वल्लभाचार्य प्राकट्य महोत्सव में अनुष्ठान, हवेली संगीत गूंजा
Varanasi News - वाराणसी में जगद्गुरु वल्लभाचार्य के 548वें प्राकट्य महोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों ने विभिन्न अनुष्ठान किए। महाप्रभु को समर्पित गीतों की प्रस्तुति और दुग्धाभिषेक का...

वाराणसी, मुख्य संवाददाता। पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक जगद्गुरु वल्लभाचार्य के 548वें प्राकट्य महोत्सव के पहले दिन बुधवार को विविध अनुष्ठान हुए। वैष्णव संप्रदाय के चौखंभा स्थित षष्ठपीठ श्रीगोपाल मंदिर में प्रभु के मंगला दर्शन से अनुष्ठान की शुरुआत हुई।
पीठाधीश्वर गोस्वामी श्याम मनोहर महाराज एवं युवराज प्रियंदु बाबा ने प्रथम दर्शन किए। इसके बाद महाप्रभु को समर्पित गीत ‘भक्ति का डंका भारत में बजवाया का गान वैष्णजनों ने किया। इस अवसर पर अग्रसेन महाजनी विद्यालय के स्काउट दल ने वाद्य यंत्रों की प्रभावी प्रस्तुति की। इसके बाद श्रीसुदर्शन प्रभु का दुग्धाभिषेक षष्ठपीठाधीश्वर ने किया। शाम को हवेली संगीत सत्र में मंदिर की कीर्तन मंडली ने भक्तिपूर्ण रचनाओं का गायन किया। षष्ठपीठाधीश्वर की पुत्री रूप मंजरी ने भी भजनों की प्रस्तुति की।
अंत में श्याम मनोहर महाराज ने कहा कि महाप्रभु का प्राकट्य विक्रम संवत 1535 में वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि पर रायपुर (छत्तीसगढ़) के निकट चंपारण में हुआ। उन्होंने बाल्यकाल में ही वेदशास्त्र का अध्ययन किया। वेदांत सूत्रों को लेकर अणुभाष्य किया। श्रीमद्भगवतगीता पर केंद्रित सुबोधिनी सहित अनेक ग्रंथों एवं सूत्रों की रचना की। शुद्धाद्वैत के सिद्धान्तों की व्याख्या की। अवसर पर अतुल शाह, अरुण पारिख, प्रदीप अग्रवाल, आनंदकृष्ण अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, मधुसूदन दास सोनावाला, मनोज मुनीमवाला ने वैष्णवजनों का स्वागत किया।
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