विसर्जन शोभायात्रा के रूट में बिजली तार हो अंडरग्राउंड
भागलपुर में श्री श्री 108 दुर्गापूजा महासमिति ने 1987 में स्थापना की। 1989 के साम्प्रदायिक दंगों के बाद महासमिति ने सामाजिक समरसता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विसर्जन के दौरान समस्याओं के...
भागलपुर। श्री श्री 108 दुर्गापूजा महासमिति भागलपुर का गठन 1987 में हुआ है। भागलपुर में 1989 में हुए साम्प्रदायिक दंगे के बाद महासमिति ने शहर में सामाजिक समरसता और भाईचारा लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। शहरी क्षेत्र में 78 स्थानों पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। सभी स्थानीय पूजा समितियां महासमिति से जुड़ी हुई हैं। प्रत्येक वर्ष महासमिति के पदाधिकारियों का चयन सभी स्थानीय मेढ़पति और पूजा समिति के पदाधिकारियों द्वारा की जाती है। मुख्य रूप से दुर्गापूजा महासमिति स्थानीय समिति और जिला प्रशासन के बीच कड़ी का काम करती है। पूजा और विसर्जन के दौरान होने वाली समस्याओं का समाधान करने में महासमिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। महासमिति के पदाधिकारियों में इस बात की नाराजगी है कि प्रशासन लोगों की जनभावना के अनुरूप विसर्जन के दौरान व्यवस्था नहीं कर रहा है।
श्री श्री 108 दुर्गापूजा महासमिति, भागलपुर के अध्यक्ष अभय कुमार घोष ‘सोनू ने बताया कि जिस तरह से मां की प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है। उसी तरह से श्रद्धालु मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन करना चाहते हैं। लेकिन एनजीटी के निर्देशों के बाद ऐसा करना संभव नहीं हो रहा है। पूर्व से मुसहरी घाट पर प्रतिमाओं का विसर्जन होता रहा है। जहां विसर्जन होता था, वहां गंगा की मुख्य धारा नहीं बहती है। इसे यमुनिया धार भी कहा जाता है। गंगा को निर्मल बनाने और एनजीटी के निर्देश के मद्दनजर कृत्रिम तालाब में प्रतिमा विसर्जन करने पर सहमति बनी। हालांकि भागलपुर के आसपास में प्रतिमा विसर्जन गंगा में ही किया जाता है। लेकिन प्रतिमा विसर्जन के लायक तालाब नहीं बना है। तालाब छोटा रहने और रैंप नहीं बनने से श्रद्धालु मेढ़ को तालाब में सीधे नहीं उतार पा रहे हैं। इससे श्रद्धालुओं में नाराजगी है। पूर्व की बैठकों में कई बार बड़ा तालाब और रैंप बनाने का आग्रह किया गया। लेकिन व्यवस्था में बदलाव नहीं हुआ है। अब तो विरोध करने पर केस करने की धमकी दी जाती है। उन्होंने बताया कि लोग खुशी के माहौल में पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि प्रतिमा विसर्जन के दिन पूरे शहर की बिजली करीब 24 घंटे काट दी जाती है। इससे शहरवासियों को काफी परेशानी होती है। पूर्व में जिला प्रशासन के साथ हुई बैठक में अंडरग्राउंड तार बिछाने पर सहमति बनी थी। प्रथम फेज में विसर्जन मार्ग पर आंडरग्राउंड तार लगाने की बात हुई थी। लेकिन वह काम नहीं हो सका। बाद में कवर वायर लगाने की बात हुई। कवर वायर के बाद भी बिजली काटी जा रही है। बिजली कटने से हो रही परेशानी से शहरवासियों की सहानुभूति महासमिति के प्रति कम होने लगी है। जिला प्रशासन को तत्काल ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे विसर्जन के दौरान शहर की बिजली नहीं काटनी पड़े।
