Baba Matteshwar Dham A Center of Faith and Culture in Bihar s Saharsa District बोले सहरसा: शिव सर्किट से जुड़े मटेश्वर धाम, पर्यटन स्थल का दिया जाए दर्जा, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले सहरसा: शिव सर्किट से जुड़े मटेश्वर धाम, पर्यटन स्थल का दिया जाए दर्जा

बाबा मट्टेश्वर धाम, हरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है, जहाँ श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए आते हैं। यह स्थल आस्था का प्रतीक है, लेकिन विकास की कमी के कारण उपेक्षित है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 5 May 2025 12:42 AM
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बोले सहरसा: शिव सर्किट से जुड़े मटेश्वर धाम, पर्यटन स्थल का दिया जाए दर्जा

बाबा मट्टेश्वर धाम कांठो बलवाहाट: आस्था, परंपरा और श्रद्धा का केंद्र हरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के कांठो बलवाहाट में स्थित बाबा मट्टेश्वर धाम एक प्राचीन और अत्यंत श्रद्धेय शिव मंदिर है, जहां दूर-दराज़ से श्रद्धालु भगवान मट्टेश्वर के दर्शन और जलाभिषेक के लिए आते हैं। यह धाम क्षेत्रवासियों की गहरी आस्था का प्रतीक है, जहां सावन, भादों के महीने और महाशिवरात्रि पर विशेष भीड़ उमड़ती है। प्राकृतिक वातावरण और धार्मिक भावनाओं से परिपूर्ण यह स्थल जनसहभागिता और आध्यात्मिक एकता का भी उदाहरण है। वावजूद इसका अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। पर्यटन स्थल बनाने की मांग की जा रही।

सरकार की महत्वाकांक्षी योजना शिव सर्किट से जोड़ने की पहल भी नहीं की गई है। सहरसा। कोसी अंचल के हृदयस्थल सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल स्थित कांठो बलवाहाट में अवस्थित मट्टेश्वर धाम, जिसे श्रद्धालु मिनी बाबाधाम भी कहते हैं आज भी विकास और संरक्षण के मोर्चे पर उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। बाबा मट्टेश्वर के इस प्राचीनतम धाम के प्रति लोगों में अपार श्रद्धा और आस्था तो है, पर आधुनिक विकास की बयार अभी तक नहीं बह पाई है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र यह धाम सरकारी योजनाओं और प्रशासनिक उपेक्षा के बीच खोता जा रहा है। किंवदंतियों के अनुसार यह धाम अत्यंत प्राचीन है, जिसकी स्थापना त्रेता युग में मानी जाती है। विशाल शिवलिंग की उपस्थिति और आसपास पुरावशेष इसकी ऐतिहासिक महत्ता के साक्षी हैं। बावजूद इसके, न तो इसे अभी तक विधिवत संरक्षित स्थल घोषित किया गया है और न ही इसका समुचित विकास हो सका है। यहां विश्व गुरु आदि आचार्य जगद्गुरु शंकराचार्य एवं पुरातत्व विभाग, विभिन्न यूनिवर्सिटी के इतिहास के शोधार्थी, संयुक्त राज्य अमेरिका के शिकागो से भी इतिहासकार शोधार्थी भी यहां पहुंचे हैं। अप्रैल 2003 में यहां आये जगद्गुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने भी कहा था कि ऐसा अद्भुत शिवलिंग पहली बार देखा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पटना से जनवरी 2007 में आये अधीक्षण पुरातत्वविद् भारत सरकार के मणिकांत मिश्र ने सर्वेक्षण के क्रम