बेटी की नहीं मेरे सपनों की हत्या हुई है
48 घंटे बाद भी इंसाफ की आस सपनों को रौंद डाला अपराधियों ने

रात-दिन मजदूरी कर बेटी को अफसर बनाने का सपना था। लंबे इंतजार के बाद बेटी बैंक पीओ के लिए चयनित हो गई थी। अपराधियों ने बेटी की नहीं मेरे सपनों की हत्या की है। अब किसके लिए कमाउंगा। सब खत्म हो गया। यह कहना था सोमवार रात सबौर स्टेशन पर अपराधियों के धक्के से मृत युवती काजल के पिता की। बेटी की मौत पर रुंधे गले से खगड़िया जिले के मुजाहिदपुर वार्ड पांच निवासी सुनील पंडित ने कहा कि उनकी बेटी बचपन से ही मेधावी थी। यही कारण था कि खुद अफसर नहीं बन पाने मलाल मिटाने के लिए दिन-रात मेहनत-मजदूरी कर उसे पढ़ा रहा था। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। सुनील ने कहा कि क्या पता था कि बैंक पीओ में चयन पर मां कामाख्या का आशीर्वाद लेने गई बेटी को मौत का प्रसाद मिलेगा। सुनील बार-बार बेटी का नाम लेकर बदहवाश हो जा रहे थे। फिर रुककर कहने लगते कि बेटी काजल भागलपुर के निजी हॉस्टल में रहकर बैंकिंग की तैयारी करती थी। टीएनबी कॉलेज में भूगोल विषय से स्नातक कर पीजी में पढ़ाई कर रही थी। काजल प्रतिदिन फोन कर कहती थी कि पापा अब कुछ दिनों का और कष्ट है। रिजल्ट हो गया है। नौकरी मिलने के बाद सब अच्छा हो जाएगा। मां अभी भी बदहवास है। भागलपुर में उनके हॉस्टल से सामान लाने की हिम्मत नही हो रही है। पुलिसिया जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि एस्कॉट कर रहे सुरक्षा बल के जवान बेटी की प्राथमिक उपचार करवा देते तो उनकी जान बच सकती थी।
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