मधेपुरा : गांधी पुस्तकालय के संचालन में सदस्यों ने लगाया गंभीर आरोप
चौसा में गांधी पुस्तकालय के प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं। सदस्यों ने प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और सचिव पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पिछले 6-7 वर्षों से कोई बैठक नहीं हुई और आय-व्यय का विवरण सार्वजनिक नहीं...

चौसा, निज संवाददाता। करीब 77 साल पूर्व तत्कालीन स्वतंत्रता सेनानी और स्थानीय बुद्धिजीवियों के अथक प्रयास से चौसा मुख्यालय में स्थापित की गई गांधी पुस्तकालय की व्यवस्था पर इन दिनों कई सवाल उठ रहे हैं। पुस्तकालय संचालन में की जा रही गड़बड़ी को लेकर सदस्यों ने ही प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और सचिव पर कई गंभीर आरोप लगाया है। पिछले करीब 6-7 वर्ष पूर्व नये सिरे से प्रबंध समिति की गठन किए जाने के बाद आज तक, ना तो आय और व्यय को सार्वजनिक किया गया और ना ही किसी भी तरह की बैठक बुलाई जा सकी है। जिसके कारण प्रबंध समिति के सदस्यों में आक्रोश व्याप्त है। सदस्यों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच पड़ताल कर कार्रवाई की मांग किया है। प्रबंध समिति के पूर्व अध्यक्ष अवधेश कुमार, सदस्य अनिल पोद्दार, मृत्यंजय कुमार भगत, पो. विजय कुमार गुप्ता, अमित कुमार डॉन, आशीष कुमार जांन ने कहा कि बिना बैठक बुलाए ही पुस्तकालय में रंग-रोहन और कई तरह के आधे अधूरे कार्य को पूर्ण दिखाकर राशि की निकासी की जा रही है। जबकि पुस्तकालय में किसी भी तरह की कार्य को शुरू किए जाने से पूर्व प्रबंध समिति की तमाम सदस्यों की बैठक बुलाकर उक्त बैठक में सदस्यों के समक्ष प्रस्ताव लेकर कार्य को पूरा किए जाने का प्रावधान है। लेकिन कार्य को शुरू किए जाने को लेकर बैठक बुलाया जाना तो दूर पुस्तकालय कोष में जमा राशि को अवैध तरीके से खर्च किया जा रहा है। प्रत्येक साल राष्ट्रीय त्योहार गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के दौरान राष्ट्रीय मिठाई की वितरण की आड़ में जमकर खानापूर्ति की जाती है। सदस्यों ने कहा है कि साप्ताहिक छुट्टी को छोड़कर प्रत्येक दिन पुस्तकालय का संचालन किया जाने का प्रावधान है। संचालन के दौरान पुस्तकालय में आने वाले छात्र-छात्राओं तथा बुद्धिजीवियों के बीच नई-नई पुस्तक उपलब्ध कराने का भी प्रावधान है। लेकिन नए सिरे से समिति की गठन किए जाने के बाद आज तक ना तो पुस्तकालय को नियमित रूप से संचालन किया जा रहा है और ना ही पुस्तक की खरीदारी पर किसी भी तरह की राशि का खर्च की गई है। पुस्तकालय संचालन से संबंधित किसी भी तरह की राशि अगर खर्च की जाती है, तो पुस्तकालय को प्रत्येक महीने तीन रुम का आने वाली भाड़े की मद से लगभग साढ़े तीन हजार रुपए आने में से खर्च होनी चाहिए, ना की पुस्तकालय कोष में जमा राशि से खर्च होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में प्रबंध समिति के नए सिरे से गठन किए जाने के दौरान पुस्तकालय कोष में करीब पांच लाख रुपए रजिस्टर में जमा दिखाया गया था। उक्त राशि में से कितना राशि की अब तक खर्च हो पाई है और कितना अभी तक बचत में है, सहित कई मुद्दों को आज तक सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है और ना ही किसी भी तरह की बैठक नहीं बुलाई जाने से प्रबंध समिति के सदस्यों में आक्रोष व्याप्त है है। सदस्यों ने जिला प्रशासन से मामले की उच्च स्तरीय जांच पड़ताल कर कार्रवाई की मांग किया है। उधर उदाकिशुनगंज एसडीएम एसजेड हसन ने कहा कि गांधी पुस्तकाल संचालन के व्यवस्था मामले की जांच पड़ताल कराया जाएगा। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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