में अपनी टिप्पणी में लिखा है कि यहां बहुत ही अद्भुत, अनोखा व अविस्मरणीय शिवलिंग स्थापित हैं। मंदिर के एक कोने में शनि देवता की मूर्ति है जो खुदाई में मिली है। धर्म विशेषज्ञों व पुरातत्व विभाग के अनुसार शनि की ऐसी मूर्ति देश में अन्यत्र कहीं नहीं है। इसके अलावा मंदिर नवनिर्माण के तहत खुदाई के दौरान भूमि से कई प्राचीन मूर्तियां मिल रही है। वावजूद पर्यटन विभाग द्वारा मट्टेश्वर धाम को विकसित करने के लिए योजना अभी तक नहीं बनाई गई है। मंदिर परिसर का विस्तार, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं, प्रसाद वितरण केंद्र, यात्री निवास, पार्किंग व्यवस्था, सौंदर्यीकरण और रोशनी की व्यवस्था सहित कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य का मोहताज बना हुआ है। मंदिर परिसर में नागर शैली में नवनिर्माण कार्य चल रहा है, जिसकी अनुमानित लागत करोड़ों रुपए बताई जा रही है, पर कार्य की गति भी धीमी है। मंदिर को "संरक्षित धरोहर" घोषित करने की प्रक्रिया भी वर्षों से अधर में लटकी है। महाशिवरात्रि जैसे बड़े पर्व पर यहां राजकीय महोत्सव आयोजित करने की परंपरा रही है। लेकिन इस वर्ष बजट स्वीकृति बिलंब से होने के कारण महोत्सव विलंब से हो पाया। जिससे श्रद्धालुओं में भारी नाराजगी देखी गई थी। स्थानीय प्रतिनिधियों द्वारा लगातार सरकार से मांग की जा रही है कि इस धाम को आधिकारिक रूप से पर्यटन स्थल घोषित कर भव्य आयोजन सुनिश्चित किए जाएं। इलाके के श्रद्धालुओं की मांग है कि मट्टेश्वर धाम को अविलंब संरक्षित धरोहर घोषित किया जाए, पर्यटन विकास के लिए विशेष बजट आवंटित हो, श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए यात्री शेड, शौचालय, जल आपूर्ति और पार्किंग, पुस्तकालय की व्यवस्था हो, नागर शैली में चल रहे निर्माण कार्य में तेजी लाई जाए, महाशिवरात्रि महोत्सव जैसे आयोजनों को राज्य सरकार के स्तर पर पुनः महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रत्येक वर्ष नियमित किया जाए। वही डाक कांवरिया संध के अध्यक्ष मुन्ना भगत ने बताया कि वर्ष 1997 से यहां कांवर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई तो साल 2005 से डाक बम यात्रा ने भी रफ्तार पकड़ ली है। अभी सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां कम से कम सवा लाख कांवर चढ़ने लगे हैं। वर्ष 1997 में पहली बार कावंरिया बम की शुरूआत की थी। तत्पश्चात वर्ष 2005 में यही के युवा मंडली में डाक बम की भी शुरूआत की। श्रावण मास में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ से मटेश्वर धाम को बिहार का बाबा धाम के रूप में जाना जाने लगा है। मट्टेश्वर धाम सिर्फ सहरसा ही नहीं, पूरे कोसी क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। यदि समय रहते समुचित विकास और संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ियाँ इस अनमोल धरोहर को केवल किताबों में पढ़कर जानेंगी। आवश्यक है कि राज्य सरकार, प्रशासन और समाज मिलकर इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करें। यहां मटेश्वर धाम न्यास समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ अरुण कुमार, सचिव जगधर यादव सहित 11 सदस्यों वाली समिति कार्यरत हैं। जो मटेश्वर धाम के व्यवस्था का संधारण करते हैं। प्रसिद्ध मट्टेश्वर धाम को बिहार सरकार ने शिव सर्किट से नहीं जोड़ा: बौद्ध, जैन, सूफी एवं रामायण सर्किट की तरह राज्य में शिव सर्किट विकसित करने की तैयारी चल रही है। पहले चरण के सर्वे के बाद बिहार के चुनिंदा नौ प्राचीन शिव मंदिरों के आसपास पर्यटकीय सुविधाएं विकसित करने की घोषणा कर दी गई है। इसको लेकर बिहार के 9 शिवालयों के लिए राशि एवं योजना की स्वीकृति दी है। इनमें सबसे ज्यादा पड़ोस जिला स्थित मधेपुरा के सिंहेश्वर स्थान के लिए करीब 90.27 करोड़ रुपये है। इसके अलावा अन्य शिव धाम को भी दिया जा रहा है। लेकिन दुर्भाग्य है कि प्रसिद्ध मट्टेश्वर धाम कांठो इस शिव सर्किट में चर्चा तक नहीं है। जबकि मंदिरों में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू माने जाते हैं। बावजूद अभी तक इन सभी शिवमंदिरों को पर्यटन के नक्शे पर लाया नहीं जा सका है। पर्यटन विभाग का प्रयास ज्यादा से ज्यादा प्राचीनकाल शिवमंदिरों को सर्किट से जोड़ने का है। इसके तहत् बाबा मट्टेश्वर धाम को भी जोड़ने की मांग उठने लगी है। शिकायत: 1. मटेश्वर धाम के विकास के लिए बिहार सरकार द्वारा शिव सर्किट से जोड़ा जाएं। 2. मटेश्वर धाम को पर्यटन स्थल बनाया जाएं। 3. उच्च स्तरीय सड़क, पेयजल, शौचालय, मूत्रालय, पिंक शौचालय, प्रकाश अभी भी पर्याप्त नहीं है।4. विवाह भवन, प्रसाद वितरण केन्द्र, यात्री निवास एवं पार्किंग एवं सौंदर्यीकरण कराया जाए। सुझाव: 1. सरकार मटेश्वर धाम को शिव सर्किट से जोड़े। 2. मटेश्वर धाम के विकास के लिए पर्यटन स्थल घोषित किया जाए। 3. मटेश्वर धाम में श्रद्धालुओं की सुविधा को बढ़ाया जाएं। 4. विवाह भवन एवं पार्किंग एवं शेड बनाया जाएं। बोलें जिम्मेदार: मटेश्वर धाम कांठो की महत्ता अपरंपार है। इसके विकास के लिए विभाग द्वारा महोत्सव का आयोजन किया जाता रहा है। इसके विकास के लिए प्रयास किया जाएगा। अनीषा सिंह, एसडीओ, सिमरी बख्तियारपुर। मटेश्वर धाम कांठो एक ऐतिहासिक एवं पौराणिक धरोहर है। इसके विकास के लिए न्यास समिति द्वारा समय समय पर कदम उठाया जाता रहा है। शिव सर्किट के लिए विभाग को लिखा जाएगा। मंदिर निर्माण कार्य भी प्रगति पर है। सभी का सहयोग आवश्यक है। मंदिर विकास हेतु कई कार्य किए गए हैं। डाक्टर अरुण कुमार, पूर्व विधायक सह न्यास समिति अध्यक्ष, मटेश्वर धाम कांठो सुनें हमारी बात बाबा मट्टेश्वर धाम को कोसी का गौरव माना जाता है। लेकिन विकास योजनाएं सिर्फ कागज़ों में सीमित हैं। सरकार को इसे शिव सर्किट में शामिल करना चाहिए। यह धार्मिक पर्यटन का बड़ा केंद्र बन सकता है। जगधर यादव, न्यास समिति सचिव यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, सांस्कृतिक विरासत है। हर धर्म का व्यक्ति यहां सम्मान से आता है। अफसोस है कि इसे संरक्षित नहीं किया गया। सरकार को तुरंत ऐतिहासिक धरोहर घोषित करना चाहिए। यह कोसी की शांति एवं एकता का प्रतीक है। मुन्ना भगत आस्था के इस मंदिर के विकास केन्द्र सवाल को लेकर युवा वर्ग जागरूक हो रहा है। अब समय है