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स्कूलों में 'डिजिटल नागरिकता' का पाठ, प्रार्थना सभा में सिखाया जाएगा

एससीईआरटी ने इसके लिए एक खास पंफलेट तैयार किया है सोशल मीडिया के अलावा किताबों

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 31 May 2025 04:02 AM
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स्कूलों में 'डिजिटल नागरिकता' का पाठ, प्रार्थना सभा में सिखाया जाएगा

भागलपुर, वरीय संवाददाता। अब भागलपुर सहित राज्य के स्कूली बच्चों को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि जिम्मेदार डिजिटल नागरिक बनने का पाठ भी पढ़ाया जाएगा। बिहार राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने एक नई पहल करते हुए प्रार्थना सभा के दौरान बच्चों को सोशल मीडिया के विवेकपूर्ण उपयोग, इसके फायदे-नुकसान, मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभावों और डिजिटल माध्यमों के संतुलित उपयोग के बारे में जानकारी देने का निर्णय लिया है। इस पहल के तहत एससीईआरटी ने एक विशेष पंफलेट तैयार किया है, जिसमें दी गयी जानकारियों के अनुसार सरकारी स्कूलों के शिक्षक छात्र-छात्राओं को पाठ पढ़ाएंगे।

परिषद ने सभी जिलों के डीईओ (जिला शिक्षा पदाधिकारी) और डीपीओ (समग्र शिक्षा) को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि इस पंफलेट को जिले के सभी स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों के बीच वितरित किया जाए। शिक्षा विभाग का मानना है कि आज के डिजिटल युग में बच्चों को तकनीक का सकारात्मक उपयोग सिखाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि वे सोशल मीडिया की लत से दूर रहकर एक संतुलित और स्वस्थ जीवन जी सकें। पंफलेट में शारीरिक गतिविधियों के महत्व पर भी जोर दिया गया है, जैसे सोचना, दौड़ना, कूदना, खेलना, योगासन और व्यायाम करना। इन्हें शारीरिक विकास, मानसिक विकास, हृदय स्वास्थ्य, सामाजिक कौशल में वृद्धि और तनाव कम करने के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है। साथ ही, बच्चों को किताबों की ओर लौटने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। किताबों को कल्पना की उड़ान, ज्ञान और दृष्टिकोण को व्यापक बनाने का तरीका बताया गया है। जिसमें कई तरह की किताबें पढ़ने की सलाह दी गई है। पहल की सफलता के लिए शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका महत्वपूर्ण शिक्षकों को उन्हें छात्रों को समय प्रबंधन, ऑनलाइन सुरक्षा, आलोचनात्मक सोच, वास्तविक संवाद को बढ़ावा देने और अत्यधिक स्क्रीन समय के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने की जिम्मेदारी दी गई है। वीडियो और केस स्टडी का उपयोग करने का भी सुझाव दिया गया है। वहीं अभिभावकों को बच्चों के साथ खुलकर संवाद करने, स्क्रीन समय के लिए नियम व सीमाएं निर्धारित करने, गोपनीयता की शिक्षा देने, स्वयं सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करने और बच्चों को वास्तविक दुनिया की गतिविधियों में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

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