महासमिति के कार्यकारी अध्यक्ष विनय कुमार सिन्हा ने बताया कि पूजा के समय ही विसर्जन मार्ग की सड़कों की मरम्मति और पेड़ की कटायी की जाती है। बिजली के जर्जर तारों को बदला जाता है। यह अच्छी बात नहीं है। यह व्यवस्था पूर्व में होनी चाहिए। विसर्जन मार्ग से मां काली, दुर्गा, विषहरी, सरस्वती आदि प्रतिमाओं का विसर्जन होता है। प्रशासन को विसर्जन मार्ग में स्थायी व्यवस्था करनी चाहिए। महासमिति की संरक्षक सह पूर्व मेयर डॉ. वीणा यादव ने बताया कि दुर्गा पूजा सभ्यता और संस्कृति का पर्व है। दुर्गा पूजा महासमिति का गौरवशाली इतिहास रहा है। शांतिपूर्ण पूजा सम्पन्न कराने में महासमिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बिजली का तार अंडरग्राउंड होना चाहिए। प्रतिमा विसर्जन के लिए छोटा तालाब बनाया गया है। विसर्जन घाट पर छोटा तालाब बनाकर केवल खानापूर्ति की गयी है। कृत्रिम तालाब बनाने में राशि भी अधिक खर्च की जाती है। पहले लाजपत पार्क में रावन वध हुआ करता था। मेला भी लगता था। लेकिन अब वह बंद हो गया है। उसे फिर से शुरू करवाना चाहिए। जिला प्रशासन को दुर्गा पूजा के दौरान बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए। संरक्षक कमल जायसवाल ने कहा कि पूर्व में विसर्जन शोभायात्रा के दौरान काफी संख्या में हथियार का प्रदर्शन हुआ करता था। महासमिति के प्रयास से उसमें काफी कमी आयी है। लेकिन दुख की बात है कि शहर में कहीं भी किसी स्थानीय पूजा समितियों के बीच किसी बात को लेकर विवाद होता है तो केस में महासमिति के पदाधिकारियों का नाम दे दिया जाता है। जिसके चलते अच्छे और बुद्धिजीवी लोग महासमिति में आने से परहेज करने लगे हैं। महासमिति पूजा सम्पन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। महासमिति के सचिव अशोक गुप्ता ने बताया कि भागलपुर को स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया है। लेकिन विसर्जन मार्ग को चौड़ा नहीं किया गया है। शोभायात्रा के दौरान सड़क पर काफी भीड़ होती है। सड़क चौड़ी नहीं होने के चलते लोगों को आने-जाने में भी परेशानी होती है। प्रतिमा विसर्जन में कई घंटे लग जाते हैं। इस दौरान सड़क पर भक्तों की भीड़ लग रही है। विसर्जन मार्ग में यूरिनल की व्यवस्था होनी चाहिए। पिछले साल प्रशासन ने निर्देश दिया था कि पूजा स्थल से 100 मीटर की दूरी पर मेला लगना चाहिए। प्रशासन को इस निर्देश को वापस लेना चाहिए। अधिकांश पूजा स्थलों के आसपास जगह की कमी रहती है। 100 मीटर दूरी के नियम का पालन करने पर मेला लग ही नहीं पाएगा। सार्वजनिक पूजा समारोह समिति, नाथनगर के महासचिव देवाशीष बनर्जी ने बताया कि नाथनगर के एक से 12 वार्ड की प्रतिमाओं का विसर्जन चंपापुल घाट पर होता है। सीढ़ी घाट या विसर्जन घाट नहीं होने से काफी परेशानी होती है। लालूचक के पास अगर एक चेक डैम बना दिया जाए तो चंपा नदी के शुद्ध पानी का उपयोग किया जा सकता है।
बोले जिम्मेदार
पूर्व में प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए बड़ा तालाब और रैंप बनाने का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन स्मार्ट सिटी की तरफ से बताया गया कि तकनीकी रूप से रैंप बनाना सुरक्षित नहीं होगा। बड़ा तालाब बनाने पर विचार किया जा रहा है। विसर्जन रूट पर कवर वायर लगाया जा रहा है। सभी जगहों पर कवर वायर नहीं लगने से बिजली काटी जाती है। कवर वायर लगाने का काम पूरा होने पर लोगों को राहत मिलेगाी। पूर्व में स्मार्ट सिटी के माध्यम से बिजली के तार को अंडरग्राउंड करना था। लेकिन किसी कारणवश यह काम नहीं हो सका। प्रयास किया जा रहा है कि किसी योजना से इस काम को पूरा किया जाए। दुर्गा पूजा सहित अन्य पूजा में सफाई सहित अन्य व्यवस्था नगर निगम द्वारा की जाती है विसर्जन मार्ग को बेहतर बनाया जाता है। इसके बावजूद अगर कोई कमी रह जाती है तो उसे दूर किया जाएगा।