प्रशासन को भी जागने का। आस्था के केंद्र को डिजिटल पहचान दिलानी होगी। भोलेंद्र राय, मुखिया कांठो अगर पर्यटन बढ़ेगा तो रोज़गार भी आएगा। छोटे दुकानदारों को बहुत लाभ होगा। अगर धाम का विकास पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को संजीवनी देगा। श्रद्धा के साथ समृद्धि भी आ सकती है। परितोष अंशु अब यह केवल धार्मिक मामला नहीं रहा। यह आस्था, विकास एवं सम्मान की लड़ाई है। सरकार को तुरंत शिव सर्किट में शामिल करना चाहिए। केंद्र और राज्य को मिलकर इसे पर्यटन स्थल घोषित करना होगा। जितेंद्र सिंह बधैल यह धाम हमारी पहचान है। यह धरोहर है, इसे सजाना-संवारना हम सबका कर्तव्य है। इस दिशा में सभी मिलकर प्रयास किया जाना चाहिए। रामोतार यादव इस धाम में युवाओं को इतिहास की सही जानकारी नहीं है। अगर यहां म्यूज़ियम एवं पुस्तकालय बने तो बेहतर होगा। धाम को एजुकेशनल टूरिज़्म से जोड़ा जा सकता है। सरकार को आधुनिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। कृष्ण कन्हैया बच्चों को विरासत से जोड़ना ज़रूरी है। मट्टेश्वर धाम में सांस्कृतिक शिविर हो सकते हैं। यह जगह धार्मिक और शैक्षणिक दोनों उद्देश्य से उपयुक्त है। पर बिना संरचना के कुछ नहीं हो सकता। राज्य सरकार को प्राथमिकता से योजना बनानी चाहिए। धर्मवीर सिंह हम गांव वाले हर पर्व पर अपनी सेवा देते हैं। लेकिन सुविधाएं नहीं रहने से श्रद्धालुओं को परेशानी होती है। सरकार अगर थोड़ी नज़र डाले तो बड़ा बदलाव हो सकता है। हमें बस थोड़ा सहयोग चाहिए। सिकंदर साह हमने कई बार इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। लेकिन कोई ठोस कदम नहीं होता। मटेश्वर धाम विकास का मुद्दा जनस्वर है। मंदिर विकास से, पूरे क्षेत्र का विकास होगा।" शिवेंद्र पोद्दार कोसी क्षेत्र में बहुधार्मिक समन्वय की मिसाल है यह धाम। यहां शिवभक्त एवं अन्य समाज के लोग भी दर्शन के लिए आते हैं। बिहार सहित पड़ोसी देश नेपाल से भी श्रद्धालु आते हैं। ऐसे स्थलों पर सरकार की खास नज़र होनी चाहिए। यह न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक स्थिरता का केंद्र है। अरविंद यादव मटेश्वर धाम के लिए स्थायी बजट चाहिए। स्थानीय प्रतिनिधियों को एकजुट होना पड़ेगा। मटेश्वर धाम अब जनांदोलन का विषय बन चुका है। दीपक सिंह हर वर्ष हम महाशिवरात्रि पर यहां आते हैं। व्यवस्था पर्याप्त नहीं रहने से महिलाओं को बहुत कठिनाई होती है। मंदिर को राजकीय दर्जा मिले और सेवा बेहतर हो। सरकार को हमारी आस्था का मान रखना चाहिए। अनामिका मैं बचपन से यहां पूजा करती आ रही हूँ। पहले यहां हर त्योहार पर मेला लगता था। सरकार को इसे विकास की मुख्य धारा मिलना चाहिए। हमारी आखिरी इच्छा है, धाम का पुनरुत्थान। अनु मटेश्वर धाम को सरकारी मदद नहीं मिली तो अधूरा ही रह जाएगा। स्थानीय दान से काम चल रहा है। पर आधुनिक सुविधाएं केवल सरकारी सहयोग से ही संभव हैं। प्रत्येक स्तर पर प्रयास किया जाना चाहिए। तनू सिंह शिवलिंग स्वयंभू है, शक्ति की अनुभूति होती है। मंदिर की गरिमा तभी बढ़ेगी जब सेवा की भावना हो। शिवानी देवी

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