेते हैं तथा हाथों हाथ भुगतान भी हो जाता है। व्यापारी इसे पास के थौक विक्रेता के यहां बेच लेते हैं। पैक्सों द्वारा नहीं हो पा रही है गेहूं की खरीद साहेबपुरकमाल, निज संवाददाता। गेहूं की फसल कटाई के बाद सरकारी निर्देश के प्रखंड क्षेत्र के पैक्सों को किसानों को गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया था। लक्ष्य तो दूर पैक्सों से गेहूं की खरीद ही नहीं हो रही है। लक्ष्य निर्धारित हुए और गेहूं की खरीद की शुरुआत के एक महीने हो गए। लेकिन आज तक महज 5 क्वींटल गेहूं की खरीद हो सकी है। इसकी मुख्य वजह सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य काफी काफी कम है। प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी ने बताया कि किसान पैक्सों को गेहूँ नहीं बेच रहे हैं। वहीं स्थानीय किसान बताते हैं कि बाजार मूल्य करीब 2700 रुपये है। जबकि सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य महज 2325 रुपये है। जो किसानों के लिए घाटे का सौदा सिद्ध हो रहा है। किसानों ने बताया कि सरकारी भुगतान देरी होता है। व्यापारी हाथों हाथ रुपये देते हैं।

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