डॉ. बसुन्धरा लाल, मेयर, भागलपुर नगर निगम
प्रतिमा विसर्जन के लिए बेहतर बने कृत्रिम तालाब
दुर्गा पूजा महासमिति भागलपुर के अध्यक्ष अभय कुमार घोष सोनू ने बताया कि भागलपुर शहरी क्षेत्र में होने वाली सभी पूजा समितियों द्वारा प्रतिमा विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाब का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन कृत्रिम तालाब तय मानक के अनुरूप नहीं बना है। तालाब निर्माण में रैंप बनाने का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि युवा एवं श्रद्धालु आसानी से देवी के मेढ़ को पानी में ले जाकर विसर्जित कर सकें। कृत्रिम तालाब का आकार बड़ा होने के साथ उसमें स्टेप बनाया जाना चाहिए। इससे बड़ी-बड़ी प्रतिमा के विसर्जन के दौरान परेशानी नहीं हो। किसी भी परिस्थिति में विसर्जन शोभायात्रा के दौरान शहर में विद्युत आपूर्ति बाधित नहीं होनी चाहिए। इसके लिए प्रशासन को जरूरी पहल करनी होगी।
विवाद कहीं भी हो, महासमिति के पदाधिकारियों पर होता है मुकदमा
दुर्गा पूजा महासमिति, भागलपुर के महासचिव जयनंदन आचार्य ने बताया कि वैसे तो भागलपुर में मां दुर्गा, मां काली और बिहुला-विषहरी पूजा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिलता है। काली पूजा और विषहरी पूजा की तुलना में प्रशासन की सक्रियता दुर्गा पूजा में कुछ कम दिखाई देती है। भागलपुर में प्रशासन एवं महासमिति के सहयोग से दुर्गा पूजा और विसर्जन शोभयात्रा प्रत्येक वर्ष बिना किसी व्यवधान के शांतिपूर्ण रूप से सम्पन्न कराया जाता है। विसर्जन शोभायात्रा के दौरान यदि कहीं स्थानीय पूजा समितियों के बीच विवाद होता है तो पुलिस महासमिति के पदाधिकारियों पर मुकदमा कर देती है। केस करना दुखद बात है। इसके कारण पूजा समिति, महासमिति और केंद्रीय पूजा समिति से लोग जुड़ने से परहेज करते हैं।
शहर में अंडरग्राउंड बिजली तार होने से मिलेगी राहत
दुर्गा पूजा महासमिति, भागलपुर के कार्यकारी अध्यक्ष विनय कुमार सिन्हा ने बताया कि प्रतिमा विसर्जन के दिन पूरे शहर की बिजली काट दी जाती है। करीब 24 घंटे बिजली कटने से शहरवासियों को काफी परेशानी होती है। सबसे अधिक समस्या पेयजल को लेकर होती है। इससे आमलोगों में नाराजगी भी होती है। लोग पूजा समितियों को इसके लिए जिम्मेदार समझने लगते हैं। अगर विसर्जन मार्ग में बिजली के तार को अंडरग्राउंड कर दिया जाए तो आपूर्ति बाधित नहीं होगी। इससे लोगों को काफी राहत मिलेगी। पूर्व में जिला प्रशासन के साथ हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था। लेकिन अभी तक इस पर काम नहीं किया गया है। सड़कों की मरम्मति और पेड़ों की कटाई भी प्रतिमा विसर्जन के कुछ दिन पहले किया जाता है। जिला प्रशासन को सभी तरह की स्थायी व्यवस्था विसर्जन मार्ग में करना चाहिए।
गंगा में प्रतिमा विसर्जित करने की अनुमति मिले
दुर्गा पूजा महासमिति, भागलपुर के संरक्षक कमल जायसवाल ने बताया कि भारत पर्व त्योहारों का देश है। यहां सभी धर्मों के लोग आपस में मिल-जुलकर त्योहार मनाते हैं। भगलपुर में दुर्गा पूजा, काली पूजा और विषहरी पूजा में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमा गंगा में ही विसर्जित करने की अनुमति जिला प्रशासन को देनी चाहिए। अगर गंगा में प्रतिमा विसर्जित करने की अनुमति नहीं मिलती है तो जिला प्रशासन प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए बड़े तालाब की व्यवस्था करे। तालाब में रैंप की व्यवस्था भी होनी चाहिए। ताकि श्रद्धालु बेहतर तरीके से प्रतिमाओं का विसर्जन कर सकें। भागलपुर की ऐतिहासिक अंग बंग संस्कृति की भूमि पर दुर्गा पूजा, काली पूजा और विषहरी पूजा की विसर्जन शोभा यात्रा निकाली जाती है। जिसे देखने के लिए कई जगहों से ग्रामीण और शहरवासी आते हैं।
दुर्गा पूजा महासमिति का लक्ष्य कम समय में प्रतिमा विसर्जन का कार्य शांतिपूर्वक संपन्न कराना है। इससे शहवासियों को बिजली आपूर्ति समेत कई तरह की समस्याओं से राहत मिलेगी। बंग्ला समाज में दशमी के दिन प्रतिमा विसर्जन की परम्परा रही है, जिसका हमेशा की तरह निर्वहन किया जाता है।
तरुण घोष, कोषाध्यक्ष
बिहार विद्युत विनियामक बोर्ड ने पांच वर्ष पूर्व भागलपुर के बिजली विभाग को विसर्जन मार्ग में पड़ने वाले बिजली के तारों को अंडरग्राउंड किए जाने का निर्देंश दिया था। लेकिन अभी तक विभाग द्वारा कोई पहल नहीं की गई है। इसके कारण अधिकांश विसर्जन शोभायात्रा के दौरान 10 से 20 घंटों तक बिजली आपूर्ति बाधित रहती है।
शशि शंकर राय, उपाध्यक्ष
ग्रामीण क्षेत्रों की दुर्गा पूजा पर भी महासमिति एवं प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है। सबौर में आधा दर्जन से अधिक प्रतिमा स्थापित कर भव्य पूजा समारोह एवं मेला का आयोजन होता है। प्रतिमा विसर्जन बाबूपुर घाट पर होता है। दक्षिणी क्षेत्र की कई प्रतिमाओं का विसर्जन गंगटा पोखर में होता है।
प्रदीप कुमार, संरक्षक
दुर्गा पूजा में सबसे प्रमुख समस्या विसर्जन घाट पर स्मार्ट सिटी के द्वारा बनाया गया कृत्रिम तालाब है। तालाब छोटा है। कृत्रिम विसर्जन तालाब में रैंप और स्टेप नहीं बनाया गया है। जिसके कारण मूर्ति विसर्जन के क्रम में कई बार बड़ी घटना की आशंका बनी रहती है। प्रशासन बेहतर व्यवस्था करे।
रवि कुमार, सचिव
विसर्जन शोभायात्रा मार्ग में पड़ने वाले पेड़ की टहनियों की छंटनी करनी चाहिए, जिससे विसर्जन शोभायात्रा के वाहनों या प्रतिमा के निकलने में परेशानी नहीं हो। प्रतिमा विसर्जन रूट में पानी सप्लाई के लीकेज पाइप की मरम्मति कराई जानी चाहिए। जिससे आम लोगों के साथ विसर्जन में शामिल लोगों को परेशानी नहीं हो।
मानिक पासवान, संरक्षक
भागलपुर शहर में कई वर्षों से दुर्गा पूजा महासमिति काम कर रही है। शांतिपूर्ण माहौल में पूजा और विसर्जन शोभायात्रा संपन्न कराने के लिए पूजा महासमिति के सभी सदस्य प्रशासन के सहयोग से तत्पर रहते हैं। विसर्जन के मार्ग की सड़कें, साफ-सफाई और पानी की समस्या को समय से पूर्व दुरुस्त किया जाना चाहिए।
सुनंदा रक्षित, उपाध्यक्ष
बिजली की समस्या और तार के जंजाल से बचने के लिए पूरे शहर में अंडरग्राउंड बिजली का कनेक्शन होना चाहिए। फिलहाल विद्युत तार को टाइट करना जरूरी है, ताकि बाजार और विसर्जन रूट में बिजली के तार से लोगों को परेशानी नहीं हो। संस्कृति की रक्षा के लिए सभी को मिल-जुलकर त्योहार मनाना चाहिए।
भोला कुमार मंडल, संरक्षक
भागलपुर में मां विषहरी, मां काली और मां दुर्गा की पूजा के बाद परंपरा के अनुसार विशाल विसर्जन शोभायात्रा निकाली जाती है। लेकिन प्रतिमा विसर्जन के लिए गंगा घाट पर कृत्रिम तालाब छोटा बनाया गया है। समितियों से बात कर प्रशासन को सुरक्षा से संबंधित उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है।
सत्यनारायण प्रसाद, उपाध्यक्ष
भागलपुर का कृत्रिम तालाब सही नहीं बना है। नगर निगम द्वारा प्रतिमा विसर्जन को लेकर गंगा के किनारे की मिट्टी से वहीं पर कृत्रिम तालाब का निर्माण किया जाता है। जिस पर सरकार का लाखों रुपये खर्च होता है। गंगा को नुकसान पहुंचाने वाले केमिकल से रहित प्रतिमा निर्माण की शर्तों के साथ गंगा में ही प्रतिमा विसर्जन की अनुमति मिलनी चाहिए।
अशोक गुप्ता, सचिव
विसर्जन शोभयात्रा के दौरान घाट और विसर्जन मार्ग में बिजली की समस्या काफी बढ़ जाती है। इसको ध्यान में रखते हुए घाटों पर सोलर लाइट की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे बिजली कटने पर भी विसर्जन शोभयात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को अंधेरे में परेशानी नहीं हो। अंधेरे के कारण कई बार मारपीट की घटना भी हो जाती है।
कन्हैया लाल, संरक्षक
भागलपुर की दुर्गा पूजा ऐतिहासिक होती है। इसकी चर्चा बिहार के बाहर भी होती रही है। दुर्गा पूजा महासमिति के द्वारा जिला प्रशासन और मेढ़पतियों के सहयोग से शांतिपूर्ण तरीके से पूजा और विसर्जन संपन्न कराया जाता है। प्रशासन को दशहरा के अवसर पर लाजपत पार्क में रावण वध की परंपरा को फिर से शुरू कराया जाना चाहिए।
डॉ. वीणा यादव, पूर्व महापौर
भागलपुर में दुर्गा पूजा, काली पूजा और विषहरी पूजा पर तो प्रशासन और पूजा महासमितियों द्वारा ध्यान दिया जाता है। लेकिन चैत्र मास में होने वाले महत्वपूर्ण चैती छठ, और वासंती दुर्गा पूजा पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए चैती दुर्गा पूजा और छठ में प्रशासन या महासमिति को सक्रिय होने की जरूरत है।
डॉ. अशोक सरकार, महासमिति के पदाधिकारी
समस्या
1.बिना रैंप के गहरा कृत्रिम तालाब बनाने से प्रतिमा विसर्जन के क्रम में श्रद्धालुओं को परेशानी होती है। तालाब में गिरने का डर बना रहता है।
2.प्रतिमा विसर्जन शोभायात्रा के दौरान स्थानीय पूजा समितियों के बीच विवाद होने पर पुलिस महासमिति के पदाधिकारियों पर मुकदमा कर देती है।
3 जलापूर्ति के पाइप में कई जगहों पर लीकेज रहता है, जिसके कारण विसर्जन शोभायात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को परेशानी होती है।
4.विसर्जन शोभायात्रा के दौरान पूरे शहर की बिजली करीब 24 घंटे काट दी जाती है। इसके चलते शहरवासियों को परेशानी होती है।
5.विसर्जन शोभायात्रा को देखने के लिए सड़क किनारे काफी संख्या में लोग घंटों खड़े रहते हैं। यूरिनल नहीं रहने से परेशानी होती है।
सुझाव
1.विसर्जन शोभायात्रा मार्ग समेत पूरे शहर में अंडरग्राउंड बिजली की व्यवस्था होने से घंटों बिजली कटने से राहत मिलेगी।
2.लाखों लोगों की श्रद्धा को देखते हुए कृत्रिम तालाब की जगह किसी भी देवी देवताओं की प्रतिमा का विसर्जन गंगा में करने की अनुमति जिला प्रशासन दे।
3.विसर्जन शोभायात्रा मार्ग की सड़कों को पूर्व से ही बेहतर बनाया जाए। विसर्जन मार्ग की सड़क चौड़ी होनी चाहिए। ताकि लोगों के आवागमन में परेशानी नहीं हो।
4.विसर्जन शोभायात्रा के दौरान अगर कहीं स्थानीय पूजा समितियों के बीच विवाद होता है तो प्रशासन महासमिति के पदाधिकारियों की जगह दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करे।
5. विसर्जन शोभायात्रा में दूर-दराज से काफी संख्या में लोग आते हैं। श्रद्धालु देवी-देवताओं का दर्शन करने के लिए घंटों सड़क किनारे खड़े रहते हैं। विसर्जन मार्ग में यूरिनल की व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रस्तुति: वीरेन्द्र कुमार/रवि शंकर सिन्हा
फोटोग्राफ: कान्तेश
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